महेश झालानी

आम जनता में इस बात की जोरशोर से चर्चा है कि राजस्थान में किस पार्टी की सरकार बनेगी । बीजेपी या कांग्रेस । अगर बीजेपी सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा और कांग्रेस के बनने पर सीएम की कमान किसके हाथ होगी । अशोक गहलोत या सचिन पायलट। 

चुनाव सम्पन्न होने के बाद राजनीतिक गलियारों, गांवो की चौपाल और चाय की थडियों पर इसी तरह की चर्चा है । यद्यपि अधिकांश राजनीतिको पंडितो का मानना है कि बीजेपी को स्पष्ट  बहुमत मिलने जा रहा है। लेकिन मैं इससे सहमत नही हूँ । मेरा मानना है कि दोनों पार्टियों को बराबर की सीटें हासिल होगी । चलो, मैं यह मान लेता हूँ कि कांग्रेस से बीजेपी को पांच-सात ज्यादा सीट मिल सकती है ।

अगर ऐसी स्थिति आती भी है तो गहलोत इतनी जल्दी हार मानने वाले नही है । वे निर्दलीय में तोड़फोड़ और वसुंधरा का सहारा लेकर सरकार बनाने में कामयाब हो सकते है । निर्दलीय विधायको को देने के लिए न तो उनके पास पैसों की कमी है और न ही तजुर्बे की । अधिकांश निर्दलीय विधायक उनकी पकड़ में भी है और सम्पर्क में भी । 

चूंकि सारे ऑपरेशन का संचालन गहलोत स्वयं करेंगे, इसलिए सचिन पायलट का मुख्यमंत्री बनाना बेहद कठिन लगता है । यदि आलाकमान ने सचिन को थोपने की कोशिश की तो 25 सितम्बर की तरह गहलोत फिर से बगावत कर सकते है । क्योंकि मुख्यमंत्री के पद के लिए वे कुछ भी करने को तैयार थे और आगे भी रहेंगे।

वैसे भी आलाकमान को गहलोत अपनी जूती की नोक पर रखते है । तभी तो राहुल द्वारा दोनों का हाथ मिलाने के बाद भी गहलोत ने सचिन को आत्मसात नही किया । 

अगर बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता है तो सारी कयासबाजी बेमानी होगी । ऐसे में चर्चा यह होनी चाहिए कि अगला मुख्यमंत्री होगा कौन। जिस तरह नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने वसुंधरा को किनारे कर रखा है, उसको देखकर बिल्कुल भी नही लगता है कि वे फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होगी । चुनावों में केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें पूरी तरह दरकिनार किया । आगे की पिक्चर भी यही रहने वाली होगी । 

अब सवाल उठता है कि वसुंधरा नही तो कौन ? मेरा यह मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में अर्जुन राम मेघवाल की लॉटरी लग सकती है । कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ी जाति है। उसको साधने के लिए मेघवाल को चांस दिए जाने की संभावना है । इससे बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनावों में भी फायदा होने की संभावना है । 

अगर मेघवाल को चांस नही मिलता है तो ओम बिड़ला अथवा दिया कुमारी को भी चान्स दिए जाने की चर्चा है । लेकिन मुझे इसकी संभावना कम नजर आती है । इसी तरह यूपी की तर्ज पर बाबा बालकनाथ और राजेंद्र राठौड़ का नाम भी अगले मुख्यमंत्री के रूप में लिया जा रहा है । लेकिन ये दोनों जीतेंगे तभी तो मुख्यमंत्री बनेंगे । दोनों बुरी तरह फंसे हुए है । दोनों हार भी सकते है।

(लेखक राजस्थान के वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। लेख में उनके विचार निजी हैं। राजकाज का विचारों से सहमत होना आवश्यक नहीं है।)