आचार संहिता लागू होने के बाद प्रदेश में चल रहे चुनाव अभियान में ऐसे सिर्फ 3-4 मौके आए जब भाजपा के राष्ट्रीय या स्थानीय नेताओं ने आक्रामक बयान दिए। इन बयानों पर भी कांग्रेस की ओर से सधी हुई प्रतिक्रिया आई थी और इसकी वजह भी साफ़ थी। कांग्रेस नहीं चाहती है कि भाजपा उसके विकास और गारंटी के मुद्दों पर लड़े जा रहे चुनाव को हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण में धकेल कर मैच अपने मैदान पर करवा ले। इसीलिए कांग्रेस ने ना तो अलवर जिले में योगी के 'हनुमान-तालिबान' बयान को ज्यादा तरजीह दी और ना ही मोदी के उदयपुर के 'कन्हैयालाल जी' वाले बयान को। कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास ने जरूर अपने अंदाज में जवाब देने की रस्म अदायगी कांग्रेस के एक हिन्दू नेता के रूप में की।
पर जब भाजपा ने जयपुर में भी स्थानीय संवेदनशील मुद्दों को उठाना शुरू किया तो फिर प्रताप सिंह ने पहला आक्रामक बयान दिया। पर सबसे सटीक जवाब दिया अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने और रमेश ने यह उसी उदयपुर की धरती से किया जहां उनके पहुँचने से एक दिन पहले PM मोदी ने चुनावी एजेंडा सेट किया था। रमेश ने भी प्रेस वार्ता कर 'कन्हैयालाल जी' का जवाब 'मगरमच्छ' से दिया।
राजस्थान के प्रमुख दैनिक अखबार के संवाददाता गोवर्धन चौधरी ने जयराम रमेश से विस्तृत बात की। प्रस्तुत है उसी बातचीत के प्रमुख अंश।
प्रश्न: कांग्रेस के प्रचार अभियान में अब तक वो आक्रामकता नहीं दिख रही है जो विपक्ष में रहते हुए थी, इसे क्या माना जाए?
जयराम रमेश : हम सरकार के पांच साल काम के आधार पर जनादेश मांग रहे हैं। फ्री बिजली, 500 रुपए में सिलेंडर, 25 लाख का स्वास्थ्य बीमा, 17 नए जिलों की घोषणा, ये सब राजस्थान की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि है।हम आने वाले पांच साल के लिए जनता को गारंटी दे रहे हैं, उन गारंटियों को पूरा करने में पांच साल नहीं लगेंगे, पहले साल में ही पूरा करेंगे। ये जो कहा जा रहा है कि लोग साइलेंट है, मैं समझता हूं कि अंडर करंट है। लोग मान गए हैं कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए प्रधानमंत्री ने ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग शुरू किया है, ध्रुवीकरण की बातें कर रहे हैं, बिना मतलब की बातें उठाते हैं। मैं समझता हूं यह चुनाव राजस्थान के लिए परिवर्तनकारी चुनाव होगा, क्योंकि दशकों बाद पहली बार सरकार रिपीट होगी।
प्रश्न: आप सरकार रिपीट करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में अलग-अलग आवाज सुनाई देती रही हैं, फूट का नुकसान नहीं होगा?
जयराम रमेश : हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं। मुझे तब चिंता होगी, जब एक ही आवाज सुनाई देगी। कांग्रेस में अलग-अलग आवाजें हैं और होनी चाहिए। हम किसी की आवाज को दबाते नहीं है। पार्टी में अलग-अलग लोग हैं, अलग-अलग ख्याल है, सबको साथ लेकर चलना ही कांग्रेस का रास्ता है।पिछले साल दिसंबर में 16 दिन तक हम भारत जोड़ो यात्रा में राजस्थान में रहे, 485 किलोमीटर की यात्रा की। उसका नतीजा आप देख रहे हैं। संगठन में एकजुटता दिखाई दे रही है।
राजस्थान की कई योजनाएं ऐसी हैं जो देश में कहीं नहीं हैं। राजस्थान मॉडल बन गया है। बीजेपी के पास कोई मुद्दा ही नहीं है, चेहरा छोड़िए। चेहरा मोदी हैं, मोदी कहते हैं मैं गारंटी देता हूं, क्या वे राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं? क्या मोदी जयपुर में बैठकर राजस्थान की सरकार चलाएंगे, वे केंद्र सरकार तो चला नहीं पा रहे हैं।
प्रश्न: चेहरे की लड़ाई तो कांग्रेस में भी है, पूरे पांच साल सबने यही तो खींचतान देखी, क्या सचिन पायलट और सीएम गहलोत के बीच सब ठीक हो गया?
जयराम रमेश : सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सब ठीक हो गया है क्योंकि दोनों का मकसद एक ही है कांग्रेस की सरकार को रिपीट करना, कांग्रेस को बहुमत मिलना चाहिए। उसके बाद विधायक बैठेंगे, हाईकमान से राय मशविरा होगा और एक आम सहमति के आधार पर कौन चेहरा बनेगा, वह तय किया जाएगा।
सभी लोग हमारी पार्टी के असेट हैं। राहुल गांधी से यह सवाल किया गया था, उन्होंने भी यही कहा था। हमारा कर्तव्य बनता है कि सब लोग सामूहिक मकसद के साथ काम करें और वह मकसद है फिर से कांग्रेस को जनादेश दिलवाना।
प्रश्न: अशोक गहलोत तो यह कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री का पद छोड़ना चाहता हूं, पर यह पद मुझे नहीं छोड़ना चाहता और शायद आगे भी नहीं छोड़ेगा, फिर किसी नए के लिए स्पेस कहां बच गया?
जयराम रमेश : अभी हम 2023 तक ही सीमित हैं, 2023 के विधानसभा चुनाव में जनादेश लेना है। कांग्रेस की विचारधारा की जीत होनी चाहिए, सद्भावना की जीत होनी चाहिए, आर्थिक विकास के लिए जीत होनी चाहिए। यह प्रतिशोध की राजनीति से मुक्ति पाने के लिए जीत होनी चाहिए।
प्रश्न: 2023 में आपकी पार्टी राज में आती है तो चेहरा नया होगा या गहलोत साहब का ही दावा रहेगा?
जयराम रमेश : आप बार-बार घूम कर वही सवाल पूछेंगे और मैं वही जवाब दूंगा। पहले पार्टी को जनादेश मिलता है तो उसके बाद आम सहमति बनाई जाएगी, उससे ही तय होगा।
प्रश्न: आप संगठन में एकजुटता का दावा कर रहे हैं तो फिर बड़ी संख्या में नेता बागी क्यों हो गए, पार्टी छोड़कर क्यों जा रहे हैं?
जयराम रमेश : यह सवाल बीजेपी से क्यों नहीं पूछते आप लोग? पहले कहते थे कांग्रेस में बागी हो रहे हैं। इस बार भारी मात्रा में बीजेपी में बागी खड़े हुए हैं। बीजेपी का चेहरा कौन है बताइए? बीजेपी का चेहरा मोदी हैं, गारंटी कौन दे रहा है, मोदी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री क्या मोदी बनेंगे? यह सवाल कांग्रेस से क्यों किया जाता है? बीजेपी से कभी नहीं किया जाता है। हमेशा कांग्रेस से ही ये सवाल क्यों किए जाते हैं?
प्रश्न: चुनाव अभियान के दौरान बीजेपी आक्रामक है, कांग्रेस के अभियान में वह आक्रामकता ग्राउंड पर क्यों नहीं दिखती? क्या सरकार में होने का यह साइड इफेक्ट है?
जयराम रमेश : मुझे भी फीडबैक मिला है, लोगों से मिलता रहता हूं हमारी आलोचना भी होती है, लेकिन अंडर करंट है और लोग सरकार से खुश हैं, जो हमने पिछले पांच साल में काम किया है, योजनाएं दी हैं उससे फायदा भी हुआ है। जो हमने कहा वह किया है। अगले 5 साल के लिए हम गारंटी दे रहे हैं। हम सकारात्मक प्रचार कर रहे हैं, इस आधार पर हमें जनादेश मिलेगा। बीजेपी की तरफ से नकारात्मक विचारधारा और नकारात्मक तरीके से चुनाव प्रचार चलाया जा रहा है।
प्रश्न: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रोड शो कर रहे हैं, कांंग्रेस के बड़े नेता राजस्थान में प्रचार से दूरी क्यों बनाए हुए हैं?
जयराम रमेश : पीएम मोदी को करने दीजिए रोड शो। हमारे नेता भी रोड शो करेंगे। मोदी रोड शो में करते क्या हैं? उदयपुर में बड़ा झूठ बोला, मगरमच्छ की बात की। वह मगरमच्छ कौन निकला, वह बीजेपी का कार्यकर्ता तो निकला। कन्हैयालाल मर्डर केस में 4 घंटे के अंदर उसको गिरफ्तार किया गया, उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, मगरमच्छ तो वह था। मछली नहीं था मगरमच्छ था। प्रधानमंत्री कहते हैं मछली पकड़ी जाती है, मगरमच्छ को छूट मिल जाती है।
प्रश्न: आप फ्री स्कीम्स और गारंटियां तो दे रहे हैं लेकिन राजस्थान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है, इतना पैसा कहां से आएगा?
जयराम रमेश : यह बर्डन नहीं है यह हमारा कर्तव्य है। मोदी सरकार ने जो नीतियां अपनाई, उसी की वजह से हम लोगों को गारंटी देनी पड़ रही है। हम इस हालत में नहीं है कि इतनी स्कीम्स दें, लेकिन जो महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी है,आर्थिक विषमताएं बढ़ी हैं।
कर्नाटक में यही सवाल उठाया गया पैसा कहां से आएगा? पैसा तो आया ना, हम गारंटी लागू कर रहे हैं, वैसे ही राजस्थान में भी किया। राजस्थान में काफी विश्लेषण किया है। विश्लेषण के बाद ही हमने गारंटी दी है, हमने गारंटी हवा से नहीं निकाली है, इस पर काफी सोच विचार हुआ है।
प्रश्न: गारंटी लागू तो तब होगी न जब सरकारी खजाने में पैसा होगा? स्टेट फाइनेंशियल क्राइसिस की तरफ जा रहे हैं फिर ये लोकलुभावन घोषणाएं कैसे जमीन पर आएंगी ?
जयराम रमेश : राजस्थान सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की, मोदी सरकार ने कहा पैसा कहां से आएगा, लेकिन पेंशन स्कीम की शुरुआत हुई। अभी मोदी सरकार बौखलाई हुई है। मोदी सरकार कह रही है कि हमारी न्यू पेंशन स्कीम में बदलाव लाने की जरूरत है। लोग चाहते हैं ओल्ड पेंशन स्कीम लागू हो। हमने ये गारंटी हवा में नहीं निकाली। काफी कुछ होमवर्क करके विश्लेषण करके ही गारंटी की घोषणा की है। जो अनुभव हमें कर्नाटक जैसे राज्यों में मिला, उसके आधार पर हमने राजस्थान में ही गारंटी दी है।
जब फ्री इलाज योजना पहली बार लाए तो मुझे याद है कई लोग बोले कि यह तो संभव नहीं है, कैसे दे सकते हैं लेकिन राजस्थान सरकार ने 25 लाख का चिरंजीवी बीमा लागू किया। पहले कहा फ्री इलाज केवल सरकारी अस्पताल में होना चाहिए, आज प्राइवेट अस्पतालों में लागू है सरकारी अस्पताल में भी लागू है। शहरी रोजगार गारंटी योजना के बारे में कहा कि नहीं हो सकता लेकिन हुआ ना, शहरी गारंटी रोजगार योजना चालू है। हर नई योजना पर पहला रिएक्शन हमेशा यही आएगा कि नहीं हो सकता, पैसा कहां से आएगा? अगर संकल्प है तो पैसा भी आ जाता है लेकिन संकल्प जरूरी है।
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