सहकारी समिति के व्यवस्थापक पर गबन का आरोप लगाकर मामला रफा दफा करने के लिए 25 लाख रुपए मांगे गए। ऐसे में दुखी व्यवस्थापक ने फार्म हाउस के कमरे में गमछे का फंदा बना कर सुसाइड कर लिया। यह आरोप मृतक के बेटे ने समिति के तीन डायरेक्टर व सहकारी विभाग के अफसर पर लगाए हैं। अजमेर जिले के पीसांगन पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस में ये दर्ज कराई शिकायत
पीसांगन निवासी नवीन शर्मा (30) ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस को बताया- मेरे पिता रामनिवास शर्मा पीसांगन लक्ष्मीनाथ ग्राम सेवा सहकारी समिति में व्यवस्थापक थे। विगत कुछ दिनों से समिति के दो डायेरक्टर दिनेश पुत्र रामनिवासी शर्मा व प्रवीण माहेश्वरी पुत्र राधेश्याम माहेश्वरी बिना वजह 25 लाख रुपए मांगने लगे। नहीं देने पर गबन की झूठी शिकायत करने लगे। समिति के डायरेक्टरों ने डिप्टी रजिस्ट्रार अभिलाषा पारिक व सहकारिता के अधिकारियों के साथ मिलकर जांच के आदेश करवा लिए।
सहकारी समिति अफसर ने कहा- आरोप निराधार
सहकारी विभाग के जांच अधिकारी व निरीक्षक कैलाश चौमियां ने कहा- पीसांगन की श्रीलक्ष्मीनाथ सोसायटी की जांच में मिले गबन/अनियमिताओं की रिपोर्ट तैयार कर 17 नवम्बर को नोटिस दिया था। सात दिन में जवाब मांगा था। इससे पहले ही उन्होंने (रामनिवास शर्मा) आत्महत्या कर ली। पच्चीस लाख मांगने व मामला दबाने का सवाल ही नहीं उठता। सभी आरोप निराधार हैं।
10 करोड़ से ज्यादा का गबन
नोटिस में बताया गया कि समिति के बचत बैंक जमा संबंधी गबन सोसायटी द्वारा सदस्यों से एफडीआर पेटे 9 करोड़ 56 लाख 39 हजार 176 रुपए एवं एसबी पेटे 4 करोड़ 25 लाख 36 हजार 601 रुपए तथा आरडी पेटे 15 लाख 12 हजार 500 रुपए कुल राशि 13 करोड़ 96 लाख 88 हजार 277 रुपए मिले थे।समिति के खातों/बैंक एफडीआर के रूप में इस रकम का निवेश करना रेकॉर्ड में नहीं है। इसके अलावा स्टॉक संबंधी भी अनियमितताएं सामने आई हैं। इनमें भी सोसायटी की ऑडिट रिपोर्ट 2022-23 अनुसार स्टॉक राशि 2 करोड़ 39 लाख 62 हजार 670 रुपए दर्शाया गया है, जबकि सोसायटी के पास वास्तविक स्टॉक इसके अनुरूप नहीं है। यह स्टॉक समिति के पास उपलब्ध है। सोसायटी की दुकान को किराए पर देने के लिए भी प्रचलित किरायादारी कानून के सामान्य प्रावधानों का पालन किए बिना ही अपनी मनमर्जी से सोसायटी की दुकानों को किराए पर देकर सोसायटी को आर्थिक हानि पहुंचाई गई है। आंकड़ों में हेराफेरी की गई है। फर्जी बैलेंसशीट बनाकर फर्जी आंकड़े डाले गए हैं।
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