जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

ऑल राजस्थान जाट महासभा की ओर से राजधानी जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में युवा जाट महापंचायत का आयोजन किया गया। महापंचायत की शुरुआत समाज के लोगों ने दीप प्रज्वलित कर की। इसके बाद समाज के महापुरुषों पर बनी डॉक्यूमेंट्री को दिखाया गया। इस दौरान वीर तेजाजी के जयकारे गूंज उठे।

महापंचायत में जाट समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय सदस्यों के साथ समाज के युवाओं की दिशा और दिशा पर चिंतन किया गया। महापंचायत के जरिए उन बिंदुओं पर फोकस किया गया, जो जाटों के अधिकारों से संबंधित है।

महापंचायत का उद्देश्य राजनीतिक नहीं
जाट महापंचायत से जुड़े महेश मावलिया ने बताया कि महापंचायत की मुख्य मांगों में आरपीएससी के नवनियुक्त सदस्य केसरी सिंह को हटाना, ओबीसी रिजर्वेशन को 35% करना और मनरेगा में SC के साथ-साथ सभी किसानों को खेत में काम करने का नियम लागू करने, पदोन्नति में ओबीसी आरक्षण लागू करने सहित कई मांगों को लेकर यह महापंचायत बुलाई गई। इस महापंचायत का उद्देश्य राजनीतिक नहीं, बल्कि समाज के युवाओं को एकजुट करना है।

उन्होंने कहा- इस महापंचायत में कोई बड़ा चेहरा नहीं, बल्कि हर एक युवा कार्यकर्ता ही हमारा बड़ा चेहरा है। महापंचायत के आयोजकों ने कहा- बड़े चेहरों ने समाज को ठगने का काम किया, इसलिए इस कार्यक्रम का कोई पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है।

हमारा विरोध केसरी सिंह की मानसिकता से है
जस्सा राम चौधरी ने आरक्षण के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि जाट कौम संघर्षशील कौम रही है। जयपुर रैली के बाद केंद्र और राज्य में आरक्षण मिला। आरक्षण का लाभ लेने के लिए सचेत रहना भी जरूरी है। ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण की मांग पर कहा कि मेरे हिसाब से यह सही नहीं है, इससे ओबीसी के लोगों में भेदभाव होगा।

ओबीसी आरक्षण के विभाजन पर चौधरी ने कहा कि इससे ओबीसी में फूट पड़ेगी, यह नहीं होना चाहिए। केसरी सिंह को RPSC सदस्य बनाने पर उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक संस्था है, इसमें सही सोच और विचार होना जरूरी है। केसरी सिंह पूर्वाग्रह के चलते वहां न्याय नहीं कर पाएंगे। किसी जाति से हमारा विरोध नहीं है, राजपूत समाज से पहले भी आरपीएससी अध्यक्ष और मेंबर रहे हैं, हमने कभी विरोध नहीं किया। हमारा विरोध केसरी सिंह की मानसिकता से है, इसलिए उन्हें उचित प्रक्रिया से हटाया जाना चहिए।

कृषि की अनदेखी के चलते किसान बर्बाद
किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा भारत कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन कृषि की अनदेखी के चलते किसान बर्बाद हो रहा है। कृषि को पूंजीपतियों को सौंपा जा रहा है। किसानों को MSP नहीं मिल रही है, इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। केन्द्र और राज्य सरकार किसानों को MSP नहीं देना चाहती है, इसके लिए संघर्ष करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसान जिन चीजों को खरीदता है उनके दाम बढ़े हैं, लेकिन किसान सिर्फ फसल बेचता है, उसके दाम नहीं बढ़ रहे हैं। जाट ने कहा कि आपने अब तक जाति, क्षेत्र दलों के आधार वोट दिए हैं, इस बार किसान बनकर वोट दें तो हालात बदल जाएंगे।

पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ओंकार सिंह ने कहा कि समाज का प्रतिनिधित्व घट रहा है, इसकी तरफ ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि मनरेगा विश्व की सबसे बड़ी रोजगार परक योजना है। इस योजना में कैटेगरी 4 के तहत भी व्यक्तिगत लाभ की योजना चलाई जा रही है। इसमें सभी किसानों को शामिल करना चाहिए, जिससे वो इस योजना के तहत अपने खेत में पौधारोपण, मेड बंधी का काम करके लाभ ले सकें।

ये है प्रमुख मांगें..

  • सरकारी सेवाओं में ओबीसी वर्ग के कर्मचारियों और अधिकारियों को पदोन्नति में आरक्षण।
  • न्यायपालिका और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग को आरक्षण।
  • राजस्थान में जाट महापुरुषों के नाम पर विश्वविद्यालय के लिए जयपुर जिले में जमीन आवंटित की जाए।
  • जाट राजाओं और महापुरुषों के इतिहास को राज्य सरकार की पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए।
  • मनरेगा योजना के वर्ग-4 में समस्त प्रकार के काश्तकारों को लाभान्वित करवाने, जिसमें जमीन के क्षेत्रफल की कोई सीमा बाधक नहीं बनाने की मांग।
  • बिना वर्गीकरण के ओबीसी आरक्षण को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 फीसदी किया जाए।
  • फल -फूल व सब्जियों के कलेक्शन, प्रोसेसिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए आरसीडीएफ की तरह फेडरेशन का गठन हो।
  • एमएसपी की बढ़ोतरी को राजकीय कर्मचारियों को बढ़ने वाले महंगाई भत्ते से जोड़े जाए।