पाली ब्यूरो रिपोर्ट। 

पाली के नेहड़ा बांध में बढ़ते प्रदूषण का मामला गरमाने लगा है। यहां के किसान बांध में उतर गए हैं और जल समाधि लेने पर अड़े हैं। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी है। किसानों ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो गहरे पानी में चले जाएंगे। उधर, कपड़ा उद्योग से जुड़े लोगों ने इसे बदनाम करने की साजिश बताया है। उन्होंने SDM को ज्ञापन भी सौंपा है। साथ ही कहा कि प्रशासन जांच करवा ले और नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

देर रात तक पानी में खड़े रहे किसान
सामाजिक कार्यकर्ता दीपक बामणिया अपने अनशन के छठे दिन रविवार सुबह करीब 10 बजे कुछ किसानों को लेकर बांध के पानी में उतर गए। उन्होंने कहा- हमारी मांगों को लेकर अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसा ही चलता रहा तो वे आंदोलन को उग्र करेंगे।

12 किसान और दीपक बामणिया रात के साढ़े दस बजे के बाद तक पानी में खड़े थे। उनकी मांग है कि नेहड़ा बांध को पूरी तरह साफ किया जाए। राजस्थान में पूरे केसीसी और किसानों के को-ऑपरेटिव बैंक से लिए लोन माफ किए जाएं। बांडी नदी में रंगीन पानी छोड़ने के लिए चोरी-छिपे अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाई गई है। उनकी तलाश कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे
रविवार शाम को उद्योग जगत की 12 संस्थाओं से जुड़े उद्यमियों सहित अन्य स्टाफ सैकड़ों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे। शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात SDM अशोक कुमार के सामने रखी। उन्होंने ज्ञापन सौंप कर कहा- गुजरात से चोरी-छिपे वेस्ट एसिड के टैंकर बांडी नदी में खाली हो रहे हैं। भांडू, सालावास में अवैध रूप से चल रहीं फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। नगर परिषद पाली के 15 से 20 हजार सीवरेज कनेक्शन अभी होने शेष हैं। उनका पानी भी नदी में छोड़ा जा रहा है। बदनाम पाली के उद्योग जगत को किया जा रहा है, जो गलत है। प्रशासन अपने स्तर पर इसकी जांच करवा ले। अगर पाली उद्योग जगत दोषी है तो उनके खिलाफ कार्रवाई करे, वरना पाली उद्योग जगत को बदनाम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। ज्ञापन सौंपते समय सीईटीपी अध्यक्ष अनिल गुलेच्छा, सचिव अरुण जैन, विनय बम्ब, मांगीलाल गांधी, रंजनीश कर्नावट, शिवजी प्रजापत आदि मौजूद रहे।

बांध पर भूख हड़ताल
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता दीपक बामणिया नेहड़ा बांध को बचाने की मांग को लेकर 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गेटअप में अमृतिया धाम कुलथाना से नेहड़ा बांध के लिए पैदल यात्रा पर निकले थे। तीन अक्टूबर से वे बांध पर भूख हड़ताल पर बैठ गए। उनकी भूख हड़ताल अभी भी जारी है। वे प्रदूषित हो रहे नेहड़ा बांध को बचाने के लिए स्थाई समाधान की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं। वे प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आरओ के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग पर अड़े हुए हैं।