जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान में गहलोत सरकार ने आवासों और भूखंडों की लीजडीड (पट्टे) पर दी रियायती पर राज्य निर्वाचन विभाग ने रोक लगा दी है। विभाग के इस फैसले के बाद प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत मिलने वाले रियायती या निशुल्क पट्टों पर रोक लगा दी है। इस निर्णय से अब पूरे प्रदेश की 200 से ज्यादा नगरीय निकायों में 60 हजार से ज्यादा पट्टे रूक गए है।
दरअसल राज्य सरकार ने साल 2 अक्टूबर 2021 से आमजन को राहत देते हुए रियायती दरों पर पट्टे देने के लिए प्रशासन शहरों के संग अभियान की शुरूआत की थी। इस अभियान में लोगों को भूखण्डों और मकानों के पट्टों, नाम ट्रांसफर, उपविभाग समेत अन्य कार्यो के लिए रियायत दिए गए। अभियान के तहत पूरे प्रदेश में सरकार ने 10 लाख पट्टे जारी करने का लक्ष्य रखा।
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने इस अभियान के तहत कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के नियमन पर लगने वाली राशि पर छूट देने के साथ ही हाउसिंग बोर्ड के मकानों की बकाया किश्त जमा करवाने पर भी ब्याज-पेनल्टी में छूट दी थी।
विभाग से मांगा था मार्गदर्शन
चुनाव आचार संहिता लगाने प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में काम लगभग रूक गया था। तब निकायों ने इस संबंध में नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा था कि क्या पुराने आवेदन जो प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत आए है उनका निस्तारण अभियान के तहत दी गई छूट के आधार पर करना है या सामान्य दरों के आधार पर। इस पर नगरीय विकास विभाग ने निर्वाचन विभाग को पत्र लिखकर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था। लेकिन आयोग ने इसे चुनाव आचार संहिता के दायरे में आने की बात कहते हुए रियायती दरों पर पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी थी।
9 लाख से ज्यादा पट्टे जारी
स्वायत्त शासन विभाग और नगरीय विकास विभाग से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे प्रदेश में सरकार ने इस अभियान के तहत सितम्बर तक 9.25 लाख से ज्यादा पट्टे जारी किए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में पूरे प्रदेशभर की 200 से ज्यादा नगरीय निकायों, यूआईटी, विकास प्राधिकरण में 60 हजार से ज्यादा आवेदन लम्बित है, जिन पर निर्णय करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी थी।
राजस्थान में गहलोत सरकार ने आवासों और भूखंडों की लीजडीड (पट्टे) पर दी रियायती पर राज्य निर्वाचन विभाग ने रोक लगा दी है। विभाग के इस फैसले के बाद प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत मिलने वाले रियायती या निशुल्क पट्टों पर रोक लगा दी है। इस निर्णय से अब पूरे प्रदेश की 200 से ज्यादा नगरीय निकायों में 60 हजार से ज्यादा पट्टे रूक गए है।
दरअसल राज्य सरकार ने साल 2 अक्टूबर 2021 से आमजन को राहत देते हुए रियायती दरों पर पट्टे देने के लिए प्रशासन शहरों के संग अभियान की शुरूआत की थी। इस अभियान में लोगों को भूखण्डों और मकानों के पट्टों, नाम ट्रांसफर, उपविभाग समेत अन्य कार्यो के लिए रियायत दिए गए। अभियान के तहत पूरे प्रदेश में सरकार ने 10 लाख पट्टे जारी करने का लक्ष्य रखा।
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने इस अभियान के तहत कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के नियमन पर लगने वाली राशि पर छूट देने के साथ ही हाउसिंग बोर्ड के मकानों की बकाया किश्त जमा करवाने पर भी ब्याज-पेनल्टी में छूट दी थी।
विभाग से मांगा था मार्गदर्शन
चुनाव आचार संहिता लगाने प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में काम लगभग रूक गया था। तब निकायों ने इस संबंध में नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा था कि क्या पुराने आवेदन जो प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत आए है उनका निस्तारण अभियान के तहत दी गई छूट के आधार पर करना है या सामान्य दरों के आधार पर। इस पर नगरीय विकास विभाग ने निर्वाचन विभाग को पत्र लिखकर इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था। लेकिन आयोग ने इसे चुनाव आचार संहिता के दायरे में आने की बात कहते हुए रियायती दरों पर पट्टे जारी करने पर रोक लगा दी थी।
9 लाख से ज्यादा पट्टे जारी
स्वायत्त शासन विभाग और नगरीय विकास विभाग से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे प्रदेश में सरकार ने इस अभियान के तहत सितम्बर तक 9.25 लाख से ज्यादा पट्टे जारी किए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में पूरे प्रदेशभर की 200 से ज्यादा नगरीय निकायों, यूआईटी, विकास प्राधिकरण में 60 हजार से ज्यादा आवेदन लम्बित है, जिन पर निर्णय करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी थी।
0 टिप्पणियाँ