जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

भाजपा ने इस बार टिकट बांटने में एक खास रणनीति अपनाए हुए है।  41 उम्मीदवारों की पहली सूची का गहन विश्लेषण इसकी साफ़ तस्वीर पेश करता है। इसके तहत भाजपा जयपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र की सभी 19 सीटों पर एक खास रणनीति के तहत टिकट बांट रही है। इस फॉर्मूले के तहत भाजपा ने जयपुर शहर की 8 सीटों पर साल 2018 में जिन नेताओं को टिकट दिया था, उनमें से ज्यादातर के टिकट कटेंगे। वहीं जयपुर ग्रामीण की 11 में से 7- 8 सीटों पर भी पिछली बार के टिकटों को बदला जा सकता है। केवल 3-4 टिकट ही होंगे जो इस बार भी रिपीट होंगे। प्रचारित किया जा रहा है कि भाजपा ने ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विशेष रिपोर्ट्स, फीडबैक और अनुशंषा के आधार पर करने का निर्णय किया है। लेकिन क्या यह पूरी तरह सच है या RSS की आड़ में वसुंधरा समर्थकों को किनारे किया जा रहा है ?

अगर एक एक उम्मीदवार का विश्लेषण करें तो तस्वीर एकदम साफ़ हो जाती है। 

1.  सांगानेर : अशोक लाहोटी  

सांगानेर में मौजूदा MLA अशोक लाहोटी जो कि जयपुर के महापौर भी रहे हैं। पार्टी ने 2008 में लाहोटी को सिविल लाइंस से टिकट दिया था, लेकिन वे हार गए थे। बाद में उन्हें वर्ष 2018 में सांगानेर से टिकट दिया और वे जीते। अब अंदरखाने से खबर है कि वर्ष 2020-21 में जयपुर की सफाई व्यवस्था के संबंध में एक कंपनी की भूमिका को लेकर उठे विवाद में उनका भी नाम आने पर संघ उनसे नाराज है। यहाँ यह बात खास है कि लाहोटी को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का करीबी भी माना जाता है।

2. किशनपोल : मोहन लाल गुप्ता 

किशनपोल से वर्ष 2018 में मोहन लाल गुप्ता को टिकट दिया गया था। गुप्ता भी जयपुर के महापौर रहे हैं। इससे पहले गुप्ता लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में विधायक रहे हैं। यहां मतदाता कम हुए हैं और भाजप ने लगातार इसको मुद्दा बनाने की कोशिश की है। इसके पीछे सीधा इरादा अल्पसंख्यक मतदाताओं की बहुलता के चलते संघ का इस क्षेत्र में किसी हिंदुवादी चेहरे को आगे बढ़ाने ला लक्ष्य है। यहाँ भी यह सनद रहे कि गुप्ता भी पूर्व सीएम राजे के खेमे के माने जाते हैं।

3. मालवीय नगर : कालीचरण सर्राफ 

मालवीय नगर से पार्टी के मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ हैं। उनकी आयु लगभग 71 वर्ष है जो कि भाजपा के इस बार के फॉर्मूले में फिट नहीं बैठती। 8 बार विधायक बने हैं। दीगर बात यह है कि सर्राफ भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कैंप से माने जाते हैं।

4. हवामहल : सुरेंद्र पारीक 

हवामहल को भाजपा का गढ़ माना जाता है और वो पिछले 10 में से 8 चुनाव यहाँ जीती है। साल 2008 और 2018 में उसे हार का मुंह देखना पड़ा था।   भाजपा और संघ पिछले 3 में से 2 बार यहां चुनाव हारने को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। ऐसे में यहां भी पार्टी संघ की हिन्दू विचारधारा के अनुकूल व्यक्ति को उम्मीदवार बनाना चाहती है। संघ निष्ठ सुरेंद्र पारीक का पिछली बार कांग्रेस के महेश जोशी से हार जाना और फिर उसके बाद उनकी निष्क्रियता पारीक के खिलाफ जा रही है अन्यथा उम्र आदि पैमानों पर वे खरे उतरते हैं और उन पर वसुंधरा के नजदीकी होने का भी लेबल नहीं है। 

वैसे राजकाज के सूत्र बताते हैं कि इस बार यहाँ से संघनिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा को टिकट दिया जा सकता है जो सांगानेर से जोर लगा रहे हैं। 

5. आदर्शनगर : अशोक परनामी

 यहां वर्ष 2008 और 2013 में भाजपा के अशोक परनामी ने जीत दर्ज की थी। परनामी को वर्ष 2018 में भी टिकट दिया गया था, लेकिन वे हार गए थे। परनामी पूर्व सीएम राजे के बेहद विश्वस्त नेता माने जाते हैं और राजे के सीएम रहते ही परनामी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र से फिलहाल पार्टी के पास बड़े दावेदार नहीं है। इसलिए यदि परनामी का टिकट कटता है तो पार्टी किसी युवा पर दांव लगा सकती है।

6. सिविल लाइंस : अरुण चतुर्वेदी  

2008 में गठित इस सीट पर पिछले तीन चुनावों में से दो बार कांग्रेस की जीत हुई है। इस सीट पर भाजपा केवल 2013 में जीती थी। तब डॉ. अरुण चतुर्वेदी को टिकट दिया गया था। उन्हें वर्ष 2018 में भी टिकट दिया गया था, लेकिन वे हार गए थे। यहां भी संभवत: विद्याधर नगर व झोटवाड़ा की तरह किसी बड़े चर्चित चेहरे को उतारा जा सकता है।

कौन हो सकता है रिपीट ?

7. आमेर : सतीश पूनिया 

भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया आमेर से मौजूदा विधायक हैं। उन्हें प्रदेशाध्यक्ष पद के बाद पार्टी ने विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष भी बनाया है। पूनिया की गिनती पार्टी के प्रति समर्पित नेताओं में होती है। वे भाजपा और संघ दोनों की पसंद है। उनका टिकट रिपीट होना तय है। वैसे भी सतीश पूनिया को हमेशा से आरएसएस की पसंद माना जाता है। इसके अलावा पार्टी नेतृत्व के भी वे करीबी के तौर पर जाने जाते हैं।

8. फुलेरा : निर्मल कुमावत

कभी कांग्रेस का गढ़ रही फुलेरा सीट पिछले चार चुनावों से भाजपा जीत रही है, जिसमें वर्ष 2008, 2013 और 2018 में निर्मल कुमावत ने लगातार जीत दर्ज की है। कुमावत मतदाताओं के बाहुल्य वाली सीट पर निर्मल अभी तक नाबाद बने हुए हैं। उनका टिकट भी रीपीट होना तय माना जा रहा है।

9. चौमूं : रामलाल शर्मा 

यहां से वर्ष 2003, 2013 और 2018 में रामलाल शर्मा ने जीत दर्ज की है। वे पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता भी हैं और राजस्थान विवि के महासचिव भी रहे हैं। पार्टी गतिविधियों में उनकी भूमिका हमेशा बढ़-चढ़कर रहती है। उन्हें भी टिकट मिलना पक्का माना जा रहा है।

जयपुर ग्रामीण 

जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले बस्सी और कोटपूतली का टिकट पार्टी ने बदल ही दिया है। अब चाकसू, विराटनगर, शाहपुरा, बगरू व जमवा रामगढ़ के टिकट भी उन नेताओं को मिलना बेहद मुश्किल हैं, जिन्हें पिछली बार 2018 में मिले थे। इन सीटों से क्रमश: रामावतार बैरवा, फूलचंद भिंडा, राव राजेन्द्र सिंह, कैलाश वर्मा और महेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया गया था। यह सभी चुनाव हार गए थे। इनमें से भिंडा की आयु लगभग 75 वर्ष है। शेष चारों उम्मीदवार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं।

जयपुर क्षेत्र में कुल 19 सीटें

राजधानी जयपुर क्षेत्र में विधानसभा की कुल 19 सीटें आती हैं। इस क्षेत्र की सीटें जयपुर, जयपुर ग्रामीण, अजमेर, सीकर और दौसा लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हुई हैं।

जयपुर के शहरी इलाके में मालवीय नगर, सिविल लाइंस, किशनपोल, हवामहल, विद्याधर नगर, आदर्शनगर, सांगानेर और झोटवाड़ा सीटें आती हैं।

जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र में फुलेरा, आमेर, दूदू, बगरू, चाकसू, बस्सी, जमवा रामगढ़, शाहपुरा, विराटनगर, कोटपूतली और चौमूं सीटें शामिल हैं।

पहली सूची में शहर-ग्रामीण से 2-2 टिकट बदले

विद्याधर नगर : राजवी की जगह दीया कुमारी

विद्याधर नगर सीट से भाजपा के नरपत सिंह राजवी लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं। वे पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के दामाद भी हैं। उनकी लगातार जीत के बावजूद भाजपा ने उनका टिकट इस बार बदल दिया है। उनके स्थान पर पार्टी ने राजसमंद सांसद दीया कुमारी को उम्मीदवार बनाया है। सनद रहे कि दिया कुमारी और राजे की अदावत खासी चर्चित रही है।  

दूदू : प्रेमचंद बैरवा को फिर से मौका

दूदू में प्रेमचंद बैरवा का टिकट ही रीपीट किया गया है। बैरवा को वर्ष 2013 और 2018 में भी टिकट दिया गया था। वे वर्ष 2013 में जीते और 2018 में हार गए। उन्हें इस बार वर्ष 2023 में भी उम्मीदवार बनाया गया है।

झोटवाड़ा : राजपाल सिंह की जगह राज्यवर्द्धन राठौड़

इस सीट पर राजपाल सिंह शेखावत को वर्ष 2018 में टिकट दिया गया था, लेकिन वे चुनाव हार गए थे। शेखावत को इसी सीट से 2008 और 2013 में भी टिकट दिया गया था। वे दोनों बार जीते थे और वसुंधरा सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे। इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। इस सीट से जयपुर ग्रामीण क्षेत्र के सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ को टिकट दिया गया है।

कोटपूतली : मुकेश गोयल के बजाय हंसराज पटेल

यहां से वर्ष 2018 में भाजपा ने मुकेश गोयल को टिकट दिया था। वे चुनाव हार गए थे। यह सीट भाजपा पिछले तीन चुनावों से लगातार हार रही है। इस बार यहां से हंसराज पटेल गुर्जर को टिकट दिया गया है।

बस्सी : कन्हैयालाल की जगह चंद्रमोहन मीणा

बस्सी में पिछली बार 2018 में कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया गया था। वे पूर्व विधायक हैं, लेकिन वर्ष 2018 में हार गए थे। यह सीट भी भाजपा लगातार तीन बार से हार रही है। इस बार यहां रिटायर्ड आईएएस अफसर चंद्रमोहन मीणा को टिकट दिया गया है। मीणा हाल ही भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा ने उन्हें अपनी प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति में भी सदस्य बनाया है।