जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।

राजस्थान में सरकार द्वारा एफआईआर के संबंध में पंजीकरण अनिवार्य करने की व्यवस्था के कारण ही प्रकरणों की संख्या बढ़ी है। इस बढ़ी संख्या के आधार पर अपराधों में वृद्वि मानना उचित नही होगा।

राजस्थान पूर्व डीजीपी एमएल लाठर का कहना है कि यह वृद्धि महिलाओं एवं समाज के कमजोर वर्गों सहित आमजन का पुलिस कार्यवाही के प्रति बढ़ते विश्वास का द्योतक है।

राष्ट्रीय स्तर पर अपराध के आंकड़े जारी करने वाली एजेंसी एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया-2021 के प्रिएम्बल में ही यह स्पष्ट किया गया है कि “अपराध समाज में विद्यमान विभिन्न परिस्थितियों का परिणाम है। प्रदेश में पॉक्सो मामलों के अनुसंधान में लगने वाला औसत समय 2019 में 137 दिन से 57 दिन व दुष्कर्म मामलों में 141 से 54 दिन रह गया है।