जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में चुनाव की घोषणा के साथ ही पार्टियों ने टिकट की घोषणा शुरू कर दी है। इस बीच राजस्थान की 15वीं विधानसभा के सबसे अमीर, सबसे कम संपत्ति वाले और क्रिमिनल केस वाले विधायकों की रिपोर्ट सामने आई है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) और राजस्थान इलेक्शन वॉच ने राज्य के 2018 विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए उपचुनाव के शपथ पत्रों के आधार पर 199 वर्तमान विधायकों का एनालिसिस किया है। उदयपुर सीट फिलहाल खाली है।

इस एनालिसिस में सामने आया कि राजस्थान के विधायकों की औसत संपत्ति 7.49 करोड़ रुपए है। इसमें कांग्रेस के विधायकों की औसत संपत्ति (9.28 करोड़), बीजेपी विधायकों की औसत संपत्ति (5.45 करोड़) से ज्यादा है।

वहीं, आरएलपी के विधायकों की औसत संपत्ति 1.19 करोड़, सीपीएम के विधायकों की 24.24 लाख और बीटीपी के विधायकों की औसत संपत्ति 7.66 लाख है।

3 विधायक अरबपति और 157 करोड़पति हैं। यानी प्रदेश के 79 फीसदी विधायक करोड़पति हैं। कांग्रेस के 88 और बीजेपी के 54 विधायक करोड़पति हैं। आरएलपी के 2 और आरएलडी का 1 विधायक करोड़पति है। वहीं, 86 फीसदी निर्दलीय करोड़पति हैं।

कौन सबसे धनवान और कौन सबसे गरीब विधायक

  • राजस्थान के सबसे अमीर विधायकों की लिस्ट में पहले नंबर पर सीकर की धोद सीट से विधायक परसराम मोरदिया हैं। मोरदिया की संपत्ति 1 अरब 72 करोड़ रुपए है।
  • दूसरे नंबर पर चितौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा से विधायक और मंत्री उदयलाल आंजना हैं। आंजना की संपत्ति 1 अरब 7 करोड़ है।
  • तीसरे नंबर पर भरतपुर के डीग कुम्हेर से विधायक और मंत्री विश्वेंद्र सिंह हैं। सिंह की संपत्ति 1 अरब 4 करोड़ है।
  • सबसे कम संपत्ति वाले विधायक

    • सबसे कम संपत्ति डूंगरपुर की चौरासी सीट से बीटीपी विधायक राजकुमार रोत ने घोषित की है। रोत की संपत्ति मात्र 1 लाख 22 हजार है।
    • दूसरे नंबर पर नागौर की लाडनूं सीट से विधायक मुकेश भाकर हैं। भाकर की संपत्ति 5.92 लाख रुपए है।
    • तीसरे नंबर पर नागौर के परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया हैं। गावड़िया ने अपनी संपत्ति 6.45 लाख घोषित की है।

    कितने विधायकों के खिलाफ गंभीर आपराधिक केस
    28 विधायक ऐसे हैं, जिन पर गंभीर किस्म के आपराधिक केस दर्ज हैं। यानी 14 फीसदी विधायकों के खिलाफ गंभीर किस्म के केस हैं। कांग्रेस के 18 यानी 17 फीसदी जबकि बीजेपी के 6 यानी 9 फीसदी विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

    वहीं, 43 फीसदी निर्दलीयों पर भी गंभीर केस चल रहे हैं। एक विधायक ने हत्या और 4 विधायकों ने हत्या के प्रयास के केस के बारे में जानकारी दे रखी है। गंभीर किस्म के अपराधों में हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, बलात्कार, भ्रष्टाचार जैसे मामले शामिल हैं।

  • किस विधायक पर कितनी देनदारी
    39 विधायकों ने अपनी देनदारी 1 करोड़ से अधिक घोषित की है। सबसे ज्यादा 34 करोड़ की देनदारी मांडलगढ़ विधायक गोपाललाल शर्मा पर है। आदर्श नगर से विधायक रफीक खान 33 करोड़ की देनदारी के साथ दूसरे नंबर पर हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर हिंडोली से विधायक अशोक चांदना हैं। चांदना पर 21 करोड़ की देनदारी है।

    25 से 50 साल की उम्र के हैं 40 फीसदी विधायक
    प्रदेश के 80 विधायकों यानी 40 फीसदी ने अपनी उम्र 25 से 50 साल के बीच बताई है। जबकि 119 यानी 60 फीसदी विधायकों ने अपनी उम्र 51 से 85 साल के बीच बताई है। 25 से 30 साल की उम्र के मात्र 3 विधायक हैं।

  • विधायकों की औसत संपत्ति 2.69 करोड़ बढ़ी
    2013 के विधानसभा चुनाव में चुने गए विधायकों में से 143 ने 2018 में चुनाव लड़ा था। इनमें से 137 विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण किया गया। 6 विधायकों के शपथ पत्र स्पष्ट नहीं होने से उनका विश्लेषण नहीं हो पाया।

    137 विधायकों की 2013 में औसत संपत्ति 7.24 करोड़ थी जो 2018 में बढ़कर 9.93 करोड़ हो गई। यानी 5 साल में विधायकों की औसत संपत्ति 2.69 करोड़ बढ़ी। यानी संपत्ति में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

    बीजेपी से दोबारा चुनाव लड़ने वाले 99 विधायकों की औसत संपत्ति 2.43 करोड़ बढ़ी यानी इनकी संपत्ति में 44.36 फीसदी की वृद्धि हुई।

    कांग्रेस से दोबारा चुनाव लड़ने वाले 25 विधायकों की औसत संपत्ति 1.58 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। यानी इनकी संपत्ति में 18.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

  • 2013 से 2018 के बीच इनकी संपत्ति सबसे अधिक बढ़ी

    • 2013 में गंगानगर से नेशनल यूनियनिस्ट जमीदारा पार्टी की विधायक बनी कामिनी जिंदल की संपत्ति 2018 तक सबसे ज्यादा बढ़ी। उनकी संपत्ति में 5 साल में 90 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। 2013 में उनकी संपत्ति 197 करोड़ थी जो 2018 में बढ़कर 287 करोड़ हो गई। यानी उनकी संपत्ति में 46 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
    • संपत्ति में बढ़ोतरी की दृष्टि से दूसरे नंबर पर 2013 में नीमकाथाना से विधायक बने प्रेमसिंह बाजौर रहे। बाजौर की संपत्ति में 2013 से 2018 के बीच 54 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। 2013 में उनकी संपत्ति 87 करोड़ थी जो बाद में 142 करोड़ हो गई। यानी संपत्ति में 62 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
    • मसूदा से 2013 में विधायक बनीं सुशील कंवर संपत्ति में 43 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ तीसरे नंबर पर रहीं। उनकी संपत्ति 2013 में 16 करोड़ थी जो 2018 में बढ़कर 60 करोड़ हो गई। यानी उनकी संपत्ति में 265 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
    • दोबारा चुनाव लड़ने वाले विधायकों की संपत्ति में बढ़ोतरी को प्रतिशत की दृष्टि से देखें तो रायसिंह नगर से जमींदारा पार्टी की विधायक सोनादेवी बावरी पहले नंबर पर रहीं। उनकी संपत्ति में 2013 से 2018 के बीच काफी बढ़ोतरी हुई। 2013 में उनकी संपत्ति 61 हजार थी जो 2018 में बढ़कर करीब 68 लाख हो गई।
    • दूसरे नंबर पर प्रतिशत की दृष्टि से 2013 में किशनगंज से विधायक बने ललित मीणा रहे। उनकी संपत्ति 5 साल में 949 फीसदी बढ़ी। ललित मीणा की संपत्ति 2013 में करीब 10 लाख थी जो 2018 में बढ़कर करीब 1 करोड़ हो गई।
    • बगरू से 2013 में बीजेपी की टिकट पर विधायक बने कैलाश चंद वर्मा संपत्ति की बढ़ोतरी के मामले में तीसरे नंबर पर रहे। 2013 से 2018 के बीच उनकी संपत्ति 483 फीसदी बढ़ी। 2013 में उनकी संपत्ति करीब 13 लाख थी जो 2018 में बढ़कर 78 लाख हो गई।

    (सोर्स-एडीआर, 199 विधायकों के शपथ पत्रों का विश्लेषण)