कोटा ब्यूरो रिपोर्ट।
प्रदेश में डेंगू का स्ट्रेन D2 एक्टिव है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर की जांच के डेंगू के घातक स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। डेंगू के D2 स्ट्रेन की मोरटेलिटी रेट (मृत्युदर) अन्य स्ट्रेन से ज्यादा है। इसकी चपेट में आने से डेंगू शॉक सिंड्रोम व डेंगू हेमेंरेजिक सिंड्रोम हो जाते है। इस कारण मरीज का लीवर व किडनी प्रभावित हो जाते है। फेफड़े व पेट के आसपास पानी भरने लगता है। शरीर पर सूजन आने लगती है। पेशाब की मात्रा कम हो जाती है। जो जानलेवा हो जाता है।
सीएमएचओ डॉक्टर जगदीश सोनी ने बताया कि डेंगू के घातक स्ट्रेन की पुष्टि होने के बाद निदेशालय चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं जयपुर में प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल अधीक्षक और सीएमएचओ को डेंगू के मरीजों के लिए बेड आरक्षित करते हुए मच्छररोधी वार्ड बनाने के निर्देश दिए है।
क्यो है घातक
मेडिकल कॉलेज कोटा के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर मनोज सालूजा ने बताया डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं 1,2,3 व 4। इन चारों स्ट्रेन में D 2 सबसे घातक होता है। बाकी तीनो स्ट्रेन से होने वाला फीवर सामान्य डेंगू फीवर होता है। कॉम्प्लिकेशन दर कम होता है। D 2 स्ट्रेन में कॉम्प्लिकेशन की दर ज्यादा होती है। इसमें तेज बुखार आता है। पेट दर्द, उल्टी होती है। इस स्ट्रेन में डेंगू शॉक सिंड्रोम व डेंगू हेमेरिजक फीवर देखने को मिलता है।
अन्य स्ट्रेन की तुलना में डेंगू का D 2 स्ट्रेन तेजी से फैलता है। प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरती है। इसमें शुरू के 4 दिन तेज बुखार आता है बुखार के साथ सिर दर्द,उल्टी, बदन दर्द की शिकायत होती है। चौथे दिन से प्लेटलेट्स तेजी से गिरना शुरू हो जाती है जिस वजह से शरीर पर नील चकत्ते बनने लग जाते हैं और शरीर के अलग-अलग हिस्सों से खून का रिसाव होने का खतरा बढ़ जाता है। चौथे दिन से रक्तनलिकाओं से प्लाज्मा का शरीर के विभिन्न अंगों में रिसाव होने लग जाता है जिस कारण मरीज शॉक में चला जाता है उसका बीपी कम हो जाता है। डॉक्टर सालूजा ने बताया कि पहले अन्य स्ट्रेन से इंफेक्शन हुआ है और अब D2 से इंफेक्शन होता है तो ज्यादा घातक व जानलेवा होता है।
आज भी 28 डेंगू के नए केस
शहर में डेंगू लगातार पैर पसार रहा है। चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार आज भी डेंगू के 28 नए मामले व स्क्रब टाइफस के दो नए मरीज मिले। जिले में इस साल अब तक डेंगू के 395 मामले सामने आ चुके हैं।जबकि स्क्रब टायफस के 75 मामले सामने आ चुके।
कलेक्टर मैदान में उतरे
शहर में मौसमी बीमारियों की रोकथाम के परीक्षण करने कलेक्टर ओपी बुनकर मैदान में उतरे। जवाहर नगर, महावीर नगर, तलवंडी में जाकर चिकित्सा विभाग के प्रयासों का निरीक्षण किया। घरों में जाकर कूलर, पानी भराव वाले स्थान का निरीक्षण किया।इस दौरान सीएमएचओ डॉ. जगदीश सोनी, सहित अधिकारी भी साथ रहे।
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