जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों पर रोक को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की अदालत ने जय भट्ट और विकास घोसल्या की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार, आरयू कुलपति औऱ रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किए है।

सरकार की ओऱ से एजी एमएस सिंघवी ने जवाब के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट सरकार को जवाब पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया हैं।

यूनिवर्सिटीज़ ऑटोनॉमस बॉडी, सरकार को दखल का अधिकार नहीं
याचिकाओं में कहा गया है कि विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस बॉडी हैं। इसलिए राज्य सरकार को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं हैं। वहीं छात्रसंघ चुनाव के जरिए अपना प्रतिनिधि चुनना हर छात्र का अधिकार है। उससे स्टूडेंट्स को वंचित नहीं किया जा सकता हैं।

लिंगदोह समिति की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव हर साल होने चाहिए। सरकार का निर्णय गलत है। ऐसे में कोर्ट सरकार के रोक के आदेश को रद्द करें।

कुलपतियों की सिफारिश पर रोके गए थे चुनाव
छात्रसंघ चुनाव को लेकर 12 अगस्त को उच्च शिक्षा विभाग की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नई शिक्षा नीति-2020 लागू करने के साथ ही यूनिवर्सिटी में चल रही एडमिशन और रिजल्ट प्रक्रिया का हवाला देकर छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाने की बात कही थी, जिस पर सर्व सम्मति से इस साल चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया।

प्रदेशभर में हो रहा फैसले का विरोध
छात्रसंघ चुनावों पर बैन लगाने के फैसले का विरोध प्रदेशभर में हो रहा है। छात्र संगठन व छात्र नेता अलग-अलग तरीके से इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। फैसले का सबसे ज्यादा विरोध जयपुर में देखने को मिल रहा है। कई बार प्रदर्शनकारी छात्रों व पुलिस के बीच झड़प भी हो चुकी हैं। छात्र बैन हटाने की मांग को लेकर अर्द्ध नग्न प्रदर्शन से लेकर खुद पर पेट्रोल छिड़क कर आत्मदाह करने की चेतावनी भी दे चुके हैं। इस मुद्दे पर एबीवीपी व एनएसयूआई भी एक मंच पर दिखाई देते हैं। वहीं 14 सितम्बर को इसी मांग को लेकर जयपुर में छात्रों ने एक बड़ी रैली करने का एलान भी किया हुआ है।