बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनौती दी है कि उन पर लगे आरोपों की जांच करवाएं। मैं खुद चाहता हूं कि इस पूरे मामले की जांच हो। कलेक्टर रहते हुए मुझे जो करना चाहिए था, मैंने वो ही किया। मैंने रॉबर्ट वाड्रा के जमीन घोटालों को जनता के सामने रखा था, इसलिए गहलोत रिएक्शन कर रहे हैं।

देश के कानून मंत्री ने कहा कि लोकसभा में रॉबर्ट वाड्रा का जमीनों से जुड़ा मामला उठाया था और आगे भी इस मुद्दे पर काम करता रहूंगा। इसी कारण गहलोत ने रिएक्शन में ये काम किया है। मुझे तो आश्चर्य है कि अब तक गहलोत क्या कर रहे थे? उन्हें ताे अपने पहले कार्यकाल में ही ये जांच करवा लेनी चाहिए थी। इन आरोपों को गंभीर कहने पर भी मेघवाल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि कुछ भी गंभीरता नहीं है।

इस चुनाव में पार्टी की तैयारी

भारतीय जनता पार्टी संगठन आधारित पार्टी है। संगठन को मजबूत करने के लिए कई कार्यक्रम हाथ में लेती है। इन्हीं कार्यक्रमों की शृंखला में एक कार्यक्रम परिवर्तन संकल्प यात्रा भी है। गहलोत सरकार के शासन से जनता ऊब चुकी है। दलितों पर अत्याचार बढ़े, महिलाओं पर अत्याचार बढ़े। कानून व्यवस्था बिगड़ी, भ्रष्टाचार बढ़ा है। इसलिए भाजपा परिवर्तन यात्रा लेकर निकली है।

अब आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया। आप पर भी गंभीर आरोप है

कत्तई गंभीर नहीं है। मैं तो इतने वर्षों से आपके बीच में हूं। मुझे आश्चर्य है कि ये आरोप कैसे लगाए? मैं तो आप लोगों के बीच ही हूं। आप कर क्या रहे थे? मैं फिर कह रहा हूं कि रॉबर्ट वाड्रा का मुद्दा मुझे उठाना ही था। इसी कारण उन्हें दिक्कत थी। आज नहीं पहले सीएम कार्यकाल में भी गहलोत को ये दिक्कत थी।

भाजपा किसी फेस पर चुनाव क्यों नहीं लड़ रही?

ये राष्ट्रीय नेतृत्व का मुद्दा है। देश, काल परिस्थिति के आधार पर हर राज्य की अलग -अलग परिस्थितियां होती हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व जो तय करेगा, हम सब साथ हैं। हम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सब चेहरे इन यात्राओं में दिख ही रहे हैं ना।

क्या आजादी के बाद पहली बार बीकानेर से कोई मुख्यमंत्री होगा।

ये मेरा मुद्दा नहीं है।

चुनाव में भाजपा की क्या स्थिति लगती है? कितनी सीट आएगी।

गणना तो हम नहीं कर पा रहे हैं और न हमें करनी चाहिए। इतना कह सकता हूं कि भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आ रही है।

एक देश एक नेशन को लेकर विपक्ष बहुत नाराज है।

ये चाहते नहीं है कि देश में किसी तरह का सुधार हो। इन लोगों ने जीएसटी का भी विरोध किया था। आज जीएसटी कितना अच्छा चल रहा है। इससे इकोनॉमी सुधर गई।

विपक्ष कहता है ये संविधान के मुताबिक नहीं है।

देखिए 1952 में चुनाव एक साथ हुआ। 1957, 1962, 1967 में चुनाव हुआ। ये सभी चुनाव एक साथ हुए तो क्या कांग्रेस उस समय चुनाव ठीक नहीं करवा रही थी क्या? ये इलैक्शन रिफोर्म से जुड़ा हुआ मुद्दा है। देश को हर समय चुनाव में ही रहना है क्या? राहुल गांधी ने बोला कि ऐसी कोई बैठक नहीं हुई। राहुल गांधी को पता ही नहीं कि 2019 में इसकी एक बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस शामिल नहीं हुई।