जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

कांग्रेस स्ट्रैटेजिक कमेटी के अध्यक्ष और विधायक हरीश चौधरी ने ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने को लेकर अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर सवाल उठाए हैं। हरीश चौधरी ने कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं पर हनुमान बेनीवाल से साठगांठ करने और कांग्रेस को खींवसर उपचुनाव हरवाने के लिए सौदेबाजी का आरोप लगाया है।

पीसीसी वॉर रूम में बुधवार को स्ट्रैटेजिक कमेटी की बैठक थी। इस मीटिंग के बाद हरीश चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा- खींवसर उपचुनाव का निष्पक्ष आकलन कर लीजिए। किसके इशारे पर खींवसर उपचुनाव हराया गया था। सौदेबाजी की वजह से खींवसर उप चुनाव हारे थे। उपचुनाव की हार जांच का विषय है। खींवसर उप चुनाव में सौदेबाजी हुई थी। यह तो दुनिया ने देखी है। ज्योति मिर्धा ने खींवसर उपचुनाव में ईमानदारी से कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया। नागौर में एक प्रभारी के तौर पर यह मैं कह सकता हूं।

मारवाड़ कांग्रेस का गढ़ था, आज जालोर, पाली, सिरोही की हालत देख लीजिए

कांग्रेस स्ट्रैटेजिक कमेटी के अध्यक्ष हरीश चौधरी बोले- ज्योति मिर्धा ने खींवसर उपचुनाव में पूरी ईमानदारी से काम किया। उस ईमानदारी से काम करने का उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा। पांच साल में नागौर के अंदर ऐसी क्या स्थिति बन गई, जिसके कारण ज्योति मिर्धा को कांग्रेस छोड़कर जाना पड़ा। मारवाड़ कांग्रेस का बहुत बड़ा गढ़ हुआ करता था। उस मारवाड़ में पाली, जालोर, सिरोही में आज कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचा। हमारी पुरानी पीढ़ी ने हमें मारवाड़ में बहुत मजबूत कांग्रेस सौंपी। हम कांग्रेस की क्या हालत बना रहे हैं? हम अगली पीढ़ी को क्या देकर जा रहे हैं? क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम अगली पीढ़ी को सौंपें। कांग्रेस की मारवाड़ में इस तरह की हालत किस कारण से हो रही है? इन सब पर हमें सोचना होगा। जिस तरह की राजनीति की जा रही है, उसमें क्या हम पार्टी को मजबूती दे पाएंगे? क्या राजनीति राहुल गांधी के सिद्धांतों पर करनी चाहिए या सौदेबाजी के सिद्धांत पर करनी चाहिए? यह हर राजनीतिक करने वाले को तय करना पड़ेगा। मैं इस तरह की राजनीति को सौदेबाजी सुपारी की राजनीति में विश्वास नहीं करता।

कोई सच्चा कांग्रेसी बेनीवाल से गठबंधन करना तो दूर सोच भी कैसे सकता है?

हरीश चौधरी ने कहा- हनुमान बेनीवाल की पार्टी प्रायोजित पार्टी है, नागौर में जाकर बात करेंगे तो हर कोई बता देगा, कौन प्रायोजित कर रहा है? राजस्थान में एक नई संस्कृति पैदा करने की कोशिश की गई है क्या राजस्थान को ऐसी राजनीति चाहिए, बिल्कुल नहीं। गठबंधन के सवाल पर कहा- कोई भी कांग्रेस का वर्कर बेनीवाल से गठबंधन करना तो दूर इस तरह की कल्पना भी कर सकता है क्या? जिस तरह उन्होंने किया है उसमें कोई गठबंधन का प्रस्ताव रखने की हिम्मत भी रख सकता है क्या? कांग्रेस का चौगा पहनकर अलग विचारधारा रखता है वही गठबंधन की बात कर सकता है।

कांग्रेस को बिना किसी गठबंधन चुनाव लड़ना चाहिए

विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन पर हरीश चौधरी ने कहा कि पिछले चुनाव में कुछ दलों के साथ पार्टी ने गठबंधन किया था, लेकिन उन क्षेत्रों में पार्टी का कार्यकर्ता आहत हुआ है। ऐसे में हमारा मानना है कि कांग्रेस पार्टी सक्षम है और बिना किसी के गठबंधन चुनाव लड़ना चाहिए।

नागौर में सौदेबाजी की राजनीति की वजह से ज्योति मिर्धा को जाना पड़ा

हरीश चौधरी ने कहा- ज्योति मिर्धा का बीजेपी में जाना रिसर्च का विषय है। पिछले पांच साल से नागौर जिले में ऐसे क्या हालत बने कि तीन पीढ़ियों से कांग्रेसी परिवार की नेता को पार्टी छोड़कर जाना पड़ा। यह विचार करनेवाली बात है। कोई यूं ही पार्टी छोड़कर नहीं जाता। नागौर में कांग्रेस बहुत मजबूत थी। कांग्रेस कभी सौदेबाजी और सुपारी की राजनीति नहीं करती थी। एक नई संस्कृति राजस्थान की राजनीति में लाने का कुछ लोग प्रयास कर रहे हैं, जो सौदेबाजी सुपारी की है। राजस्थान में इस तरह की राजनीति का कोई स्थान नहीं है।

हनुमान बेनीवाल की कोई विचारधारा नहीं, कभी राइट-कभी लेफ्ट होते रहते हैं

हरीश चौधरी ने कहा- हनुमान बेनीवाल की कोई विचारधारा नहीं है। केवल विवादों के माध्यम से अपनी जगह बनाना चाहते हैं। वह राजस्थान की राजनीति में कोई इतने बड़े लोगों के मन में जगह बनाने वाला नेता भी नहीं हैं। पिछले पंचायत चुनाव के नतीजे भी यह बता रहे हैं। आने वाले चुनाव के नतीजे भी आपको पता हैं। चुनाव हारना-जीतना अलग बात है। राजनीतिक नेतृत्व, विचारों और आपके व्यवहार, नीतियों, कार्यक्रम से होता है। बेनीवाल एक बार बीजेपी में गए फिर उसके खिलाफ हो गए। फिर कम्युनिस्टों के साथ चले गए। एक बार राइट, एक बार लेफ्ट के साथ बैठ जाना, जो इच्छा वह बोल देना यह उनकी फितरत है।

हनुमान बेनीवाल ने ओम बन्ना को लेकर हल्की भाषा का इस्तेमाल किया

हरीश ने कहा- हनुमान बेनीवाल हल्की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। लोगों की आस्था से खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आते। ओम बन्ना के लिए लोगों में आस्था है। उनके बारे में हनुमान बेनीवाल ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया वह बहुत ही गलत थी। आप किसी की आस्था पर चोट कैसे कर सकते हैं? तेजाजी हमारे लोकदेवता हैं। कल रिएक्शन में उनके बारे में कुछ बोला गया तो समाज में किस तरह का माहौल बनेगा? क्या आप इस तरह की राजनीति राजस्थान में करोगे? किसी की आस्था पर गलत बोलना हमारी संस्कृति नहीं रही है।