कोटा - हंसपाल यादव 
चंबल रिवर फ्रंट के निर्माण को अवैधानिक व अवैध बताते हुए कोटा उत्तर पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि यह निर्माण पूर्ण रूप से अवैधानिक है। उन्होंने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय, माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा जारी विभिन्न निर्णयो तथा आदेशों एवं भारत सरकार के वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार सेंचुरी क्षेत्र के 10 किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्रकार का कोई निर्माण कार्य माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित सक्षम समिति के अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। यह बात कोटा उत्तर पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने आज प्रेस वार्ता के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि चंबल रिवर फ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया द्वारा समाचार पत्रों को यह बताया गया है कि चंबल रिवर फ्रंट नदी के जिस भाग में स्थित है वह घड़ियाल सेंचुरी है इसलिए क्रोक्रो के लोगों ने मुख्य किरदार घड़ियाल लिया है इससे यह स्पष्ट है कि चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण घड़ियाल सेंचुरी में किया गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा अधिसूचना दिनांक 7/12/1979 के द्वारा चंबल घड़ियाल सेंचुरी को अधिसूचित किया गया है जिसके अनुसार चंबल नदी के दोनों किनारो पर 100-100 मीटर तक का क्षेत्र चंबल घड़ियाल सेंचुरी के अंतर्गत अधिसूचित किया गया था। अधिसूचना दिनांक 3/9/1983 द्वारा चंबल घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र को नदी के दोनों किनारो पर एक एक  हजार मीटर तक का क्षेत्र चंबल घड़ियाल सेंचुरी अधिसूचित कर दिया गया था। साथ ही भारत सरकार के वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देश दिनांक 9/2/2011 के अनुसार सेंचुरी के 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण बिना नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है इसके अतिरिक्त किसी भी निर्माण से पूर्व पर्यावरण स्वीकृति लेना अनिवार्य है। एवं इसके अलावा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की गठित सक्षम कमेटी से पूर्वानुमति लेना भी आवश्यक है।
बिना सक्षम स्वीकृति के बना चंबल रिवर फ्रंट वैधानिक एवं अवैध है
गुंजल ने कहा कि कोटा जिला में चंबल नदी के दोनों किनारो पर रिवर फ्रंट का निर्माण किया गया है जिसमें न तो पर्यावरण अनुमति प्राप्त की गई है एवं न हीं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिकृत सक्षम कमेटी तथा राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की पूर्व अनुमति प्राप्त की गई है इस कारण यह निर्माण पूर्ण रूप से अवैधानिक एवं अवैध है तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है इसके अतिरिक्त यह निर्माण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का भी स्पष्ट उल्लंघन है। गुंजन ने कहा कि गुंजन ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय टी एन गोदावर्मन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में दिनांक 3/6/2022 को निर्णय पारित किया जिसमें स्पष्ट किया गया है कि प्रत्येक संरक्षित वन, राष्ट्रीय अभ्यारण, वन्य जीव अभ्यारण की सीमा के उपरांत एक निर्धारित दूरी का इको सेंसेटिव जोन बनाया जाना आवश्यक है। जिन राष्ट्रीय अभ्यारण के संबंध में राज्य सरकार द्वारा इको सेंसेटिव जोन निर्धारित नहीं किए गए हैं वहां पर 10 किलोमीटर क्षेत्र का बफर जोन जो ई एस जेड बनाया जाना आवश्यक है। इस संबंध में मान्य उच्चतम न्यायालय द्वारा गोवा फाउंडेशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है तथा उसकी पालना में 9/2/2023 को दिशा निर्देश भी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं। उक्त बफर जोन में किसी भी प्रकार की गतिविधियां तब तक प्रतिबंधित रहेगी जब तक इको सेंसेटिव जोन का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र के उपरांत बफर जोन में केंद्रीय वन विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश दिनांक 9/2/2011 की पालना को सुनिश्चित किया जाना था । साथ ही उक्त इको सेंसेटिव जोन अथवा बफर जोन में किसी भी प्रकार के स्थाई निर्माण की अनुमति किसी भी कार्य हेतु बफर जोन/इको सेंसेटिव जोन में प्रदान नहीं की जा सकती। नदी अथवा तालाब के बफर जोन में प्रभावित करने वाले क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता अगर किया जाता है तो ध्वस्त  किए जाने योग्य होगा । उक्त निर्णय में यह भी पारित किया गया कि वेटलैंड अथवा नदी के किनारे पर किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि का संचालन नहीं किया जा सकता है। यहां तक की फुटपाथ का भी निर्माण नहीं कराया जा सकता है। ऐसा राजस्थान के गजट नोटिफिकेशन दिनांक 3/1/2014 के तहत निषिद्ध किया गया है।  गुंजल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 48 में दायित्व राज्य सरकार पर दिया गया है कि वह देश के पर्यावरण वन तथा वन्य जीव का संरक्षण करें पर्यावरण में सुधार करें।अनुच्छेद 51 में समस्त प्रकार के प्राकृतिक पर्यावरण क्षेत्र जैसे वन, तालाब, नदी तथा वन्य जीव का संरक्षण का दायित्व राज्य पर आयत किया गया है। इस संबंध में अब्दुल रहमान बनाम स्टेट आफ राजस्थान की खंडपीठ में दिनांक 2/8/2004 को पारित निर्णय में यह कहा गया है कि दिनांक 15/ 8 /1947 के उपरांत किसी भी नदी, नाला आदि में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा और अगर किया जाता है तो वह अवैधानिक होगा उक्त निर्णय में भी 2 मीटर से अधिक एनीकेट के निर्माण पर भी रोक लगाई गई है। इस प्रकार राजस्थान उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा समय-समय पर निर्णय पारित होने पर भी रिवर फ्रंट का विधि विरुद्ध कार्य किया। वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने रिवर फ्रंट के निर्माण को प्रावधानों का घोर उल्लंघन मानते हुए लिखा राज्य सरकार को पत्र।
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि भारत सरकार के वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन्य जीव खंड द्वारा दिनांक 1/7/2023 को राजस्थान सरकार के मुख्य वन्य जीव संरक्षक जयपुर को पत्र लिखकर सूचित किया है कि राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र के इको सेंसेटिव जोन में किया गया निर्माण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का घोर उल्लघंन है तथा इस संबंध में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थाई कमेटी की कोई पूर्वानुमति भी प्राप्त नहीं की गई है। साथ ही इस क्षेत्र में बिना सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की अनुमति के किसी भी प्रकार की गतिविधि माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है। इसी के साथ राजस्थान सरकार के मुख्य जीव संरक्षण को जिम्मेदार अधिकारियों एवं प्राधिकारियों के विरुद्ध अभिलंब आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे किंतु स्थानीय मंत्री के दबाव एवं स्वार्थ के कारण उक्त पत्र पर मुख्य वन्य जीव संरक्षक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इस प्रकार राजस्थान सरकार के मुख्य वन्य जीव संरक्षण द्वारा अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री को नहीं करना चाहिए अवैधानिक निर्माण का उद्घाटन
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों द्वारा इस अवैध और अवैधानिक रिवर फ्रंट का उद्घाटन किया जाना प्रस्तावित है जो मुख्यमंत्री द्वारा अपने पद की ली गई शपथ का स्पष्ट उल्लंघन है। मुख्यमंत्री द्वारा अपने पद की शपथ में विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान एवं विधि के प्रावधानों की पूर्ण पालन की शपथ ली गई थी किंतु विधि के स्पष्ट प्रावधानों के विपरीत एवं संविधान में प्रदत्त नीति निर्देशक तत्वों के उल्लंघन में निर्मित अवैध एवं अवैधानिक निर्माण का उद्घाटन संविधान की शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री द्वारा नहीं किया जा सकता। अतः इस अवैध एवं अवैधानिक निर्माण का उद्घाटन करने से पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को त्यागपत्र देने के बाद ही विधि विरुद्ध किए गए निर्माण का उद्घाटन किया जाना चाहिए। अन्यथा यह संविधान की शपथ का स्पष्ट उल्लंघन होगा।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कभी भी ध्वस्त करने के आदेश हो सकते हैं जारी
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि स्थानीय मंत्री द्वारा अपने स्वय के स्वार्थ एवं हित हेतु पूर्णतया अवैध एवं अवैधानिक रिवर फ्रंट का निर्माण किया गया है जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कभी भी ध्वस्त करने हेतु आदेशित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में जनता के अरबों रूपयो के धन का दुरुपयोग अवैध निर्माण हेतु किया गया है। जिसका मूल मकसद भ्रष्टाचार से पैसा कमाना है । उन्होंने कहा कि रिवर फ्रंट का निर्माण गैर मुमकिन नदी क्षेत्र में किया गया है माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेशों एवं निर्णय में गैर मुमकिन नदी क्षेत्र में ना तो किसी प्रकार का निर्माण किया जा सकता है एवं नहीं किसी प्रकार की वाणिज्यिक अथवा अन्य गतिविधि की जा सकती है। गैर मुमकिन नदी क्षेत्र किसी अन्य उपयोग हेतु हस्तांतरित करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध है जबकि नगर विकास न्यास द्वारा अरबो रुपए खर्च करके गैर मुमकिन नदी क्षेत्र में अवैध एवं अवैधानिक निर्माण वाणिज्यिक उपयोग हेतु किया गया है उसका किसी भी प्रकार नियमन नहीं किया जा सकता है।नगर विकास न्यास द्वारा लीज पर वाणिज्यक उपयोग हेतु होटल में बनाने, दुकाने बनाने हेतु जमीन लीज पर दी जा रही है जबकि यह जमीन गैर मुमकिन नदी क्षेत्र की है जिसे न्यास को लीज पर देने का कोई अधिकार नहीं है ।माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से नदी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया है जिसमें नगर विकास न्यास कोटा समय प्रतिवादी है। किंतु गैर मुमकिन नदी क्षेत्र में रिवर फ्रंट का निर्माण कर वाणिज्यिक गतिविधियां किया जाना माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना है।
विश्व स्तरीय बताकर जनता को किया जा रहा गुमराह
गुंजल ने कहा कि चंबल माता की 41 मीटर की मूर्ति को विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति होने का दावा किया जा रहा है जबकि आंध्रा में 42 मीटर ऊंची हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है । वही नंदी को लेकर भी दावा किया जा रहा है की विश्व का सबसे बड़ा नंदी चंबल रिवर फंड पर बनाया गया है जबकि केरल में इससे भी चार गुना बड़ा सिंगल स्टोन नंदी स्थापित है। ऐसे ही नेहरू जी के मुखौटे को सबसे बड़ा बताया जा पर सबसे बड़ा मुखौटा आदियोगी का बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जनता को गुमराह किया जा रहा है।
गुंजल ने उठाए शहर के अनियोजित विकास पर भी सवाल
गुंजल ने कहा कि मंत्री जी पूरे राजस्थान के शहरों को रेड लाइट फ्री शहर बनाना चाह रहे हैं परंतु हाल ही में समाचार पत्रों में छपे आंकड़े बताते हैं कि जब से कोटा रेड लाइट फ्री हुआ है दुर्घटनाओ व दुर्घटनाओं में होने वाली मोतो की संख्या में चार गुना इजाफा हो गया है। उन्होंने कहा कि मंत्री ने शहर को भूलभुलैया बना दिया है जगह-जगह ब्लैक स्पॉट बन गए हैं जहां शहर वासी आए दिन दुर्घटनाग्रस्त होकर अपने परिजनों को खो रहे हैं।
ब्रांड एंबेसडर बनाने को भी बताया फुजूल खर्ची
गुंजल ने ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए दीपिका पादुकोण व रणवीर सिंह को लाखो रुपए देना भी धन की बर्बादी बताते हुए कहा कि हाल ही में कोटा की बेटी नंदनी गुप्ता जिसने फेमीना मिस इंडिया का खिताब जीता है उसे इसका अवसर दिया जाना चाहिए था।