जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

कांग्रेस विधायकों के सामूहिक इस्तीफा प्रकरण में मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार के आग्रह पर कोर्ट याचिका को सारहीन मानकर निस्तारित करना चाहता था, लेकिन नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कोर्ट से इस तरह के मामलों में समय सीमा तय करने का आग्रह किया। इस पर जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राठौड़ को अपनी याचिका संशोधित करने के निर्देश दिए और मामले की सुनवाई 9 अक्टूबर तक टाल दी।

दरअसल, 25 सितंबर 2022 को कांग्रेस के 81 विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को अपने इस्तीफे सौंप दिए थे, जिस पर करीब 113 दिन बाद स्पीकर ने यह कहते हुए कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफे नहीं दिए, सभी इस्तीफों को अस्वीकार कर दिया था।

राजेन्द्र राठौड़ ने किया आग्रह- समय सीमा की जाए तय
दरअसल, कांग्रेस विधायकों के स्पीकर को सामूहिक इस्तीफा देने के बाद भी जब स्पीकर सीपी जोशी ने कई दिनों तक इस्तीफों को लेकर कोई निर्णय नहीं किया तो नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पीकर सीपी जोशी ने सभी इस्तीफों को स्वेच्छापूर्वक नहीं होना बताकर अस्वीकार कर दिया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि इस्तीफों पर निर्णय नहीं होने पर कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, लेकिन अब इस्तीफों पर निर्णय हो चुका है। ऐसे में याचिका अब सारहीन हो गई है।

इस पर नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कोर्ट ने 2 जनवरी 2023 को पॉइंट ऑफ डिटरमिनेशन तय किया था, जिसमें कोर्ट को यह तय करना था कि इस तरह के प्रकरण में स्पीकर को कितने समय में निर्णय देना चाहिए।

वहीं विधानसभा सचिव ने भी इस विधि के बिंदू को भी तय करने की बात को स्वीकारा है। समय सीमा तय होने पर यह फैसला नज़ीर साबित होगा।

स्पीकर के आदेश को भी देंगे चुनौती
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि इस तरह से इस्तीफों को लंबित रखना लोकतंत्र के साथ मजाक है। स्पीकर ने इस्तीफों को लंबित रखकर अपने ही आलाकमान के साथ सौदेबाजी की है, इसलिए हम स्पीकर के 13 जनवरी 2023 के आदेश को भी चुनौती देंगे। इसके लिए कोर्ट ने हमें अपनी याचिका को संशोधित करने की छूट दी है।