जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आने वाले समय में एयर कनेक्टिविटी में और उछाल देखने को मिलेगा। खास बात यह है कि हवाई सेवा में अब छोटे विमानों की भूमिका बढ़ती जा रही है। जयपुर एयरपोर्ट से आने वाले महीनों में छोटे विमानों का शेयर और अधिक बढ़ेगा।

दरअसल एयरलाइंस आमतौर पर 2 तरह के विमान संचालित करती हैं। इनमें एक बड़े आकार के विमान जो कि 180 सीट से लेकर 232 सीट क्षमता के होते हैं, जबकि दूसरे छोटे आकार के विमान जो कि 74 सीट से लेकर 90 सीट क्षमता के होते हैं।

अब तक छोटे विमानों की संख्या काफी सीमित चल रही थी, लेकिन अब एयरलाइंस छोटे विमानों के जरिए नजदीकी छोटे-छोटे शहरों को हवाई सेवा से जोड़ने का कार्य कर रही हैं। इससे छोटे विमानों का हवाई सेवाओं में औसत बढ़ता जा रहा है। जयपुर एयरपोर्ट से अभी रोज औसतन 54 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा है।

सर्दियों में विंटर शेड्यूल में फ्लाइट्स की यह संख्या 65 तक पहुंच सकती है। अभी 54 फ्लाइट्स में 15 फ्लाइट छोटे विमानों के जरिए चल रही हैं। सर्दियों में छोटे विमानों से फ्लाइट संचालन की संख्या 20 से अधिक हो सकती है। दरअसल इंडिगो एयरलाइंस लगातार अपने बेड़े में छोटे एटीआर विमानों की संख्या बढ़ा रही है। इसके अलावा अलायंस एयर के पास भी ज्यादातर छोटे विमान ही उपलब्ध हैं। इसी तरह स्पाइसजेट भी क्यू-400 श्रेणी के छोटे विमान संचालित करती है।

विंटर शेड्यूल में और बढ़ेगा शेयर : आगामी विंटर शेड्यूल जो कि 29 अक्टूबर से देशभर के एयरपोर्ट्स पर लागू होगा, तब छोटे विमानों से फ्लाइट संचालन और अधिक बढ़ने की संभावना है। अभी जयपुर से दिल्ली, भोपाल, इंदौर, चंडीगढ़, पंतनगर, बरेली, जोधपुर, उदयपुर, अहमदाबाद, देहरादून, लखनऊ आदि नजदीकी शहरों के लिए कुल 15 फ्लाइट छोटे विमानों के जरिए संचालित हो रही हैं। वहीं आने वाले विंटर शेड्यूल में आगरा, खजुराहो, वाराणसी और जैसलमेर के लिए भी फ्लाइट शुरू होंगी।

ये फ्लाइट्स भी छोटे विमानों के जरिए ही संचालित होने की संभावना है। इस तरह आगामी सीजन में छोटे विमानों के जरिए करीब 20 फ्लाइट संचालित हो सकेंगी। एटीआर-72 या क्यू-400 श्रेणी के छोटे विमान नजदीकी शहरों के लिए सुविधाजनक तो होते हैं। लेकिन इनमें कई बार यात्री एसी काम नहीं करने की शिकायतें करते हैं।

विमान से यात्रियों के उतरने और नए यात्रियों के बैठने के बीच कई बार एसी बंद रहता है। इसे लेकर कई नेताओं और सेलिब्रिटीज द्वारा ट्वीट भी किए जाते हैं। दरअसल ऐसा नहीं है कि सभी विमानों में हर बार एसी बंद रहता है। लेकिन कई बार विमानों में एपीयू नहीं होने से एसी बंद रहता है। ऐसी स्थिति में विमानों में ग्राउंड पॉवर यूनिट से एसी चलाया जाता है। लेकिन यदि जीपीयू भी नहीं मिले, तो एसी नहीं चल पाता और 20 से 30 मिनट तक यात्रियों को परेशानी होती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में विमान के इंजन चालू होने पर ही एसी चलता है। यदि यह शिकायत दूर हो जाए, तो छोटे विमानों से यात्रा सुखद हो सकती है।