जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही बांडी नदी को यमुना से जोड़ने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। प्रदेशभर के किसानों ने यमुना जल संवर्धन समिति के बैनर तले सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में रविवार को कालख बांध पर जनसभा का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सीकर, शाहपुरा, चोमू, आमेर और झोटवाड़ा समेत प्रदेशभर से बड़ी संख्या में किसान हिस्सा लेंगे।

किसानों के आभियान के संयोजक डॉक्टर महावीर शास्त्री ने बताया कि 2016 में किसानों ने अपनी मांग को केंद्र और राज्य सरकार के सामने रखने के लिए यमुना जल संवर्धन समिति का गठन किया था। इस समिति ने जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड इंजीनियरों को साथ लेकर नक्शा और रिपोर्ट तैयार करवाकर राज्य और केंद्र सरकार के सामने रखी। जिसमें हरियाणा के राजस्थान से सटे नांगल चौधरी गांव तक यमुना की बड़ी नहर आई हुई है।

उन्होंने कहा कि यमुना नदी हर साल बारिश के मौसम में ओवरफ्लो होकर दिल्ली और यूपी के क्षेत्र में भयंकर तबाही मचाती है। इसको लेकर हमने जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और विभाग के अफसरों से मीटिंग कर बाड़ी नदी को यमुना से जोड़ने की मांग रखी थी। जिस पर मंत्रालय ने हमें पत्र भेजकर सूचित किया कि राजस्थान सरकार इस काम की DPR बनाकर भेजेगी। तो हम इस पर आगे की कार्रवाई कर सकेंगे।

अभियान से जुड़े मालीराम मीणा ने बताया कि हमारी मांग पर जयपुर जिला परिषद ने 2016 में प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भिजवाया था। 2018 के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने घोषणा पत्र में बांडी नदी को यमुना से जोड़ने का वादा किया था। लेकिन फिर से चुनाव आ गए है। अब तक इस मुद्दे पर कोई करवाई नहीं की गई है।

किसानों के आंदोलन से जुड़े रजनीश शर्मा ने बताया कि कालख बांध की सभा हमारे आंदोलन का पहला चरण है। इस दौरान सभी दलों के नेता हमारी ग्राम सभाओं में आकर सहयोग का आश्वासन दे रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनावों तक हम अपना आन्दोलन जारी रखेंगे। क्यों कि बांडी नदी को यमूना से जोड़ना ही इस क्षेत्र में पानी की समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है। ऐसे में जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी। हमारा आंदोलन जारी रहेगा।