जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ.पुष्पेन्द्रसिंह भाटी ने पट्टा निरस्तीकरण को लेकर अहम आदेश पारित किया है। कोर्ट ने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73-बी के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर फर्जी तरीके से जारी पट्टों को निरस्त करने के लिए दिए गए नोटिस एवं पट्टों का निरस्तीकरण को उचित माना है।

हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में अलग-अलग बिंदूओं को उठाया गया, किसी में अभी तक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था तो किसी में पट्टे निरस्त की कार्रवाई के नोटिस थे तो कुछ याचिकाओं में जिस अधिकारी ने जारी किया उसी ने नोटिस दिए। हाईकोर्ट में याचिकाए दायर कर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73-बी जो कि 2021 में संशोधित की गई उसे चुनौती देते हुए कहा गया कि जो अधिकारी पट्टा जारी करता है उसे ही पट्टा निरस्त करने का अधिकार वैध नहीं है।

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त राजकीय काउंसिल राजेश परिहार ने पैरवी करते हुए इन याचिकाओं पर विरोध दर्ज कराया। उन्होने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73-बी के तहत प्रदत्त शक्तियों के बारे में कोर्ट को जानकारी दी साथ ही सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के पूर्व निर्णय भी कोर्ट के समक्ष रखे। मामले पर विस्तृत सुनवाई के बाद कोर्ट ने अलग अलग मामलों को रिजर्व कर लिया था।

सभी मामलों पर 12 सितम्बर 2023 को एक साथ आदेश पारित करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को राहत दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 73-बी को वर्ष 2021 में संशोधित करते हुए पट्टा निरस्त करने के लिए दिए गए अधिकार को उचित माना है। कोर्ट ने कहा कि तथ्यों की गलत बयानबाजी या, झूठे दस्तावेजों के आधार पर या, मिलीभगत से या, कानून के उल्लंघन से यदि कोई पट्टा जारी किया गया है तो उसे भले ही पंजीकृत करवाया गया हो लेकिन निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए निरस्त किया जा सकता है।