ईएनटी के किसी भी डॉक्टर की क्लिनिक पर एक शिकायत ले कर लोग अकसर आते रहते हैं जिसमें उनकी आवाज भर्रा गई होती है या फिर बिलकुल ही बैठ जाती है। ऐसे लोग बोल ही नहीं पाते क्योंकि आवाज निकलती ही नहीं है। ऊपर से इस समस्या का त्वरित उपचार भी संभव नहीं है जिसकी वजह से दस पंद्रह दिनों का समय कठिनाई में गुजरता है। चूंकि इसकी कोई दवा नहीं होती है तो आवाज को वापस आने में कभी कभी एक महीने तक का समय भी लग सकता है यदि आवाज इसलिए अवरुद्ध हो गई क्योंकि पीड़ित व्यक्ति को अत्यधिक बोलना पड़ा था।

इस समस्या को रोकने का समाधान अब तकनीकी ने खोज लिया है। अमेरिका की नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी के अन्वेषकों ने एक ऐसा नियंत्रक यंत्र तैयार किया है जो आपको बोलने की एक सीमा के बाद बता देगा कि अब आपको और अधिक नहीं बोलना चाहिए। यह यंत्र एक पोस्टल स्टांप के आकार का है जिसे आप के गले के निचले भाग में चिपकाया जाता है। यह यंत्र गले की मांशपेशियों के कंपन को पकड़ता है। यह एक अतिसंवेदनशील डिवाइस है जो बोलने एवम् गायन दोनों तरह के कंपनों को अलग अलग पहचान सकता है। यह ब्लूटूथ द्वारा आपके मोबाइल, घड़ी या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जुड़ा हुआ होता है और बोलते हुए जब कोई व्यक्ति की मांसपेशियां थकने लगती हैं तो उनके कंपन में होने वाले बारीक परिवर्तन को यह नियंत्रक पहचान लेता है और अपने से जुड़े हुए मोबाइल या घड़ी से एक बीप देता है जो बताती है कि माननीय, आप बोलने की आखिरी सीमा के पास पहुंचने वाले हैं इसलिए अपना व्याख्यान समाप्त करने की तरफ ध्यान दीजिए।

यह यंत्र मुख्यतया अध्यापकों, वक्ताओं, नेताओं, कथावाचकों, प्रशिक्षकों और गायकों के लिए उपयोगी होगा। इसके अलावा ईएनटी के चिकित्सक भी अपने कुछ रोगियों को घर बैठे सलाह दे सकते हैं कि जनाब, अब जरा थोड़ी देर के लिए चुप कीजिए। ऐसा इसलिए किया जा सकेगा क्योंकि यह यंत्र एक ऐप द्वारा कार्य कर सकेगा जिसमें पूरे डाटा समाहित होंगे जिनसे बोलने में कार्य करने वाली मांसपेशियों के तंतुओं के त्वरित ( इंस्टेंट) एवं संचयी ( कम्युलेटिव ) उपयोग या दुरुपयोग को मापा जा सकता है। भारत जैसे देश के भाषणबाज नेताओं के लिए यह यंत्र काफी उपयोगी हो सकता है।