जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

जयपुर हेरिटेज नगर निगम के मेयर पद से निलंबित होने के बाद मुनेश गुर्जर अब वापस कोर्ट की राह पकड़ सकती है। संभावना है कि मंगलवार को कोर्ट खुलने के बाद मुनेश सरकार के इस आदेश को चुनौती देने की याचिका लगाएंगी। इधर, सरकार भी अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट में कैविएट लगाने की तैयारी में जुट गई है। वहीं, सरकार ने कार्यवाहक मेयर पर भी मंथन शुरू कर दिया है।

मुनेश गुर्जर ने करीब एक महीने पहले ही कोर्ट के आदेश के बाद कुर्सी संभाली थी। अब 22 सितंबर की रात को सरकार ने मुनेश गुर्जर को फिर सस्पेंड कर दिया। ये सस्पेंशन तब हुआ जब उसी दिन सुबह उनके 14 साल के बेटे ने मीडिया में एक बयान जारी कर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पर आरोप लगाए थे। सूत्रों के मुताबिक इन आरोपों को बाद प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और बच्चे वाले बयान का मुद्दा उठाया था।

सरकार लगा सकती है कैविएट
सूत्रों के मुताबिक मुनेश गुर्जर कोर्ट में सस्पेंशन की कार्यवाही को चुनौती देने पर सरकार अपना पक्ष रखने के लिए हाईकोर्ट में कैविएट दायर कर सकती है, क्योंकि सरकार ने मुनेश गुर्जर को रिश्वत प्रकरण और घर पर पट्‌टों की फाइल के मामले में निलंबित किया है। सरकार की ओर से करवाई जांच में मुनेश गुर्जर को पद का दुरूपयोग करने, रिश्वत के लिए पट्‌टों की फाइलों को रोकने का दोषी माना है।

कार्यवाहक मेयर लगाने की तैयारी
मुनेश गुर्जर को पद से निलंबित करने के बाद अब सरकार हेरिटेज नगर निगम में कार्यवाहक मेयर भी लगाने की तैयारी कर रही है। कार्यवाहक मेयर किसे बनाया जाए, इसको लेकर मंथन चल रहा है। संभावना है कि सरकार निर्दलीय पार्षद राबिया गुडएज या कुसुम यादव में से किसी एक का नाम फाइनल कर सकती है। ​​​​​​किशनपोल एरिया से कांग्रेस के सिंबल पर जीतकर आई नसरीन बानो का नाम भी चर्चाओं में चल रहा है।

5 अगस्त को किया था निलंबित
सरकार ने इससे पहले मुनेश गुर्जर को 5 अगस्त को पद से निलंबित किया था। मुनेश के पति सुशील गुर्जर को 4 अगस्त को एसीबी ने रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद सरकार ने मुनेश को पद से निलंबित कर दिया। मुनेश गुर्जर ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 23 अगस्त को कोर्ट ने सरकार के निलंबन के आदेश पर रोक लगा दी थी।

24 अगस्त को दोबारा संभाला था पदभार
हाईकोर्ट के आदेश के अगले दिन यानी 24 अगस्त को मुनेश गुर्जर ने दोबारा मेयर का कार्यभार संभाला था। उसके बाद वे लगातार एक्टिव रही और उन्होंने नगर निगम में अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा के खिलाफ दोबारा मोर्चा खोलते हुए उनके ट्रांसफर को मुद्दा बनाया और सरकार से शिकायत की। मेयर ने शिकायत की थी कि ट्रांसफर होने के बाद बाद भी राजेन्द्र वर्मा यहां से जानबूझकर कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते।

न्यायिक जांच में दोषी पाए जाने पर हो सकती है बर्खास्त
सरकार ने मुनेश गुर्जर को रिश्वत प्रकरण और घर पर पट्‌टों की फाइल के मामले में निलंबित किया है। सरकार ने अब मुनेश गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच भी शुरू करवा दी है। न्यायिक जांच प्रभावित नहीं हो इसे देखते हुए सरकार ने मुनेश गुर्जर को पद से निलंबित किया है। कानून से जुड़े जानकारों की माने तो अगर मुनेश गुर्जर न्यायिक जांच में दोषी पाई जाती है तो उनको पद से बर्खास्त करते हुए 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।