प्रदेश में ‘मिशन रिपीट’ का लक्ष्य लेकर चल रही कांग्रेस पार्टी इस बार टिकट वितरण में किसी भी तरह की रियायत बरतने के मूड में नहीं दिख रही। हालांकि, गहलोत सरकार की योजनाओं के दम पर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि एंटीइंकम्बेंसी इस बार नहीं है।
लेकिन विधानसभा सीट वार अब तक कराए गए 5 सर्वे में 80 सीटों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। ऐसे में संबंधित मंत्रियों-विधायकों के क्षेत्रों में एंटीइंकम्बेंसी कम करने के लिए पार्टी चेहरे बदलना चाहती है।सूत्रों का कहना है कि आलाकमान ने फिलहाल उन 33 सीटों पर चेहरे बदलने की मंजूरी दी है, जहां सर्वे में पार्टी की सीधे-सीधे हारने की रिपोर्ट आई है। इनमें 2 कैबिनेट मंत्री, 2 राज्यमंत्री, 22 विधायक और 7 पूर्व प्रत्याशी शामिल हैं।
अब तक 5 सर्वे, इनमें 5-5 नए नामों पर भी राय ली गई
कांग्रेस इस साल की शुरुआत से ही विधानसभा सीट वार सर्वे करा रही है। एआईसीसी सहित माइंड शेयर (सुनील कोणुगुलू) और डिजाइन बॉक्स्ड (नरेश अरोड़ा) के जरिए अब तक कुल 5 सर्वे हो चुके हैं। इनमें मौजूदा विधायकों, पूर्व प्रत्याशियों की मौजूदा स्थिति के अलावा 5-5 नए नामों पर भी राय ली गई।
पिछली बार : कांग्रेस ने 100 टिकट काटे थे, इनमें से 10 संबंधित परिवार में ही दिए थे
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी। ऐसे में 2018 यानी पिछले चुनाव में पार्टी ने लगभग 100 टिकट काटे थे। इनमें से 10 टिकट संबंधित परिवार में से ही किसी को दिए थे। इस बार कांग्रेस सत्ता में है लेकिन विधायकों और मंत्रियों को लेकर एंटीइंकम्बेंसी के कारण पार्टी टिकट बदलना चाहती है।
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