अजमेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

तकनीकी वस्त्रों के लिए केंद्र सरकार की ओर से पहली बार स्टार्ट अप योजना लेकर आई है। इसमें स्टार्टअप और उद्यमियों को 50 लाख रुपए तक का अनुदान मिलेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य तकनीकी वस्त्रों में भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता समाप्त करके आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के अंतर्गत एग्रो, बिल्डिंग, होम, मेडिकल, मोबाइल, पैकेजिंग, स्पोर्ट्स और प्रोटेक्टिव टैक्सटाइल आदि में स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इंस्टीट्यूशनल सप्लाई में भीलवाड़ा, किशनगढ़ और पुष्कर राज्य का मुख्य केंद्र बन सकते हैं। भीलवाड़ा में कपड़ा बनता है और पुष्कर टेलरिंग का बड़ा हब है। जबकि किशनगढ़ के बंद पड़े दो टेक्सटाइल पार्क शुरू कर दिए जाएं तो हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

एक्सपर्ट व्यू : क्या होते हैं तकनीकी वस्त्र?

टैक्सटाइल एक्सपर्ट मनीष मूंदड़ा ने बताया कि तकनीकी वस्त्र उन वस्त्रों को कहा जाता है, जिनका इस्तेमाल गैर सौंदर्यपूर्ण कार्यों के स्थान पर तकनीकी व उससे संबंधित जरूरतों के लिए जाता है। कृषि, वैज्ञानिक शोध, चिकित्सा, सैन्य क्षेत्र, उद्योग आैर खेलकूद में इन वस्त्रों को उपयोग व्यापक स्तर पर होता है। मछलीपालन और बागवानी में इसका इस्तेमाल होता है। सेना, पैरा मिलिट्री फोर्सेज, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों में भी इन वस्त्रों को इस्तेमाल होता है। ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए रेलवे, बंदरगाहों और हवाई जहाजों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इनका इस्तेमाल सरकारी मिशन जैसे नेशनल हेल्थ मिशन, जल जीवन मिशन, नेशनल होर्टीकल्चर मिशन आदि में भी किया जाता है। मालूम हो कि ग्रांट फॉर रिसर्च एंड आंत्रप्रेन्योरशिप एक्रॉस अस्पाइरिंग इनोवेटर्स इन टेक्निकल टेक्सटाइल (ग्रेट) योजना के तहत कपड़ा मंत्रालय ऐसे शोध को बढ़ावा दे रहा है, जहां कुछ प्रोटोटाइप विकसित किए गए हैं और जिनका व्यवसायिक इस्तेमाल किया गया है।