जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

शहरी वाटर सप्लाई मैनेजमेंट को लेकर राजस्थान सरकार और डेनमार्क के बीच समझौता हुआ। इसको लेकर पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव डाॅ. सुबोध अग्रवाल के साथ बुधवार को सचिवालय में डेनमार्क से आये डेलिगेशन की बैठक के दौरान इंटीग्रटेड़ वाॅटर मैनेजमेंट पर चर्चा हुई। साथ ही अगले तीन वर्षों में राजस्थान एवं डेनमार्क के बीच शहरी जल प्रबंधन के क्षेत्र में आपसी सहयोग का खाका तैयार किया गया।

आगामी वर्षों में शहरी जल प्रबंधन के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर चर्चा
बैठक में आहूस, डेनमार्क एवं राजस्थान सरकार के बीच 19 मई को हुए एमओयू के विभिन्न बिंदुओं पर आगे बढने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी गठित करने पर भी सहमति हुई। डेनमार्क से आये प्रतिनिधियों ने बताया कि जलापूर्ति प्रबंधन, गैर राजस्व जल, वेस्ट वॉटर रिसाइकल, नदियों का पुनरूद्धार सहित अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए शहरों को तीन श्रेणियों में रखा जाएगा। पहली श्रेणी में दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर, दूसरी श्रेणी में एक लाख से दस लाख तक की जनसंख्या वाले शहर तथा तीसरी श्रेणी में एक लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों को रखा गया है। प्रतिनिधि मंडल ने पिछले दो दिनों में नवलगढ़ एवं भीलवाडा शहर का भी दौरा किया।

बैठक में शासन सचिव, स्वायत शासन विभाग महेश कुमार शर्मा के साथ पीएचईडी के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
आहूस (डेनमार्क) की डायरेक्टर प्लानिंग लुइसे पेपे ने कहा कि आपसी सहयोग की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए शहरी पेयजल क्षेत्र में सेवाओं एवं गुणवत्ता में सुधार, वितरण तंत्र की दक्षता में वृद्धि से गैर-राजस्व जल (छीजत) में कमी, जल स्त्रोतों का समन्वित प्रबंधन, अपशिष्ट जल प्रबंधन एवं पुर्नचक्रण, नदियों के कायाकल्प के लिए हरित समाधान आदि क्षेत्रों में राजस्थान एवं डेनमार्क मिलकर कार्य करेंगे।

अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि पेयजल प्रबंधन में स्मार्ट वाटर तकनीक, गैर राजस्व जल (छीजत) में कमी लाने, अपशिष्ट जल के ट्रीटमेंट एवं रिसाइकल के साथ ही नदियों के पुनरूद्धार में डेनमार्क का तकनीकी सहयोग मिलेगा। प्रतिनिधि मंडल में आहुस शहर म्यूनिसिपल्टी की प्रोजेक्ट मैनेजर मिस. एल्के स्टब्सगार्ड, क्रिश्चियन ब्रनमार्क, डेनमार्क दुतावास की सेक्टर काउंसलर डॉ. अनिता कुमारी एवं अन्य शामिल थे।