अजमेर ब्यूरो रिपोर्ट।
पाकिस्तान में बैठे दावत-ए-इस्लाम के आकाओं ने नूपुर शर्मा के बयान के बाद धार्मिक भावनाओं को हथियार बनाकर भारत में दंगे भड़काने योजना बनाई थी। इसके लिए अजमेर को लॉन्च पैड बनाया गया। श्रीगंगानगर बॉर्डर पर पकड़ा गया रिजवान अशरफ भी अजमेर भी आने वाला था। 42 साल से दावत-ए-इस्लाम अजमेर में सक्रिय संगठन के रूप में काम कर रहा है। इसकी शुरुआत उर्स के बहाने अजमेर में 1980 में हुई थी।दावत-ए-इस्लाम ने मजहबी कार्यक्रमों के जरिए लोगों को ब्रेन वॉश कर अपने साथ जोड़ा और उनसे ही फंड जुटाया।  पीएफआई ने भी इस साजिश में दावत-ए-इस्लाम की मदद की। अजमेर में पीएफआई का सरवर चिश्ती कई बार पाकिस्तान गया। उसकी पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से नजदीकी थी। सरवर चिश्ती ने ही अजमेर में हिंदुओं के बायकॉट का फतवा जारी किया था। उनके बेटे आदिल ने हिंदू देवी-देवताओं के अस्तित्व पर सवाल खड़े किए। भतीजे गौहर चिश्ती ने सर तन से जुदा का नारा दिया। उदयपुर में नूपुर शर्मा के समर्थकों पर हमले के लिए मीटिंग की।अजमेर आतंक का लॉन्च पैड था, इसी का सबूत है कि कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज और गौस को हत्या के बाद अजमेर पहुंचने के लिए कहा गया था। इसके बाद उन्हें देश से बाहर भेज दिया जाता। इसके अलावा पाकिस्तान से नुपूर शर्मा की हत्या के लिए बॉर्डर पार करके आया रिजवान अशरफ भी अजमेर जाना वाला था। 1980 में उर्स के बहाने दावत-ए-इस्लाम से जुड़े कुछ लोग अजमेर दरगाह आए। इन्होंने लोकल लोगों को धर्म के प्रचार के बहाने अपने साथ जोड़ा। मदरसों और गरीब लोगों की मदद का झांसा देकर दरगाह के बाहर दुकानों पर चंदे के लिए बॉक्स भी रखवाए। चंदे के कलेक्शन के लिए दावत-ए-इस्लाम के दो ग्रुप आते थे। अजमेर में सेटअप खड़ा करने के बाद दावत-ए-इस्लाम ने प्रदेश के दूसरे शहरों में भी लोगों को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया। कई लोगों को विशेष प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भी भेजा गया। इसी ग्रुप से जुड़ने के बाद कन्हैयालाल के हत्यारे गौस मोहम्मद और रियाज करीब 30 लोगों के साथ पाकिस्तान गए थे।एनआईए और एटीएस की जांच में सामने आया कि दावत-ए-इस्लाम ने हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ किताबें भी छपवाई। यह किताबें अजमेर के एक बुक स्टोर से बंटवाई गई थीं। किताबों के जरिए युवाओं को कट्‌टर बनाया जा रहा था, ताकि वे आदेश देने पर किसी पर भी हमला कर दें। गौस और रियाज ने यहीं से किताबें लेकर अपने वॉट्सऐप ग्रुप के सभी साथियों में बंटवाई थीं। एटीएस ने बुक स्टोर के मालिक अनवर से मामले को लेकर पूछताछ भी की। टीम जांच कर रही है कि किताबें कहां से आईं और कहां प्रिंट हुईं। खादिमो की अंजुमन कमेटी का सचिव सरवर चिश्ती पीएफआई का सदस्य है। उसने अजमेर में कई लोगों को पीएफआई से जोड़ा था। चिश्ती कई बार पाकिस्तान गया था। वह पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का भी नजदीकी है। सरवर चिश्ती, उसके भतीजे गौहर चिश्ती और बेटे आदिल ने नुपूर शर्मा केे बयान के बाद लोगों को उकसाने के लिए कई बैठके भी की थी। कन्हैयालाल की हत्या के बाद अजमेर में हिंदुओं की दुकानों को बायकॉट करने का फतवा जारी किया था। आखिर में अजमेर पुलिस ने सरवर चिश्ती को बयानों के लिए पाबंद किया।