जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अब सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायकों को अपने क्षेत्र की जनता की भी याद आने लगी है। जिन विधायकों साढ़े तीन साल सरकार में बल्ले बल्ले रही, वही विधायक अब सरकार में काम नहीं होने का रोना रो रहे हैं। दरअसल गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने भी काम नहीं होने का हवाला देकर मंत्रियों और नौकरशाहों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंत्रियों द्वारा विधायकों के काम नहीं करने की शिकायतें लगातार विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष भी उठाई है। कई विधायकों ने तो लिखित में भी सीएम गहलोत को मंत्रियों की शिकायत की है। वहीं पार्टी के अधिकांश विधायकों में भी अंदर खाने असंतोष उभर रहा है जो कभी भी नाराजगी का बड़ा रूप ले सकता है।

मंत्री नौकरशाह नहीं करते काम।

विश्वस्त सूत्रों की माने तो राज्यसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद राष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान के दौरान भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष निर्दलीय, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के साथ साथ पार्टी के कई विधायकों ने भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार में महत्व नहीं मिलने की बात कही थी और कहा था कि मंत्री और नौकरशाह उनके काम नहीं करते हैं। ऐसे में भी किस मुंह से अपने क्षेत्र की जनता के सामने जाएंगे। जिस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी विधायकों को आश्वासन दिया था कि किसी भी विधायक का काम नहीं रुकने दिया जाएगा।

असंतोष की वजह यह भी।
दरअसल पार्टी के विधायकों में असंतोष की एक वजह यह भी है कि विधानसभा चुनाव में महज सवा साल का समय बचा है और साढ़े तीन तक अपने क्षेत्र की जनता की सुध नहीं लेने वाले विधायकों को अब जनता की नाराजगी का डर सता रहा है। ऐसे में विधायक अपनी कमी का ठीकरा मंत्रियों और नौकरशाहों के सिर फोड़ना चाहते हैं। इसलिए अब सरकार में काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए मंत्रियों और नौकरशाहों को निशाने पर लिया जा रहे हैं।

इन विधायकों ने खुलेआम जाहिर की नाराजगी।
जयपुर के किशनपोल से कांग्रेस विधायक अमीन कागजी ने बीते माह तबादलों से नाराज होकर चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के आवास पर अपने समर्थकों के साथ धरना दे दिया था। इसके अलावा बसपा से कांग्रेस में वाजिब अली और राजेंद्र गुढ़ा ने ने भी सरकार में काम नहीं होने के आरोप लगाए थे। राजेंद्र गुढ़ा ने तो वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल का अलाईमेंट ठीक नहीं होने की बात कही थी, जिस पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डोटासरा ने राजेंद्र गुढ़ा को इस तरह की बयानबाजी नहीं करने की हिदायत दी थी। वहीं हाल ही में पूर्व कैबिनेट मंत्री और बायतु से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने भी ओबीसी वर्ग की भर्तियों में अनदेखी को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि सिस्टम में बैठे लोग ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय कर रहे हैं। कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा अब लगातार सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 

सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने विधायकों की हर मांग पूरी की।
 कांग्रेस और सरकार को समर्थन दे रहे विधायक भले ही कामकाज नहीं होने का हवाला देकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हों लेकिन सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार बचाने के लिए बार-बार विधायकों की मान मनुहार की थी और विधायकों की ओर से की गई तमाम मांगों को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरा किया था। गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार का साथ देने वाले तमाम विधायकों को उनके क्षेत्रों से संबंधित तमाम मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था।

कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर विधायकों को किया गया था बोर्ड निगमों, आयोगों में एडजस्ट।
विधायकों के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजनीतिक नियुक्तियों में भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दरकिनार करके विधायकों को महत्व दिया है। करीब 2 दर्जन से ज्यादा विधायकों को विभिन्न बोर्ड-निगमों आयोगों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर उन्हें सरकार में भागीदारी दी थी।