जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जयपुर में दिवंगत गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के आवास पर गड़रिया और एमबीसी समाज की मीटिंग की गई। इस दौरान बैसला ने एमबीसी समाज के लिए राजनीतिक हक की लड़ाई लड़ने पर जोर दिया। वहीं बैंसला ने ये भी कहा कि प्रदेश का राजनीतिक मानचित्र ठीक करेंगे।दरअसल प्रदेश के अलग-अलग जिलों से गड़रिया समाज से जुड़े प्रमुख नेता और पदाधिकारियों की गुर्जर नेता विजय बैंसला व भूरा भगत समेत आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई। ये दोनों भी एमबीसी समाज में आते हैं और पूर्व में राजस्थान में ओबीसी के 5% आरक्षण की मांग को लेकर लंबा आंदोलन चला था। तब एमबीसी में शामिल जातियों को 5% आरक्षण मिल गया लेकिन अब समाज राजनीति में भी आबादी के लिहाज से अपना अधिकार चाहता है। बैठक में इस बात को लेकर निराशा भी जाहिर की गई कि आजादी के 75 साल बाद भी राजस्थान में गड़रिया समाज का एक भी व्यक्ति विधानसभा तक नहीं पहुंच सका। वहीं एमबीसी समाज प्रदेश के जिन इलाकों में आबादी के लिहाज से अपना मजबूत दखल रखता है वहां भी उसे राजनीतिक दलों ने उसका अधिकार नहीं दिया है। बैठक में तय किया गया कि राजस्थान के गड़रिया समाज की पहली बड़ी रैली आगामी 31 मई को भरतपुर में की जाएगी। यह रैली उन राजनीतिक दलों को समाज का मैसेज देने के लिए की जाएगी जो वोट तो इस समाज का देते हैं लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने से बचते हैं। इसके बाद अगली रैली धौलपुर में जून के पहले सप्ताह में होगी फिर 19 जून को पश्चिमी राजस्थान में विजय बैंसला समाज की इसी तरह बैठक और सभाएं कर राजनीतिक चेतना जागृत करेंगे। गड़रिया समाज की युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष दुष्यंत बघेल ने बताया कि राजस्थान में ऐसे कई जिले हैं जिनकी विधानसभा क्षेत्रों में गड़रिया समाज 25 से 30,000 तक की आबादी रखता है। वहीं एमबीसी समाज की आबादी की बात करें तो यह संख्या 65,000 तक पहुंचती है। बघेल ने कहा कि आज राजनीतिक हक की लड़ाई की जंग शुरू कर दी है। साल 2023 के अंत तक इस जंग के जरिए समाज को उसका हक दिलवाया जाएगा। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में विजय बैंसला ने कहा कि इस बार सामाजिक और राजनीतिक अस्तित्व की जंग है क्योंकि एमबीसी में शामिल जातियों को राजनीतिक दलों ने केवल वोट बैंक की तरह यूज किया है लेकिन जिस समाज को पीड़ा है। उसका निदान उसी समाज के लोग विधानसभा में पहुंचकर करें अब इस बात की जरूरत है। बैंसला ने कहा कि राजस्थान की 73 विधानसभा सीटों पर आज एमबीसी समाज की कम से कम 30,000 प्रत्येक सीट पर आबादी है और कुछ सीटें ऐसी हैं जहां 70,000 तक एमबीसी समाज की आबादी है। फिर राजनीतिक दल इन सीटों से किसी अन्य समाज के लोगों को विधानसभा आखिर क्यों भेजते हैं। बैंसला ने कहा कि बस यही राजनीतिक मानचित्र अब दुरुस्त करने का समय आ गया है।