जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान मे फैले सियासी घटनाक्रम के बाद सीएम अशोक गहलोत अपने लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के दबाव और समझौते पर उतर आए हैं। अभी हाल ही में 8 विश्वविद्यालयो में कुलपतियों की नियुक्ति हुई है। 8 में से 7 कुलपति उन्हें बनाया गया है जिनकी सिफारिश सर्च कमेटी में शामिल राज्यपाल कलराज मिश्र के प्रतिनिधियों ने की। मात्र एक कुलपति ही ऐसे हैं, जिनकी सिफारिश राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने की थी। इनमें प्रोफेसर बगदा राम चौधरी जोधपुर स्थित कृषि विवि के कुलपति बनाए हैं। सात कुलपति भाजपा और आरएसएस की विचारधारा वाले हैं। इनमें एक तो प्रोफेसर कैलाश चंद्र सोडानी हैं। जो पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री दिवंगत किरण माहेश्वरी और वर्तमान भाजपा विधायक दीप्ती माहेश्वरी (राजसमन्द) के समधी हैं। उन्हें भगवान वर्धमान खुला विवि (कोटा) का विवि बनाया है। जबकि दूसरी ओर कुलपति चयन समिति में शामिल एक प्रोफेसर का कहना है कि जो सिफारिशें सरकारी प्रतिनिधियों ने की थी उनमें से अधिकांश के बायोडाटा बेहद सामान्य थे। एक सिफारिश तो ऐसी थी जिस में राजस्थान विवि (जयपुर) के हिन्दी संकाय के एक प्रोफेसर को संस्कृत विवि (जयपुर) का कुलपति बनाने को लेकर थी। इस पर उनके बायो-डाटा पर उन प्रोफेसर का बायो-डाटा भारी पड़ना ही था जिन्होंने पूरी उम्र संस्कृत की सेवा की है, फिर चाहे उनकी विचारधारा किसी भी राजनीतिक दल से प्रभावित क्यों ना हो। इसीलिए 8 में से 6 कुलपति तो राजस्थान के बाहर से हैं । वर्ष 2014 से 2018 के बीच राजस्थान विवि में जे.पी. सिंघल को कुलपति बनाया था। उनकी शैक्षणिक योग्यता और प्रोफेसर के पद पर पयार्प्त अनुभव नहीं होने को लेकर शिकायत की गई थी। शिकायत न्यायालय तक पहुंची और सरकार ने अंतत: सिंघल को हटाया। वर्ष 2020 से 2022 के बीच उदयपुर स्थित मोहनलाल सुखाड़िया विवि में प्रोफेसर अमेरिका सिंह के कुलपति रहने के दौरान बहुत विवाद हुए। इसी तरह एमडीएस विवि अजमेर के कुलपति पद पर तैनात डॉ. आर.पी. सिंह को वर्ष 2020 में नागौर के एक निजी कोलेज को सम्बद्धता देने के चलते रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार कर लिया था।