जयपुर के मालवीय नगर विधानसभा में यूं तो 2018 का रिपीट हो रहा है माने कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही अपने पिछले चुनाव के उम्मीदवारों को दोहराया है।  फर्क यह है कि हारने के बाद भी कांग्रेस की अर्चना शर्मा प्रदेश की कांग्रेस सरकार की बदौलत 'बिना चुनी' विधायक रहीं। अर्चना ने एक चुने हुए जन प्रतिनिधि की तरह इस विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता रखी और जनता के काम करवाए। कितने करवाए ? और कितना जनता के बीच रहीं ? यह तो क्षेत्र की जनता बटन दबाकर बता ही देगी। भाजपा के प्रत्याशी और सिटींग MLA  कालीचरण सराफ प्रदेश भाजपा में बदले समीकरणों और गहलोत सरकार के चलते अपने विधानसभा क्षेत्र में भले ही सक्रीय कम रहें हों पर हैं जमीन से जुड़े नेता। किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और पार्टी के कार्यकर्ताओं की फ़ौज के अलावा खुद का भी अच्छा खासा सामाजिक रसूख रखते हैं। सराफ को जहां मध्यम वर्गीय, दलित, एससी, एसटी वोटरों में सेंध का सामना करना पड़ेगा और ब्राह्मण वोटों का बंटवारा भी झेलना पड़ेगा। इसकी बानगी वो 2018 के चुनावों में देख चुके हैं इसीलिए इस बार एक्स्ट्रा एफर्ट भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की अर्चना शर्मा के लिए पोलिंग के दिन बूथ मैनेजमेंट सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि उनके पास कार्यकर्ताओं की टीम है फौज नहीं। देखें ग्राउंड रिपोर्ट।  

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