जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में आयकर इन्वेस्टिगेशन विंग की टीमों ने बजरी व्यापारियों के 21 से अधिक ठिकानों पर शुक्रवार को छापेमारी की। इसमें बजरी कारोबारी निलेश गढ़िया ग्रुप और उसके सहयोगी समूहों के ठिकानों से आईटी को 80 लाख रुपए नकद, 6 लॉकरों की चाबी मिली है। साथ ही बीसलपुर बांध प्रोजेक्ट से जुड़े अहम दस्तावेज, विधानसभा के पास बने विधायक आवास के कई दस्तावेज, विधानसभा के पास कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब के निर्माण से जुड़े हुए कई दस्तावेज आईटी को सर्च के दौरान मिले हैं। यह ग्रुप बीसलपुर बांध पर बजरी खनन कई समय से कर रहा है।

जयपुर में निलेश गढ़िया के एनआरआई कॉलोनी स्थित घर और जगतपुरा स्थित ऑफिस पर आईटी की सर्च के दौरान यह दस्तावेज मिले हैं। कुचामन और अजमेर में हुई छापेमारी के दौरान भी कुछ नकदी और बजरी लीज को लेकर दस्तावेज जब्त किए हैं।

बजरी माफिया के ठिकानों से बीसलपुर बांध प्रोजेक्ट से जुड़े अहम दस्तावेज, विधानसभा के पास बने विधायक आवास के कई दस्तावेज, विधानसभा के पास कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब के निर्माण से जुड़े हुए कई दस्तावेज मिले हैं।
बजरी माफिया के ठिकानों से बीसलपुर बांध प्रोजेक्ट से जुड़े अहम दस्तावेज, विधानसभा के पास बने विधायक आवास के कई दस्तावेज, विधानसभा के पास कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब के निर्माण से जुड़े हुए कई दस्तावेज मिले हैं।

ग्रुप ने रेड से पहले सिस्टम से डिलीट किया लेनदेन का डाटा
आयकर विभाग की टीम ने जब ग्रुप के डिजिटल इनवॉइस को सर्च किया तो उसमें डाटा डिलीट मिला। आईटी की साइबर टीम ने क्लोनिंग के जरिए डिलीट डाटा रिसीव कर लिया है, जिसकी जांच की जा रही है। ग्रुप के कर्मचारियों को जब ईडी ने डाटा डिलीट करने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने सिस्टम में एरर आने की बात की। जब की क्लोनिंग रिकवरी के जरिए आईटी को पता चला कि हर सिस्टम से मैनुअली जाकर डाटा डिलीट किया गया, साथ ही हिस्ट्री से भी उसे हटाया गया है। हालांकि क्लोनिंग के जरिए डाटा को रिकवर किया जा चुका है।

आईटी विभाग की सर्च की कार्रवाई रहेगी जारी
निलेश गढ़िया के सहयोगी ग्रुपों में गोदारा ग्रुप, इंजीनियर एंड इंजीनियर ग्रुप और शशिपाल कुमावत ग्रुप पर आयकर विभाग की सर्च की कार्रवाई की। शुक्रवार से टीमों ने कई और जगहों को भी चिह्नित कर सर्च करना शुरू किया है। निलेश के तार फॉस्फेट माइंस के कई अन्य कारोबारों से भी जुड़े हैं। इस ग्रुप की जानकारी जयपुर में कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब निर्माण के दौरान सामने आई थी।

सरकार को प्रति टन दे रहे 100 रुपए, आमजन से ले रहे 750 रुपए
आयकर विभाग को जानकारी मिली थी कि प्रदेश में बजरी खनन करने वाले कुछ ही ग्रुप है। ये ग्रुप सरकार को 100 रुपए प्रति टन के हिसाब से पैसा देते हैं, जबकि ये लोग आमजन से 750 रुपए प्रति टन के हिसाब से चार्ज करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की रोक हटने के बाद भी बजरी व्यापारियों ने प्रति टन में कोई राशि कम नहीं की।

ऐसे में रोक हटने के बाद भी आमजन को कोई फायदा नहीं हुआ। बजरी व्यापारी चांदी कूट रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी मौन बैठकर तमाशा देख रहे हैं। इनकम टैक्स के अधिकारी जल्द ही कुछ ग्रुप से भी इसे लेकर पूछताछ कर सकते हैं। खान विभाग के कुछ अधिकारियों से भी इस संबंध में पूछताछ हो सकती है।