सवाई माधोपुर - हेमेंद्र शर्मा 

इस बार विधानसभा चुनावों में सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट एक बार फिर हॉट सीट में तब्दील हो गई है। यहां से जनता में पैठ रखने वाले लोगों द्वारा निर्दलीय ताल ठोकने से भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के चुनावी समीकरण बिगड़ गए हैं। भाजपा कार्य समिति सदस्य आशा मीणा के भाजपा से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं कॉंग्रेस के पूर्व विधायक अलाउदीन आजाद के पुत्र एंव कॉंग्रेस नेता अज़ीज़ आज़ाद के चुनावी मैदान में ताल ठोकने से कॉंग्रेस की भी मुश्किलें बढ़ गई है। ऐसे में अब सबकी निगाह सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट पर है ।

सवाई माधोपुर विधानसभा सीट से जहां कांग्रेस के दानिश अबरार और भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीना  मैदान में हैं। इस सीट से दोनों ही पार्टी के जनता में आधार रखने वाले नेताओं ने बगावत कर ताल ठोक दी है। ऐेसे में अब चुनावी मुकाबला रोमांचक हो गया है। भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवार के नामांकन करने के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव व पूर्व विधायक अलाउद्दीन आजाद के बेटे ने चुनावी ताल ठोकते हुए नामांकन किया है। 

वहीं टिकट वितरण से नाराज भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशा मीना ने भी भाजपा से बागी होकर अपना नामांकन दाखिल किया है। भाजपा- कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार के साथ ही दोनों पार्टियों से बगावत कर ताल ठोक रहे नेताओं की भी जनता में खासी पैठ है तथा जनता से उनका सीधा जुड़ाव है। भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर किरोडी लाल मीणा के लिए भाजपा की बागी आशा मीणा बड़ी चुनौती है क्योंकि आशा मीणा 2018 में भाजपा के टिकिट पर चुनाव लड़ी और हारने के बाद भी विगत पांच साल से लगातार क्षेत्र में सक्रिय रही। 

ऐसे में जनता में आशा मीणा की गहरी पैठ और पकड़ है जो डॉक्टर किरोडी के लिए परेशानी पैदा कर सकती है। नामांकन दाखिल करने के दौरान आशा मीणा के समर्थन में उमड़ी भीड़ ने इस उनके व्यापक समर्थन पर मोहर लगा दी है। हालांकि अभी भाजपा डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में अगर भाजपा आशा मीणा को साधने में कामयाब नहीं हुई तो भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सवाई माधोपुर विधानसभा सीट पर जो हालात भाजपा के है वही हालात कॉंग्रेस में भी बन गए है। वर्तमान में कॉंग्रेस के दानिश अबरार यहाँ से विधायक हैं। कॉंग्रेस ने दानिश अबरार पर एक बार फिर भरोसा जताया और सवाई माधोपुर सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। दानिश अबरार अपने द्वारा करवाये गये विकास कार्यो एंव कॉंग्रेस सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के दम पर चुनावी मैदान में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते है लेकिन कॉंग्रेस के पूर्व विधायक अलाउदीन आजाद के पुत्र एंव कॉंग्रेस नेता अज़ीज़ आजाद के कॉंग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने से कॉंग्रेस का चुनावी समीकरण भी पूरी तरह से बदल गया है। 

अज़ीज़ आजाद की अल्पसंख्यक समुदाय सहित अन्य समाजों में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में अज़ीज़ आजाद के चुनाव लड़ने से कॉंग्रेस के दानिश अबरार की मुश्किलें भी बढ़ गई है। दानिश अबरार आज़ाद द्वारा  को हँसते हुए टालते हैं और कहते हैं कि वे तो सिर्फ जनता के दिल में जगह बनाकर विधानसभा तक दोबारा पहुंचना चाहते हैं। वहीँ कांग्रेस के बागी आज़ाद पार्टी से बगावत कर लड़ने को अपना लोकतान्त्रिक अधिकार मानते हैं। डॉ. किरोड़ी मीणा सवाई माधोपुर से अपना पुराना रिश्ता बताते हुए वहां से लड़ने का निर्णय भी पार्टी का ही बताते हैं। वैसे इस इलाके में वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 

सवाईमाधोपुर विधानसभा में मीना व मुस्लिम मतदाता अधिक संख्या में है। इसके चलते भाजपा-कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार भी जातिय समीकरण को देखते हुए घोषित किए हैं। अब दोनों ही पार्टियों व जाति के नेताओं ने निर्दलीय ताल ठोक दी है। ऐसे में अब मीना व मुस्लिम मतदाताओं के बंटने की संभावना प्रबल है। जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा इसका निर्णय अब नगर परिषद क्षेत्र के मतदाता करेंगे। विगत चुनावों में भी यहां से जीतने वाले नेताओं को विधानसभा पहुंचाने में जिला मुख्यालय के मतदाताओं की भूमिका अहम रही थी। भाजपा कॉंग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों के प्रत्याशी व अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में है ,जो कुछ हद तक दोनों ही प्रमुख पार्टियों को नुकसान पहुंचाएंगे। जातीय मतदाताओं के विभाजन के बाद अब लगता है कि उम्मीदवारों की जीत और हार का फैसला नगर परिषद क्षेत्र के 60 वार्डों के मतदाता ही करेंगे।