ओम बिड़ला!अश्विन वैष्णव अंदर खाने अभी से सक्रिय!!💁‍♂️

वसुंधरा इस दिशा में सबसे आगे!!🙋‍♂️

राजस्थान भाजपा मान चुकी है कि उसकी सरकार बनना तय है। प्रचंड बहुमत से उसके विधायक विधानसभा पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री कौन हो ❓इसके लिए ओम बिड़ला जैसे नेता अपनी नई भूमिका तलाश रहे हैं।😆

प्रदेश कार्यालय में आपस में एक दूसरे की पीठ थपथपाने और शाबाशियाँ बाँटने के लिए चुनाव समीक्षा की गई। राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी के नेतृत्व में बैठक हुई। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भी मौज़ूद रहे। सभी नेताओं ने चुनाव प्रबन्धन पर तसल्ली व्यक्त की। हर स्तर पर रणनीति को सराहा गया।😵‍💫

बैठक में मौज़ूद सभी महारथियों ने दावा किया कि उनकी पार्टी बहुमत से चुनाव जीत कर सरकार बना रही है। तीन तारीख़ किसके हक़ में क्या लिखेगी? यह फ़िलहाल कुछ भी पता नहीं मगर भाजपा का अतिरिक्त उत्साह देखते ही बनता है। जिन नेताओं की हार जीत अभी भी उलझनों से बाहर आती नज़र नहीं आ रही वह भी अपनी अगली ज़िम्मेदारी को महत्वपूर्ण मान रहे हैं।

समीक्षा बैठक में सब आए मगर वसुंधरा नहीं पहुंची। बुलाया न हो ऐसा तो नहीं हो सकता मगर उनके न आने पर नेताओं के चेहरे पर संतोष के भाव ज़रूर थे। जैसे यह पूरी बैठक थी ही उन नेताओं की ,जिनका वसुंधरा में कोई इंटरेस्ट नहीं। राजेन्द्र राठौड़!ओंकार सिंह लखावत!इन दो पके हुए चांवलों से ही ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है।😊

इधर पार्टी की समीक्षा बैठक हुई उधर कोटा नरेश और विधानसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अपना नया वज़ूद तलाशना शुरू कर दिया है। जगज़ाहिर है कि उन्होंने इन चुनावों में लोकसभा अध्यक्ष पद की संवेधानिक मर्यादाओं का पूरा ध्यान रखा मगर लोग यह भी जानते हैं कि वसुंधरा के सबसे ख़ास नेता प्रहलाद गुंजल को टिकिट सिर्फ़ इसलिए मिली कि अंत समय में बिड़ला ने प्रहलाद को टिकिट दिलवाया। यह भी जानते हैं लोग की बाग़ी होकर चुनाव लड़ने पर आमादा भवानी सिंह को बिड़ला जी ने ही मनाया और चुनाव न लड़ने के लिए बैठाया। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने उनका लोहा माना ।👍

बिड़ला दिल्ली के दरबार मे राजस्थान के सबसे मजबूत नेता हैं। पिछले दो सालों से पत्रकार और सोशियल मीडिया इनको भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे थे।जीत की संभावनाओं के बाद एक बार फिर इनका नाम चर्चाओं में लाया जा रहा है। खुद बिड़ला जी भी इस दिशा में आश्वस्त हैं।🙋‍♂️

इधर अश्विनी वैष्णव भी अंदर खाने अपनी चाल तेज़ कर चुके हैं। अर्जुन मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत सहित और भी कई लोग अपने आप को ज़रा सा मौक़ा मिलते ही अपनी सुल्तानी की तजवीज़ ढूँढ़ रहे हैं।😝

यहाँ बता दूँ कि जो कुछ हो रहा है उसमें सबसे अलग इंतज़ाम महारानी कर चुकी हैं। उनको पता है कि उन्होंने जिनको टिकिट दिलवाई है उनमें से कौन कौन शत प्रतिशत जीतेगा। कौन ऐसा है जो उनकी बी लिस्ट में है।वसुंधरा अभी से उनकी मोनिटरिंग कर रही हैं।अधिकांश लोग उनसे मिल भी चुके हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो चुप्पी के साथ साथ देना तय कर चुके हैं।🤪

माना जा रहा है कि यदि भाजपा को सरकार बनाने का मौक़ा मिला तो वसुंधरा हाईकमान को मंजूरी का मौक़ा ही नहीं देंगी । सीधे अपनी टीम को हाईकमान के सामने कारपेट परेड करवा देंगी।😊

जैसे ही चुनावों के रुझान आने लगेंगे दोनों ही दल अपने अपने विधायकों को बाड़ों में ले आएंगे। वसुंधरा और गहलोत ने इसके लिए पुख़्ता व्यवस्था पहले से ही कर दी है।😆

फ़िलहाल सिर्फ़ इतना साफ़ है कि कोई भी दल अपने दल बल से सरकार नहीं बना पाएगा इसलिए जीतने वाले बाग़ियों को सबसे पहले क़ब्ज़े में लिया जाएगा।👍

भाजपा अपनी जीत को लेकर भले ही बेहद उत्साहित है मगर राजनीति के कई पुरोधा अभी भी कांग्रेस को सत्ता में आने की बात कह रहे हैं। देखते हैं क्या होता है। आज के लिए इतना ही।🙋‍♂️