©️✍️ लोकेश कुमार सिंह 'साहिल'

 (1)

मैं उसकी सरकार हूँ ,

वो मेरी सरकार ।

यह सत्ता हस्तांतरण ,

चला रहा परिवार ।।

(2)

लोकतन्त्र में लोक ही ,

होता ज़िम्मेदार ।

जिसका जैसा वोट है ,

वैसी है सरकार ।।

(3)

तब विकास के नाम का ,

रोना है बेकार ।

धर्म जाति के नाम हम , 

जब चुनते सरकार ।।

(4)

कवियों की यदि एक दिन ,

बन जाये सरकार ।

तो सत्ता के केन्द्र का ,

छन्द बने सरदार ।।

(5)

जीवन भर मैंने दिया , 

मन को ही अधिकार ।

इस तन पर चलती रही ,

मन की ही सरकार ।।