अलवर ब्यूरो रिपोर्ट।  

पूर्व सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. करण सिंह यादव ने कहा कि अलवर की कांग्रेस भंवर जितेंद्र सिंह के कब्जे में है। जैसा वो चाहते हैं वो होता है। इसी कारण अलवर के टिकट वितरण के बाद असंतोष है। राजगढ़ से जौहरी लाल मीणा योग्नयवान का टिकट का काट दिया। बहरोड़ से जिस प्रत्याशी को टिकट दिया है। वह कार्यकर्ता अच्छा है। लेकिन वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएगा। यह बात पूर्व सांसद ने टिकट वितरण के बाद दिल्ली में मीडिया से कही है।

इस तरह के निर्णय बड़े लेवल पर सर्वे कराने के बाद लेती है तो सोचना पड़ता है कि इस पार्टी में रहना चाहिए या नहीं रहना चाहिए। मैं लीडरशिप से कहना चहूंगा कि इस पर पुनर्विचार करे। अभी सर्वे करके देख लें। मैं ये नहीं कहता कि बहरोड़ से बस्तीराम यादव चुनाव जीत जाएगा। लेकिन इनमें से सबसे योग्य उम्मीदवार वही है। मनगढंत सर्वे के आधार जितेंद्र सिंह को निर्णय लेते हैं तो हम उनके साथ नहीं है। पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर करेंगे तो छोड़ने को तैयार हैं।

किशनगढ़बास विधायक को लेकर कहा नहीं जीतेंगे

उन्होंने कहा कि किशनगढ़बास क्षेत्र में दीपचंद खैरिया जीत नहीं सकते। अलवर शहर से भंवर जितेंद्र सिंह को खुद चुनाव लड़ना चाहिए था। या दीनबंधु शर्मा को टिकट मिलना चाहिए था। राजगढ़ के जौहरी लाल 80 वर्ष के होते हुए भी बहुत मेहनती है। इन सीटों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। अशोक गहलोत ने इतनी अच्छी योजनाएं दी हैं। कांग्रेस शासन दुबारा आने की उम्मीद है। ऐसे में टिकटों के मामले में सारे जिले में घोटाला कर देंगे।


डॉ. करण सिंह यादव के आरोपों का जवाब देते हुए भंवर जीतेन्द्र सिंह ने कहा कि डाॅक्टर साहब का नाराज हाेना स्वभाविक है। उनके नजदीकी बस्तीराम यादव काे टिकट मिलता ताे खुश,किसी और काे मिला ताे नाराज! मैंने उन्हें पहले ही बता दिया था कि बहरोड़ से बस्तीराम और संजय यादव दाे के ही नाम हैं। निर्णय आलाकमान पर छाेड़ दिया था।

जहां तक टिकट बेच-खरीद की बात है तो उनसे मैंने भी पूछा कि किसने टिकट बेचा और किसने खरीदा, बताएं। उसे मैं भी पकड़ लूंगा। पता ताे लगे कि टिकट ​आखिर किसने किसे कितने में बेचा।

जीतेन्द्र सिंह ने जौहरी लाल प्रकरण में कहा कि जौहरीलाल काे टिकट नहीं मिलने से मुझे व्यक्तिगत दुख हुआ है। वह मेरे नजदीकी रहे हैं। कई सर्वे हुए लेकिन वह पिछड़ रहे थे। टिकट देना मेरे हाथ में नहीं है। टिकट वितरण के बाद ऐसे रिएक्शन आते ही हैं। कहीं विराेध कम हाेता है तो कहीं ज्यादा। जो लोग नाराज हैं, उन्हें मिल-बैठकर समझा लेंगे। पार्टी के कारण उनकी पहचान बनी है, उन्हें पार्टी के लिए काम करना चाहिए।