जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।   

अब तक राजस्थान की जनता को यही सूचना दी गई थी कि उनकी विधानसभा में 200 सीट हैं और इन्हीं सीटों पर विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवार चुनावी संघर्ष करेंगे। लेकिन यह अर्ध सत्य है। राजस्थान की चुनावी लड़ाई 200 सीटों के हजारों उम्मीदवारों से ज्यादा गंभीर और कारगर तरीके से वोट पड़ने से पहले ही लड़ी जा रही है।  ये लड़ाई हो रही है अब तक इज़रायल की गुप्तचर एजेंसी मोसाद के छोटे भाई का दर्जा पा चुकी PM की ED और बी एल सोनी-दिनेश एम एन जैसे कड़क अफसरों की कार्यप्रणाली से ख्याति पाई लेकिन CM गहलोत पर आश्रित ACB के बीच।   हालांकि इस युद्ध की शुरुआत मोदी जी ED ने बहुत पहले ही कर दी थी पर अब मामला कुछ ज्यादा गंभीर हो चला है। अब तू डाल डाल - मैं पात पात की तर्ज पर खेल शुरू हुआ है।  PCC अध्यक्ष डोटासरा पर ED के छापों और उनके दो बेटों और CM के [पुत्र वैभव गहलोत को समन के बाद राजस्थान की ACB भी सक्रीय हो गई दिखती है।  गुरूवार को ही उसने पाक-साफ ED के एक अधिकारी को कैपुर में 15 लाख की रिश्वत लेते रेंज हाथों पकड़ किया। अब 'HMV' यानि हिज मास्टर्स वॉयस ED ने आज प्रदेश के नौकरशाहों में नंबर तीन पर माने जाने वाले वरिष्ठ आईएएस सुबोध अग्रवाल और पहले ही मुसीबतों में घिरे मंत्री महेश जोशी पर धावा बोल दिया है।   

जल जीवन मिशन घोटालों के मामले में ईडी की टीम ने जलदाय विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सुबोध अग्रवाल समेत कई अधिकारियों के आवास पर रेड की है। राजस्थान में 6 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की गई है। शुक्रवार सुबह हुई छापेमारी के बाद अधिकारियों और ठेकेदारों में हड़कंप मच गया है।

सुबह करीब 8 बजे ईडी की तीन टीमें सचिवालय पहुंची और सुबोध अग्रवाल के ऑफिस में सर्च करना शुरू किया। गांधी नगर स्थित जलदाय विभाग के एक सीनियर अधिकारी के घर पर भी ईडी की टीमें सर्च कर रही हैं। पीएचईडी मंत्री महेश जोशी के कार्यालय में भी सर्च की कार्रवाई हो रही है।

इनके अलावा विभाग से जुड़े चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता, इंजीनियर दिनेश गोयल, एक्सईएन संजय अग्रवाल के कार्यालय सहित अन्य ठिकानों पर भी फिलहाल टीम सर्च कर रही है। टीम की छापेमारी की सूचना मिलने पर यह सभी सीनियर अधिकारी कार्यालय नहीं पहुंचे है।

बता दें कि करीब 2 महीने पहले भी ईडी ने जयपुर में अलग-अलग जगह रेड मारी थी। सर्च के दौरान ढाई करोड़ रुपए कैश और सोने की ईट मिली थीं। ईडी को प्रॉपर्टी कारोबारी संजय बड़ाया और कल्याण सिंह कव्या के घर से कई दस्तावेज भी मिले थे। इसके बाद सीनियर आईएएस अधिकारी (जलदाय विभाग के ACS) सुबोध अग्रवाल का नाम सामने आया था।

जमीनों के कागजात भी मिले थे

दो महीने पहले हुई रेड में कल्याण सिंह कविया के घर से ब्यूरोक्रेट्स और राजनेताओं के नामों से रजिस्टर्ड जमीनों के कागजात मिले थे। कविया जयपुर के वैशाली नगर, करणी पैलेस रोड, गांधी पथ सहित कई इलाकों में प्रॉपर्टी का बिजनेस करता है। इस आधार पर माना जा रहा था कि ईडी ऐसे अधिकारियों और राजनेताओं से पूछताछ भी कर सकती है।

बड़ाया के घर से भी मिले थे सबूत

सितंबर में जब ईडी ने संजय बड़ाया और कविया के घर रेड की थी उस दौरान बड़ाया के घर से ईडी को कई सबूत मिलने का दावा किया गया था। दरअसल, ​​संजय बड़ाया यह जानकारी थी कि ईडी राजस्थान में कभी भी जल जीवन मिशन को लेकर एक्शन कर सकती है।

इस पर संजय ने सबसे पहले अपना आईफोन 14 प्रो बदलकर उसकी जगह दूसरा मोबाइल ले लिया था। ईडी को बड़ाया के घर से नकदी नहीं मिली, लेकिन जो दस्तावेज मिले वो ईडी की जांच आगे बढ़ाने के लिए काफी थे। दस्तावेजों में कई अधिकारी, राजनेताओं को पैसा लेने और देने के सबूत होने का दावा किया जाता है। कुछ रजिस्ट्री के दस्तावेज भी बढ़ाया के घर से ईडी को मिले थ।

क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?

पहला- ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी। जिस का खर्चा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को 50-50 प्रतिशत करना था। इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी। इस की जगह पर एचडीपीई की पाइपलाइन डाली गई।

दूसरा- पुरानी पाइप लाइन को नया बता कर पैसा लिया गया। जबकि जमीन में पाइप लाइन डाली ही नहीं गई।

तीसरा- कई किलोमीटर तक आज भी पानी लाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन उसका ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर पैसा उठा लिया।

चौथा- ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उसे नया पाइप बता कर बिछा दिया और सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए।

पांचवां- ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी उसे टेंडर दिया गया। क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था।