जयपुर/भीलवाड़ा ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजस्थान के गुर्जर समाज के आराध्य स्थल मालासेरी डूंगरी मंदिर (भीलवाड़ा) के मुख्य पुजारी हेमराज पोसवाल ने साफ किया कि मंदिर समिति और मैंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दान-पात्र में कोई लिफाला डाला था। न ही दान-पात्र खोलते समय ये बताया कि लिफाफा प्रधानमंत्री का है। ये पूरी तरह से अफवाह फैलाई गई। साथ ही कहा- प्रियंका गांधी ने दौसा और झुंझुनूं में काल्पनिक कहानी बनाकर लिफाफे का जिक्र किया। पुजारी शुक्रवार को जयपुर में मीडिया से बात कर रहे थे।

ये बात और है कि यह मामला ही प्रकाश में तब आया जब कुछ न्यूज़ चैनल्स और सोशल मीडिया साइट्स पर इन्हीं पुजारी की तरफ से 21 रुपये के इस लिफाफे के बारे में बताया गया अन्यथा मंदिर के दान पात्र में डाले गए PM मोदी के लिफाफे की बात गुप्त ही रहती जैसी कि किसी भी दानदाता की तरह PM मोदी की भी इच्छा रही होगी। 

दरअसल, प्रियंका गांधी ने 7 दिन पहले दौसा में जनसभा के दौरान कहा था- मैंने टीवी पर देखा, पता नहीं सच है कि नहीं, देवनारायण जी के मंदिर में कुछ समय पहले प्रधानमंत्री गए थे और एक लिफाफा डाल आए। 6 महीने बाद प्रधानमंत्री जी की ओर से दिया लिफाफा खोला गया, जनता सोच रही थी कि भगवान जाने क्या होगा इस लिफाफे में? देश के इतने बड़े नेता आए थे, वह लिफाफा डालकर गए थे।

इसके बाद प्रियंका ने खाली लिफाफे की तुलना मोदी की खाली घोषणाओं से कर दी और मामला तूल पकड़ गया। 

उल्लेखनीय है कि इस मामले में प्रियंका गाँधी वाड्रा के खिलाफ शिकायत भी कर दी गई है और उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप भी लगा दिया है। 

स्थानीय राजनेताओं ने अफवाह फैलाई

वहीं अब पुजारी का कहना है कि हर साल की तरह इस साल भी भादवीं छठ के अवसर पर दान-पात्र खोला गया था। जो समिति और सर्वसमाज के सामने खोला गया। इसमें कैश और लिफाफे मिले। इस दौरान मेरे और मंदिर समिति के लोगों से रंजिश रखने वाले आसींद-भीलवाडा के स्थानीय राजनेताओं ने अफवाह फैलाई।

हेमराज पोसवाल ने बताया- इस अफवाह में बताया प्रधानमंत्री ने कोई लिफाफा डाला। इसको खोलने पर 21 रुपए निकले, लेकिन मंदिर समिति और मैंने कभी भी ऐसा बयान नहीं दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने न कोई लिफाफा दान-पात्र में डाला। न दान-पात्र खोलते समय निकला। न ही मैंने बताया कि यह प्रधानमंत्री का लिफाफा है।

उन्होंने बताया- दान-पात्र में कई लिफाफा थे, जिसके बारे में जानकारी नहीं दी गई। स्थानीय नेताओं ने सनातन धर्म, मंदिर और मोदी की छवि को खराब करने के लिए अफवाह फैलाई।