दिल्ली ब्यूरो रिपोर्ट।
सीएम अशोक गहलोत के बेटे और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) अध्यक्ष वैभव गहलोत से सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 7 घंटे पूछताछ की। गहलोत सुबह दिल्ली स्थित ईडी ऑफिस में पेश हुए। पूछताछ के बाद शाम को वैभव गहलोत ने कहा- मैंने उनसे कहा कि मेरी कंपनी और मेरा फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेटरी एक्ट (फेमा) से कोई लेना-देना नहीं है। मेरी कंपनी और किसी फर्म ने कोई विदेशी ट्रांजेक्शन नहीं किया है। मैंने इन आरोपों के संबंध में 10-12 साल पहले भी जवाब दिया है। अब मुझे 16 नवंबर को बुलाया गया है।
ईडी ने 25 अक्टूबर को वैभव गहलोत को समन भेजकर फेमा के उल्लंघन के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। वैभव ने पेश होने के लिए 30 अक्टूबर तक का समय मांगा था। वैभव वकीलों की राय लेने के बाद खुद की कंपनियों से जुड़े दस्तावेज के साथ ईडी के सामने पेश हुए थे। सोमवार को पहले राउंड में 4 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें लंच ब्रेक दिया गया। इसके बाद दूसरे राउंड में 3 घंटे पूछताछ हुई।
फेमा में समन जारी करने पर उठाए सवाल
वैभव गहलोत से ईडी ने पहले राउंड में करीब चार घंटे (सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक) पूछताछ की थी। पहले राउंड की पूछताछ के बाद एक घंटे लंच के लिए समय दिया गया था। लंच ब्रेक के बाद फिर से पूछताछ शुरू हुई थी। वैभव बोले- मैंने और मेरे परिवार ने कोई विदेशी ट्रांजेक्शन नहीं किया, फेमा का मामला नहीं बनता। मुझे फेमा के मामले में ईडी ने समन दिया था। फेमा से जुड़े मामले में ही पूछताछ की है। मेरे और मेरे परिवार ने कोई विदेशी लेन-देन नहीं किया। फेमा में यह समन ही गलत है। मुझे केवल पूछताछ के लिए पेश होने के लिए डेढ़ दिन का समय दिया गया। मुझे और टाइम मिलना चाहिए था।
मनी लॉन्ड्रिंग और मॉरीशस लिंक पर रहा पूछताछ का फोकस
वैभव गहलोत से ईडी की पूछताछ का मुख्य फोकस शैल कंपनियों में पैसा लगाने, मॉरीशस रूट के जरिए पैसा विदेश पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग पर रहा। वैभव की कंपनी पर शैल कंपनी के जरिए 100 करोड़ रुपए मॉरीशस भेजने के आरोप है। जून में राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने ईडी में इसकी शिकायत की थी। सांसद मीणा ने वैभव पर होटल फेयरमोंट में मॉरीशस की शैल कंपनी की ओर से करीब 100 करोड़ के निवेश के आरोप लगाए थे। शिकायत में आरोप था कि गहलोत और उनके परिवार के सदस्यों के पैसे को पहले हवाला के जरिए मॉरीशस पहुंचाया गया। मामले में फेमा के उल्लंघन की जांच करने की मांग की गई थी।
वैभव ने कहा- ट्राइटन से मेरा संबंध केवल टैक्सी सर्विस का है
ईडी से समन जारी होने के बाद वैभव गहलोत ने कहा था कि जिस मामले में 12 साल पहले जांच हो चुकी है। हम सब दस्तावेज दे चुके हैं। उस वक्त कुछ नहीं मिला। अब चुनाव के समय उस मामले को फिर उठाया गया है। ट्राइटन से संबंध पर वैभव ने कहा था- ट्राइटन होटल्स से मेरी कंपनी का व्यवसायिक संबंध केवल टैक्सी दिलाने तक का है, जो आज भी है। उनसे जुड़ी किसी भी कंपनी में हिस्सेदार नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मैं ट्राइटन इंडिया में डायरेक्टर या पार्टनर कभी नहीं रहा। उनकी कंपनी ने विदेश में क्या ट्रांजेक्शन किया है, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है। विदेश से कोई व्यापार या वहां मेरी कोई संपत्ति नहीं है।
ट्राइटन होटल्स में लीगल एडवाइजर रहे हैं वैभव
ट्राइटन के डायरेक्टर रतन शर्मा और वैभव गहलोत के कारोबारी रिश्ते हैं। रतन की कंपनी ट्राइटन होटल्स एंड रिजॉट्र्स में वैभव गहलोत लीगल एडवाइजर रहे हैं। बीजेपी ने आज से 10 साल पहले भी वैभव की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाए थे।
वैभव गहलोत ने रतन शर्मा को लेकर कहा था कि रतन शर्मा मेरी कंपनी सनलाइट कार रेंटल में कुछ समय शेयर होल्डर रहे थे। बाकी जिन लोगों के नाम लिए जा रहे हैं, उनसे कोई व्यवसायिक संबंध नहीं रहा है। ईडी में की गई शिकायत के अनुसार वैभव की कंपनी सनलाइट कार रेंटल सर्विसेज के दस्तावेज में रतन शर्मा निदेशक रहे हैं।
वैभव गहलोत से ईडी उनकी कंपनी के लेनदेन, पार्टनरशिप और मॉरीशस लिंक के बारे में पूछताछ की। ईडी ने समन के साथ उन डॉक्युमेंट्स की भी लिस्ट दी थी, जिन्हें साथ लेकर जाना था। वैभव और उनके परिवार के मेंबर जिन कंपनियों में डायरेक्टर हैं, उनका पूरा ब्योरा मांगा था। वैभव की कंपनियों और उनके लेन-देन के ब्योरे, ट्राइटन होटल्स एंड रिजॉट्र्स कंपनी के साथ लेन-देन का शुरू से लेकर अब तक साल दर साल पूरा ब्योरा मांगा था। सनलाइट कार रेंटल कंपनी के लेन-देन और विदेशों से हुए लेन-देन की भी जानकारी मांगी थी।
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