शहर के फोर्टिस हॉस्पिटल में डॉक्टर और मरीज के परिजनों के बीच हुई झड़प का मामला इतना बढ़ गया कि शनिवार को प्रदेशभर के सभी निजी अस्पताल, क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर बंद रखे जाएंगे। डॉक्टर से मारपीट का विरोध करने उतरी डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पहले जवाहर सर्किल थाने में मामला दर्ज कराया और देर रात जेएमए में बैठक कर बंद का निर्णय किया। उधर, परिजनों ने कहा कि अस्पताल के डॉक्टर्स ने पहले गलती की और अब इलाज ही नहीं करना चाहते। इसीलिए यह सब किया गया और दबाव बनाकर पेशेंट को रेफर कर दिया जबकि उन्हें डिस्चार्ज टिकट तक नहीं दिए गए। परिजन देर रात में अस्पताल में ही डटे रहे।
परिजनों का आरोप: अस्पताल ने गलती मानी थी, 5 माह से फ्री इलाज कर रहे थे
झुंझुनूं के 36 साल के विनीत के कान में प्राब्लम हुई तो वे फोर्टिस अस्पताल पहुंचे। यहां ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. मोहन कुलहरी ने विनीत को ऑपरेशन कराने की सलाह दी। सामने आया है कि विनीत को अन्य डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के लिए मना किया था, लेकिन डॉ. मोहन ने छोटा सा ऑपरेशन करने की बात कह एडमिट किया। 22 मई को ऑपरेशन हुआ। विनीत की पत्नी अनिता ने बताया कि ऑपरेशन सफल नहीं रहा और पेशेंट की तबीयत बिगड़ गई। परिजनों ने 22 मई की ही शाम को डॉक्टर्स से बात की तो उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन पाइप जल्दी हटाने से पेशेंट कोमा में चला गया।
विनीता ने बताया कि डॉ. मोहन अन्य अस्पतालों में भी जाते थे और जल्दबाजी में ऐसा किया। अस्पताल में बात बढ़ी तो प्रशासन ने कहा कि विनीत को आईसीयू में रखा जाएगा और जब तक सही नहीं हो जाते पूरा इलाज फ्री में होगा। अस्पताल ने ऐसा किया भी, लेकिन कुछ ही दिन बाद उनकी देखरेख में कमी करते गए। डॉ. मोहन विनीत को देखते नहीं थे। इसी बात से नाराज परिजन शुक्रवार को डॉ. मोहल के चेंबर में पहुंचे और बात झगड़े तक पहुंच गई। उधर, डॉ. मोहन ने कहा कि विनीत का फ्री इलाज हो रहा है, इस बारे में उन्हें नहीं पता।
परिजनों को मारपीट नहीं करनी चाहिए थी, उनकी गिरफ्तारी हो। यदि ऐसा नहीं किया तो प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी को प्रदेश मे संपूर्ण मेडिकल बंद व शटडाउन का आह्वान करने का निर्णय लेना पड़ेगा। -डॉ. विजय कपूर, प्रेसीडेंट पीएचएनएस, डॉ. अनुराग शर्मा सेक्रेट्री जेएमए, डॉ. राजवेन्द्र, उपचार।
आईसीयू में मैं और विनीत की बहन सरिता ही थे। डॉ. मोहन कभी विनीत को नहीं देखते थे और इग्नोर करते थे। उनकी वजह से वे काेमा में चले गए और अब केवल रेफर करने का बहाना ढूंढा जा रहा था। हम तो वैसे ही रोज मर रहे हैं..क्या ही मारपीट करेंगे। -अनिता, विनीत की पत्नी।
हमनें मानवता के नाते पेशेंट को एडमिट रखा। डॉक्टर से कोई गलती नहीं हुई थी। पेशेंट को एसएमएस रेफर कर दिया है। -माला एरेन, मेडिकल डायरेक्टर फोर्टिस अस्पताल।
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