जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट आने के साथ ही विरोध शुरू हो गया है। टिकट कटने पर पूर्व विधायक और साल 2018 में प्रत्याशी रहे नेता रोने लग गए। बोले- राजनीतिक हत्या हुई है। पार्टी का झंडा जलाने वाले को टिकट दे दिया। वहीं पूर्व विधायक अनिता गुर्जर ने वसुंधरा गुट के टिकट कटने का आरोप लगाया है। पार्टी ने बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है।

बीजेपी ने किशनगढ़ से डॉ. विकास चौधरी का टिकट काटकर अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को टिकट दिया है। टिकट कटने के बाद मंगलवार सुबह विकास चौधरी के घर उनके समर्थन में कार्यकर्ता जुट गए। इस दौरान कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विकास रोने लगे। वे बोले- बीजेपी ने मेरी राजनीतिक हत्या की है।

नगर (भरतपुर) विधानसभा से अनिता सिंह गुर्जर तक ने तो यह तक आरोप लगाए हैं कि वे वसुंधरा गुट से आती हैं, इसलिए उनका टिकट काटा गया है।

मेरी राजनीतिक हत्या की-विकास चौधरी

विकास चौधरी के किशनगढ़ इंद्रा कॉलोनी स्थित घर पर जुटेसमर्थकों ने चौधरी से चुनाव लड़ने का आह्वान किया। इस बीच विकास चौधरी भावुक हो गए। उन्होंने अपने आंसू पोंछते हुए कहा कि-पिछले 5 सालों से मैं फील्ड में मेहनत कर रहा था, मेरी राजनीतिक हत्या की गई है। इन्होंने (भागीरथ चौधरी) ने कभी मुझे सपोर्ट नहीं किया।

हर चुनाव में इनका साथ देने के बावजूद उन्होंने मुझे नजरअंदाज ही किया। वो और उनका बेटा लोगों को हर समय भ्रमित करते हैं। मैंने अपना सब कुछ छोड़कर राजनीति में सेवा के मकसद से कदम रखा, लेकिन इन्होंने 2000 बार मुझे जहर का घूंट पीने को मजबूर किया।

2018 में मैंने पार्टी का आदेश माना
आज हम नहीं लड़ेंगे, हम अपनी बात नहीं रखेंगे तो आप (जनता) के पास ऐसे लड़ने वाला किसान का बेटा नहीं रहेगा। पार्टी ने पिछली बार मुझे बुलाया था और कहा कि वर्तमान में हम चुनाव नहीं जीत पाएंगे, लेकिन आपको चुनाव लड़ना पड़ेगा। मैंने कहा कि ऐनवक्त पर आपने बुलाया है, ऐसे कैसे हो सकता है, लेकिन मैंने उनका आदेश माना और चुनाव लड़ा था।

धनबल से टिकट खरीदने का आरोप
चौधरी ने आरोप लगाया कि यह टिकट धनबल के आधार पर खरीदा गया है। वो गुरुजी सांवरलाल जाट के भी विरोधी रहे। इस बार सोची-समझी चाल से उन्होंने मेरी राजनीतिक हत्या की है। इस दौरान उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला समर्थकों पर छोड़ दिया।

वे बोले-अभी श्राद्ध चल रहे हैं, इसलिए कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए। नवरात्र शुरू होते ही हम समर्थकों के सहयोग से चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे। इससे पहले विकास चौधरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा था कि ' मैंने ईमानदारी से मेहनत की थी।'

गौरतलब है कि किशनगढ़ विधानसभा सीट जाट बाहुल्य है। बीजेपी ने इस बार दो बार 2003 और 2013 में यहां से चुनाव लड़कर जीत चुके और वर्तमान में सांसद भागीरथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।

दूसरे उम्मीदवार विमल बड़जात्या का कहना है कि- दावेदारी करना हमारा अधिकार था। केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ सोच-समझकर निर्णय किया है। पार्टी के साथ मजबूती से खड़ा रहूंगा। टिकट कटने वाले कई नेताओं ने तो निर्दलीय चुनाव लड़ने तक की बात कह दी।

वसुंधरा गुट के नेताओं के कटे टिकट
वसुंधरा सरकार में यूडीएच मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत का टिकट कटने से नाराज उनके समर्थक सोमवार रात तक वसुंधरा राजे के बंगले पर जमा थे। बताया जाता है कि शेखावत ने भी राजे से मुलाकात की। ये भी अब चर्चा है कि राजपाल के समर्थन में कई पार्षद इस्तीफा देने की धमकी भी दे रहे हैं।

वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक और उनकी सरकार में परिवहन मंत्री रहे रोहिताश्व शर्मा (फिलहाल बीजेपी से निष्कासित) बानसूर से टिकट मांग रहे थे। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।

वीडियो जारी करके रोहिताश्व ने जनता से अपील की है कि पैसे के दम पर टिकट लाने वाले लोगों को क्या आप विधानसभा भेजेंगे ? उन्होंने अपने वीडियो में जनता से कहा कि अगर जनता आशीर्वाद देगी तो बानसूर का विकास करने के लिए चुनाव लड़ेंगे।

वसुंधरा गुट का मानकर नहीं दिया टिकट
नगर विधानसभा से टिकट कटने से नाराज पूर्व विधायक अनिता सिंह गुर्जर ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की। बीजेपी ने नगर से जवाहर सिंह बेडम को प्रत्याशी घोषित किया हैं।

सांचौर में सांसद को लेकर बैठक
कोटपूतली से टिकट कटने पर पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी रहे मुकेश गोयल ने खुलकर विरोध जताया। उन्होंने कहा- जिस व्यक्ति ने पार्टी के झंडे जलाए, उसे टिकट दिया गया।

इस निर्णय से हमें ठेस पहुंची है। मैं हमेशा निर्दलीय चुनाव लड़ने के खिलाफ रहा हूं। इस निर्णय से कांग्रेस के प्रत्याशी को बल मिलेगा। हम मिलकर आगे की रणनीति तैयार करेंगे।

इसी तरह सांचौर से बीजेपी ने सांसद देवजी पटेल को टिकट दिया है। इसके बाद यहां भी विरोध शुरू हो गया। यहां से पिछले चुनावों में बीजेपी प्रत्याशी रहे दानाराम चौधरी के समर्थन में मंगलवार को कार्यकर्ता धरने पर बैठक गए।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि देवजी पटेल की जमानत भी जब्त होगी। गांवों में इनकी मीटिंग भी नहीं होने देंगे। दानाराम के समर्थकों का आरोप है कि सांसद को टिकट देना, ये पार्टी का निर्णय पूरी तरह गलत है।

टोंक में विजय बैंसला का विरोध, जिला अध्यक्ष बोले- कोई विरोध नहीं
टोंक जिले की देवली-उनियारा से बीजेपी ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को टिकट दिया है। इसके साथ ही उनियारा क्षेत्र में उनको बाहरी प्रत्याशी बताते हुए विरोध शुरू हो गया है। बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और स्थानीय कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाने की मांग की है।

पिछले चुनावों में इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी रहे राजेंद्र गुर्जर के समर्थन में सभी लोग बीजेपी प्रदेश कार्यालय जयपुर पहुंचे। यहां उनके समर्थकों ने विजय बैंसला को बाहरी बताते हुए टिकट देने का विरोध किया। समर्थकों ने 'बाहरी भगाओ, देवली-उनियारा बचाओ' के नारे भी लगाए।

वहीं भाजपा के जिलाध्यक्ष राजेंद्र पराना ने कहा कि कोई विरोध नहीं है। भाजपा जिले की चारों सीटें जीतेगी। छोटी-मोटी बात होगी तो मिल बैठ कर समझा लेंगे।

तिजारा में पूर्व विधायक हुए भावुक
पूर्व विधायक मास्टर मामन सिंह यादव ने तिजारा में मंगलवार को एक महापंचायत का आयोजन किया। यादव ने कहा की सर्वे के आधार पर उनका नाम फाइनल हो चुका था। केंद्रीय समिति ने भी उन्हें टिकट मिलने का आश्वासन दिया। सोमवार को बाबा बालकनाथ के नाम का एक गोला पड़ा और उसने पूरा माहौल बदल कर रख दिया।

इस दौरान वे भावुक हो गए और बोले- मैंने पूर्व विधायक रहते हुए भी एक नया पैसा नहीं कमाया। अपनी बेटी की शादी भी पुस्तैनी जमीन बेचकर की, इस बार मुझे बर्बाद मत कर देना। लेकिन, तिजारा क्षेत्र मुझे वोट दे तो ही मुझे उम्मीदवार के रूप में उतारने की बात करना।

मामन सिंह यादव ने कहा- चुनाव में बाबा बालकनाथ को हर बूथ से मात्र एक-एक वोट ही जाना चाहिए, वह भी उनके महाराज होने के नाम पर। पूरे तिजारा क्षेत्र में बाबा जी को वोट नहीं मिलना चाहिए।

विरोध को देखते हुए बीजेपी ने बनाई कमेटी
चौतरफा विरोध को देखते हुए बीजेपी ने कमेटी का गठन कर दिया है। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में इस कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी में कई वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों को शामिल किया गया हैं। ये कमेटी नाराज नेताओं से बात करके उन्हें मनाने की कोशिश करेगी।