टाेंक में राज्य का पहला यूनानी मेडिकल काॅलेज खुल गया लेकिन ट्रेन की दस्तक के लिए लोग आज तक तरस रहे हैं। यहां ‘बीड़ी और बजरी’ काे इंडस्ट्रीज या राेजगार का बड़ा साधन मान सकते हैं। वैसे सरसाें की फसल अधिक हाेने से अब तेल निकालने का नया काराेबार बढ़ रहा है। राजनीतिक ताैर पर यहां पिछले चार चुनाव से यही रिवाज है- एक बार भाजपा, एक बार कांग्रेस। पिछली बार तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने यहां ताल ठोकी और 54 हजार से अधिक मताें से राजे सरकार के कैबिनेट मंत्री यूनुस खान काे हराया।
भाजपा से उस चुनाव में यूनुस एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी थे। इस बार उनका यहां जिक्र नहीं है। पायलट रिवाज बदलने के लिए पांच साल क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। कांग्रेस में तय है कि पायलट ही प्रत्याशी हाेंगे। उधर, भाजपा काे यहां रिवाज कायम रहने की उम्मीद है। वह पायलट काे घेरने के लिए यहां सांसद सुखबीर सिंह जाैनापुरिया काे उतार सकती है। प्रभावशाली नेता अजीत मेहता को भी उतार सकती है, जिनका पिछली बार ऐनवक्त पर टिकट कटा था। हालांकि दावेदारों में पूर्व नगर परिषद सभापति लक्ष्मी जैन सहित अन्य भी शामिल हैं।
रमेश विधूड़ी की वजह से भी चर्चा में यह सीट
बसपा सांसद दानिश अली पर विवादित टिप्पणी कर चर्चा में आए दिल्ली से सांसद रमेश विधूड़ी काे भाजपा ने टाेंक का चुनाव प्रभारी बनाया है। अल्पसंख्यक बहुल सीट पर उनकी नियुक्ति को वाेटाें के ध्रुवीकरण के प्रयास से जोड़कर देखा जा रहा है।
गणित : मुस्लिम, गुर्जर व एससी वोटर ज्यादा
- टाेंक सीट पर इस बार 27772 वाेट नए जुड़े हैं।
- पिछले चुनाव में 224106 वाेट थे, जो 251878 हाे गए हैं।
- मुस्लिम, गुर्जर एवं एससी वर्ग के मतदाता सबसे ज्यादा।
54 हजार वोटों से जीते थे पायलट
पिछली बार 171566 (76.56%) वोटिंग हुई। पायलट काे 109040 यानी 63%, भाजपा के यूनुस खान काे 54861 यानी 32% वाेट मिले थे। पायलट 54 हजार वाेटाें से जीते थे।
जनता कहती है...
- मेहंदवास के प्रभू लाल सैनी कहते हैं, सरकार ने काम खूब किए, पर वाेट ज्यादा भाजपा काे मिलेंगे।
- सत्यनारायण गुर्जर कहते हैं, सबसे बड़ा बनास पुल कांग्रेस राज में बना। वोट उसे देंगे।
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