उदयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

उदयपुर में भाजपा के ताराचंद जैन को उम्मीदवार बनाने के बाद खुलकर एक दावेदार उदयपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर पारस सिंघवी ने विरोध किया है। वे कार्यकर्ताओं के बीच इमोशनल हो गए और कहा कि पार्टी फिर से विचार करें नहीं तो अब आर-पार की लड़ाई लड़नी होगी। पारस ने इस मौके पर असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया को भी निशाने पर लिया और कहा कि वे उदयपुर की राजनीति को दूषित कर रहे है।

इससे पहले पारस को टिकट नहीं मिलने पर समर्थकों ने गुस्सा जताया। बाद में शनिवार रात को शिवाजी नगर सामुदायिक भवन में समर्थक जुटे और नारे लगे पारस तुम संघर्ष करो- हम तुम्हारे साथ है, अब पीछे नहीं हटना है, लड़ाई अब और पार की होगी। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पारस ​ने कहा कि मैं गुलाबचंद कटारिया का विरोधी नहीं हूं लेकिन कटारियाजी कब तक इस उदयपुर की राजनीति को दूषित करेंगे।

​किरण, धर्मनारायण, भवानी, रणधीर सिंह को छलने का काम किया
वे बोले पार्टी ने कटारिया को छोटी सी उम्र में विधायक बना दिया लेकिन उन्होंने व्यक्तियों का सम्मान नहीं किया। पूरे मेवाड़ की बात करता हूं कटारिया ने दिवंगत विधायक किरण माहेश्वरी को भी छलने का काम किया। सिंघवी ने एक-एक नेता का नाम गिनाते हुए कहा कि मांगीलाल जोशी उदयपुर, मावली विधायक धर्मनारायण जोशी, बांसवाड़ा के भवानी जोशी, वल्लभनगर विधानसभा से रणधीर सिंह भींडर सहित कई को छलने का काम किया है।

सिंघवी बोले की गुलाबचंद कटारिया के लिए शब्दों के जरिए कहू तो उनका यहां कब्जा था, पार्टी ने उनको असम का राज्यपाल बना दिया तब उदयपुर की जनता के मन में लालसा थी हमारा पारस भी विधायक बने।

मुझे कुएं में धकेलने का प्रयास किया

पारस ने कहा कि पौने चार साल पहले मुझे उदयपुर नगर निगम में उस क्षेत्र से पार्षद का टिकट दिया जहां मेरा कार्य क्षेत्र नहीं था मैने पार्टी से कहा कि वहां चुनाव जीतना मुश्किल है। कटारिया ने मुझे कहा मै भी चुनाव हारा हूं, हार जाओंगे तो क्या फर्क पड़ेगा, पर मै चुनाव जीत गया। मुझे कुएं में धकेलने का प्रयास किया लेकिन जिसके भाग्य में जो लिखा हो वह कोई टाल नहीं सकता।

कटारिया ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया

वे बोले पार्टी ने ताराचंद जैन को टिकट दिया लेकिन बताना चाहता हूं ये वहीं व्यक्ति है जिसने पांच साल पहले पार्टी को हराने का काम किया, कटारिया को स्वयं को हराने का काम किया है। जनता के सम्मान का अपमान किया हैं। कटारिया ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया, सजा भुगतनी पड़ेगी, ऊपर वाला सब देख रहा है।

बोले अब पारस ने राह तय कर ली है
सिंघवी ने कहा कि चुनाव नहीं लडूंगा तो कार्यकर्ता खड़े हो गए बोले कि चुनाव तो अब लड़ना पड़ेगा, ये चुपचाप बैठने का समय नहीं है, ये विद्रोह का समय है। पारस ने कहा कि विधायक बनना बड़ी चीज नहीं है, पार्टी ने लोगों की भावनाओं का अपमान किया है। पार्टी कुछ लोगों के हाथों में खेलेगी यह सहन नहीं कर सकते है। मैने मेरी राह तय कर ली कार्यकर्ताओं को सूचना मिल जाएगी, अब जो होना होगा वह हो जाएगा।

बड़ीसादड़ी में कटारिया संकट में थे तब मैं साथ था

वे बोले जब-जब संकट आया तब तब मैने तन-मन-धन से साथ दिया। उन्होंने कहा कि कटारियाजी वो दिन भूल गए जब वे बड़ीसादड़ी से चुनाव लड़ रहे थे तब ये पारस सिंघवी ही उनके साथ था। वे बोले कि बुढ़े मां-बाप और परिवार को छोड़कर मैने पार्टी के लिए दिन-रात काम किया और एक ही चिंता थी कि पार्टी कैसे आगे बढ़े, यही चिंता की थी और आज पार्टी ने यह पारितोषिक मुझे दिया। पारस ने कहा कि मेरे मन के अंदर भाजपा है और रहेगी लेकिन जब निर्णय गलत होगा तो कहना ही पड़ेगा।

कटारिया के हाथों उपरणा ओढ़ने को तैयार नहीं होते थे ताराचंद
वे बोले मेरा यहां विरोध इस बात का है कि कटारिया के हाथों से उपरणा ओढ़ने को तैयार नहीं होने वाले ताराचंद को ही कटारिया टिकट दे रहे है यह गलत है। वे बोले शीर्ष नेतृत्व से निवेदन है उदयपुर पर विचार करें। टिकट मुझे मत दो लेकिन जिसने पार्टी के विपरीत काम किया, पार्टी की बैठकों में गलत पर्चे बंटवाने से लेकर पार्षदों को भड़काने का काम किया उसे कैसे टिकट दिया। गलती की है तो टिकट बदल दें​। उल्लेखनीय है कि पारस सिंघवी उदयपुर चेम्बर से भी जुड़े है इसलिए कई व्यापारी भी पहुंचे।