बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

बीकानेर के सिंचित क्षेत्र के किसान की गेहूं, सरसो और चने की फसल बर्बाद होने के कगार पर पहुंच सकती है। दरअसल, सिंचित क्षेत्र विकास विभाग ने 14 अक्टूबर से लागू हो रहे रेगुलेशन में बदलाव कर दिया है। जिससे अब किसान को 25 से 30 दिन के अंतराल से पानी मिलेगा। वर्तमान में किसानों को दस से पंद्रह दिन में पानी मिल रहा था।

किसानों का कहना है कि 30 मार्च तक पचास प्रतिशत नहरें बारी- बारी से चलाकर पानी दिया जा रहा था लेकिन अब 33 प्रतिशत नहरें चलाकर पानी दिया जाएगा। इससे किसानों को पानी का अंतराल बढ़ जाएगा। पहले जो पानी दस से पंद्रह दिन में मिलता था वो अब पच्चीस से तीस दिन में मिलेगा। इतना लंबा अंतराल गेहूं, चना और सरसो की फसल सहन नहीं कर सकेगी। ऐसे मे ंये फसलें नष्ट हो जाएगी।

नहर विशेषज्ञ नरेंद्र आर्य ने बताया कि सिंचाई विभाग ने 20 मई तक पोंगडेम में पानी 1301 फीट लेवल तक ही खाली कर सकते है, इसी आधार पर जल वितरण कार्यक्रम बनाया है। गत चार वर्षो से भी यही मानकर कार्यक्रम बनाये गए थे तब फसलें बर्बाद हुई थी । गत वर्ष भी 33 प्रतिशत नहरें चलाकर किसानों कि फसलें बर्बाद कर दी ओर 20 मई 2023 को पोंगडेम में पानी था। 1333 फीट बचा और बारिश में रावी एवं ब्यास दोनों नदियों के बांधों का लाखों क्युसेक पानी पाकिस्तान के लिए छोड़ना पड़ा। यहां तक कि रणजीत सागर डेम तो गत वर्ष से भी तीस फीट कम कर दिया। इस बार भी राजस्थान के सिंचाई अभियन्ता उसी मार्ग पर चल रहे है।

पूर्व विधायक डॉ. विश्वनाथ के नेतृत्व में भाजपा नेता देवी सिंह भाटी का एक ज्ञापन संभागीय आयुक्त व सिंचित क्षेत्र विकास आयुक्त उर्मिला राजोरियो को सौंपा गया। जिसमें लिखा है कि पौंगबांध को 20 मई 2024 तक लेवल 1280 फीट तक का बीबीएमबी से पानी मांग कर पानी की सही गणना कर जल वितरण कार्यक्रम बनाए | किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने समय रहते पानी नहीं दिया तो हजारों क्विंटल फसल पिछले साल की तुलना में कम होगा।