बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 17 मार्च को एक साथ 19 नए जिले बनाने के एलान के साथ ही खाजूवाला विधायक गोविंद राम मेघवाल की टेंशन बढ़ गई थी। कारण यह कि छत्तरगढ़-खाजूवाला के आमजन इस निर्णय के विरोध में आ गए थे।

सैद्धांतिक सहमति बनने के बाद 57वें दिन भी आंदोलन जारी है। विधानसभा चुनाव और कांग्रेस को एक-एक सीट की चिंता के कारण 24 अगस्त को ही खाजूवाला और छत्तरगढ़ की बीकानेर जिले में वापसी तय हो गई थी। जब इसे लेकर मेघवाल और सीएम के बीच बात हुई थी।

30 सितंबर को जब सीएम बीकानेर आए तो एमएम ग्राउंड में खाजूवाला-छत्तरगढ़ के आंदोलनकारियों ने सीएम को वापसी से जुड़ी तख्तियां दिखाई। सीएम ने नजर भी डाली लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि वो सोच चुके थे कि अगली कैबिनेट की मीटिंग में इसका निर्णय करूंगा।

हुआ भी वही। सीएम के आश्वासन के दम पर ही भास्कर से बातचीत में गोविंद राम ने आश्वस्त किया था कि कुछ भी हो जाए खाजूवाला-छत्तरगढ़़ बीकानेर में ही रहेगा। कैबिनेट की मीटिंग में सीएम ने राजस्व मंत्री रामलाल जाट को अधिकृत कर दिया। जाट इस नए सिरे से परिसीमन आदेश जारी करेंगे। वे पहले बीकानेर आैर अनूपगढ़ जिले के कलेक्टर से रिपोर्ट लेंगे। रिपोर्ट रेवेन्यू विभाग के संयुक्त सचिव से होते हुए प्रमुख सचिव तक जाएगी। वहां से राजस्व मंत्री की स्वीकृति होगी। अंत में सीएम से अंतिम निर्णय लेकर डीनोटिफिकेशन जारी होगा। 7 से 9 नवंबर के बीच आचार संहिता लागू होगी। आचार संहिता से पहले इसका निर्णय हो जाएगा क्योंकि बाद में सरकार इतना बड़ा फैसला नहीं कर सकती फिर भले ही वो काम प्रक्रियाधीन हो।

फिर भी दुदू से बड़ा रहेगा अनूपगढ़ जिला: खाजूवाला आैर छत्तरगढ़ उपखंड़ वापस बीकानेर में आने के बाद भी अनूपगढ़ जिला दुदू से फिर भी बड़ा होगा। दुदू जिले में सिर्फ एक विधानसभा आैर तीन उपखंड कार्यालय हैं। उपखंड कार्यालयों में मौजमाबाद, दुदू आैर फागी उपखंड हैं। खाजूवाला-छत्तरगढ़ वापस बीकानेर जिले में आने के बाद भी अनूपगढ़ में अनूपगढ़, रायसिंहनगर, विजयनगर, घड़साना उपखंड कार्यालय होंगे। तहसीलों के हिसाब से भी अनूपगढ़ में अनूपगढ़, रायसिंहनगर, विजय नगर, घड़साना आैर रावला तहसील होगी जबकि दुदू में मौजमाबाद, दुदू आैर फागी तहसील ही है।

1. खाजूवाला की 70 प्रतिशत आबादी ऐसी जिसके घर खाजूवाला में भी आैर बीकानेर में ही। ज्यादातर रिश्तेदारियां भी यही हैं। कल्चर भी समान है। संभाग मुख्यालय का मोह है। अनूपगढ़ नया जिला है। उसे बीकानेर के स्तर तक पहुंचने में कई दशक लगेंगे। इसलिए वे सीधे संभाग मुख्यालय के जिले में रहना चाहते हैं।

2. गोविंद मेघवाल पहले नोखा से विधायक रहे फिर खाजूवाला से। उनके आैर भाजपा नेता डॉ.विश्वनाथ मेघवाल व कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी बीकानेर की सियासत को समझते हैं। यहां एक सीट की सियासत तीन सीटों से जुड़कर बनती हैं। ऐसे में अनूपगढ़ में जाने से खाजूवाला विधानसभा के नेता अलग-थलग पड़ जाएंगे।

3. सरकार गोविंद को किसी सूरत में चुनाव हारते नहीं देखना चाहती। उनके पास मास्टर भंवर लाल के बाद एससी का बड़ा चेहरा गोविंद ही हैं। राज्य सरकार केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के सामने गोविंद राम को देखती है। इसलिए सीएम ने फैसला बदला।

बड़े आधार बीकानेर में वापसी के पीछे इनसाइड स्टोरी 

श्रीडूंगरगढ़ 24 महीने रहा चूरू में, खाजूवाला 60 दिन में वापस आएगा

सरकार ने अगर खाजूवाला छत्तरगढ़ को वापस करने का नोटिफिकेशन जारी किया तो 60 दिन के लिए दोनों उपंखड जिले से बाहर मानी जाएगी लेकिन जब श्रीडूंगरगढ़ को चूरू में शामिल किया गया था तो उसे वापस बीकानेर में लाने में दो साल यानी 24 महीने लग गए थे। ये निर्णय भी मौजूदा सीएम अशोक गहलोत ने ही किया था आैर खाजूवाला-अनूपगढ़ का निर्णय भी गहलोत ही करेंगे। निर्णय देरी से करने के पीछे तर्क है कि अन्य जिलों में जो परिसीमन का आंदोलन चल रहा उससे सरकार पर कोई दबाव ना हो।

गोविंद को मिलेगी ताकत

खाजूवाला और छत्तरगढ़ को जैसे ही अनूपगढ़ में शामिल किया गया तो आंदोलन सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर किया लेकिन नुकसान सीधे मौजूदा विधायक गोविंद मेघवाल का हो रहा था। गोविंद हालात समझ गए थे। इधर कांग्रेस गोविंद का कद लगातार बढ़ा रही है। उनका मुकाबला केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से है इसीलिए गोविंद ने सीएम के सामने क्षेत्र की स्थिति रखी। अब अगर दोनों उपखंड बीकानेर में आते हैं तो गोविंद का ना सिर्फ कद बढ़ेगा बल्कि लोगों का मन भी बदलेगा। केन्द्रीय कानून मंत्री ने रामलुभाया कमेटी की सिफारिशें दरकिनार करने का आरोप सरकार पर लगाया था लेकिन अब मामला अलग देखने को मिल सकता है।