जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा ज्यूडिशियरी को लेकर दिए गए बयान के खिलाफ अधिवक्ता कुणाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका को आज हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले में मौखिक रूप से कहा कि हम किसी भी पक्षकार को लिखित में माफी मांगने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं।

वहीं कोर्ट ने अवमानना के मामलों को परिभाषित करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा गाइडलाइन जारी करने की प्रार्थना को भी ठुकरा दिया। खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट इस तरह की कोई गाइडलाइन जारी नहीं कर सकती हैं।

गहलोत के खिलाफ कई याचिकाएं दायर, एक पर नोटिस भी जारी
अधिवक्ता कुणाल शर्मा की जनहित याचिका के अलावा सीएम अशोक गहलोत के ज्यूडिशियरी को दिए बयान के बाद करीब आधा दर्जन याचिकाएं उनके खिलाफ हाईकोर्ट में दायर हो चुकी है। अधिवक्ता शिवचरण गुप्ता की जनहित याचिका पर तो हाईकोर्ट अशोक गहलोत को पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है। जिस पर 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

वहीं, बीजेपी नेता मदन दिलावर, बार के पूर्व अध्यक्ष भुवनेश शर्मा व अधिवक्ता मनु भार्गव ने भी सीएम गहलोत के बयान के बाद उनके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर रखी हैं।

गहलोत ने कहा था ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 30 अगस्त को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि ज्यूडिशियरी में भयंकर भ्रष्टाचार हो रहा है। मैंने सुना है कि कई वकील तो जजमेंट लिखकर ले जाते हैं। वही जजमेंट आता है। ज्यूडिशियरी के अंदर यह क्या हो रहा है? चाहे लोअर ज्यूडिशियरी हो या अपर। हालात गंभीर हैं। देशवासियों को सोचना चाहिए।

उन्होंने कहा- भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर जो आरोप लगाए हैं। वो सही है। मुझे मालूम पड़ा है कि उनके (अर्जुन राम मेघवाल) वक्त बहुत बड़ा करप्शन हुआ था। उसे दबा दिया गया है। इन लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है।