कोटा ब्यूरो रिपोर्ट। 

कोटा में डेंगू का 4 साल पुराना डेंगू का स्ट्रेन डी 2 फिर से लौट आया है। हॉस्पिटलों में बढ़ती मरीजों की तादाद गंभीर हालात बयां कर रही है। हॉस्पिटलों में आईपीडी फुल है और ओपीडी में रोजाना मरीजों की संख्या ढाई से तीन सौ तक पहुंच रही है। नए कोटा शहर के तलवंडी, बसंत विहार, जवाहर नगर, राजीव गांधी नगर, महावीर नगर, विज्ञान नगर इलाकों में डेंगू का प्रकोप बढ़ा है। जिसके चलते नए कोटा के निजी अस्पतालों में भी बेड फुल है। स्थिति यह है कि मरीजों को भर्ती करने के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है।

कोटा सीएमएचओ डॉ.जगदीश सोनी ने बताया कि इस बार जांचों में डेंगू का स्ट्रेन डी 2 है। उन्होंने बताया कि चार साल पहले इस स्ट्रेन का कहर देखने को मिला था। साल 2019 में 1,342 मरीज सामने आए थे। इस साल भी जनवरी से लेकर अब तक यानी 6 सितंबर तक मरीजों का आंकड़ा 491 तक पहुंच गया है। इस स्ट्रेन के रोजाना 30 से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं।

CMHO ने बताया कि यह तेजी से फैलने वाला स्ट्रेन हैं जिसमें मरीज कुछ ही समय में गंभीर हालत में पहुंच जाता है। इसका कारण है प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरना। इसमें शुरू के 4 दिन तेज बुखार आता है बुखार के साथ सिर दर्द, उल्टी, बदन दर्द की शिकायत होती है। इसके बाद बुखार उतरता है तो शरीर का तापमान सामान्य से भी नीचे चला जाता है।

इसके चौथे दिन से प्लेटलेट्स तेजी से गिरना शुरू हो जाती है। शरीर पर चकत्ते बनने लगते हैं। इंटरनल-आउटर बॉडी में ब्लीडिंग होने लगती है। जैसे- मसूड़ों और नाक से खून आना। इसके अलावा लिवर में भी इंटरनल ब्लीडिंग होने लगती है। जिससे मरीज शॉक में चला जाता है।

एलाइजा टेस्ट रिपोर्ट को ही पुख्ता मानता है चिकित्सा विभाग

डेंगू मामलों को लेकर चिकित्सा विभाग के आंकड़ों की बात करें तो कोटा में जनवरी से अब तक 491 मरीज सामने आए हैं। यह वह आंकड़ा है जिसमें एलाइजा टेस्ट में पुष्टि हुई है। चिकित्सा विभाग केवल एलाइजा टेस्ट रिपोर्ट को ही पुख्ता मानती है। इसके अलावा कार्ड टेस्ट होता है लेकिन उसकी रिपोर्ट को चिकित्सा विभाग परफेक्ट नहीं मानता है। कोटा में मेडिकल कॉलेज और एक निजी लैब पर ही एलाइजा टेस्ट होता है। बाकी जगह कार्ड टेस्ट होता है। ज्यादातर लोग कार्ड टेस्ट करवा रहे हैं और उनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ रही है। लेकिन, आंकड़ों में उन्हें शामिल नहीं किया जाता है।

अब तक 7 की मौत, विभाग 1 ही मान रहा
वहीं, मौतों के आंकड़ों की बात करें तो अब तक 7 मौत कोटा में डेंगू के चलते हो चुकी है। लेकिन, एलाइजा टेस्ट में पुष्टि के चलते विभाग सिर्फ 1 ही मौत की पुष्टि कर रहा है। सीनियर फिजिशियन डॉ. केके पारीक ने बताया कि इस मौसम में डेंगू और वायरल दोनों के मरीज आ रहे हैं। डेंगू में सर्दी लगकर बुखार आता है और शरीर में जकड़न होती है। जिस तरह से केस बढे़ हैं लोगों में डर भी बढ़ा है। जांच लिखते हैं तो वह लैब पर जाकर जांच करवाते है। कार्ड टेस्ट में भी रिएक्टिव स्थिति आती है तो डेंगू मानकर ही लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू करते हैं। इसमें स्थिति खराब होने पर आफ्टर इफेक्ट्स में मौत भी सामने आई है।

बुधवार को 30 से ज्यादा मरीज सामने आए
बुधवार को कोटा में डेंगू के 33 नए मरीज आए। वहीं स्क्रब टायफस के 2 मरीज आए। अब तक डेंगू के 491 मरीज पॉजिटिव आ चुके है वहीं स्क्रब टायफस के 78 मरीज हो चुके है। इधर, नए कोटा में लगातार आ रहे मरीजों को देखते हुए चिकित्सा विभाग लगाकर अलर्ट है। टीमों की ओर से एंटी लार्वा गतिविधियां की जा रही है। घरों में सर्वे हो रहा है। हल्की बारिश होने से एक बार फिर डेंगू के मरीज बढ़ने की संभावना है। कुछ दिन पहले कलेक्टर ओपी बुनकर ने खुद नए कोटा शहर का दौरा किया था।

तलवंडी क्षेत्र में सबसे ज्यादा मरीज
कोटा सीएमएचओ डॉ.जगदीश सोनी ने बताया कि डेंगू फैलने का समय जुलाई से अक्टूबर तक का रहता है। अब जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं इसे देखते हुए चिकित्सा संस्थानों को अलर्ट कर दिया गया है। सबसे ज्यादा सेंसिटिव एरिया तलवंडी और आसपास का इलाका है। इसका बड़ा कारण है कि यहां पर पीजी, हॉस्टल भी ज्यादा हैं। हॉस्टल और पीजी में बच्चे कूलर, परिंदों और पानी की टंकियों का ध्यान नहीं रखते, जिसके चलते उनमें गंदा पानी इकठ्ठा हो जाता है और उसमें लार्वा पनपने लगता है। इसके अलावा स्थानीय निवासी भी लापरवाही बरतते हैं। कूलर का पानी नहीं बदलते हैं, जिससे लार्वा पनपते हैं। तलवंडी, इन्द्र विहार, राजीव नगर, जवाहर नगर पॉश इलाके हैं। इन इलाकों के मरीज प्राइवेट हॉस्पिटलों कोई ओर रुख करते हैं।

जनवरी से अब तक मरीजों की संख्या
माहमरीज
सितंबर185
अगस्त306
जुलाई2
जून6
मई4
अप्रैल1
मार्च0
फरवरी2
जनवरी3

पिछले सात साल के आंकड़े
वर्षमरीज
2016738
20171863
2018759
20191342
202015
20211811
2022258