कोविड महामारी को तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समाप्त घोषित कर दिया है परंतु बीमारी के आने के पदचाप असंख्य मानव शरीरों पर मौजूद हैं। कितने ही लोग लगातार थके होने की शिकायत करते रहते हैं। पूरी रात की नींद के बावजूद सुबह शरीर में स्फूर्ति एवम् ताजगी महसूस नहीं करते हैं और अकसर वायरल बुखार से पीड़ित होते रहते हैं। सामान्य सी दिखने वाली जुकाम में भी कोई दस दिन तक अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है और काफी लोग तो बिस्तर से उठने लायक नहीं होते हैं। लोगों में उत्साह की अत्यधिक कमी आ गई है। शारीरिक थकान के कारण सामाजिक संपर्क मृतप्राय हो गए हैं। नाचना, गाना, मस्ती करना किसी दूसरे गृह की बातें हो गई हैं। लोग निश्चित तौर पर बदल गए हैं।

सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है ? वायरस ने शरीर को क्या हानि पहुंचाई है जिसके कारण इस स्तर के परिवर्तन देखे जा रहे हैं। इस बात को समझने के लिए हमें जीन विज्ञान के कुछ पक्ष समझने होंगे क्योंकि यहां हमारा तथाकथित अद्वतीय पुराण पंथ काम नहीं आएगा। हमारी कोशिकाओं का अनुवांशिक पदार्थ क्रोमेटिन नामक संरचना में इकट्ठा रहता है। यही क्रोमेटिन और उसमें सुरक्षित अनुवांशिक पदार्थ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता और शारीरिक देखभाल का काम करते हैं। नेचर माइक्रोलॉजी नामक पत्रिका में कुछ विशेष अध्ययनों के ऊपर लेख प्रकाशित हुए हैं जिनसे हम सार्स सीओवी 2 वायरस से होने वाले दीर्घकालीन दुष्प्रभावों को समझ पाएंगे।

कोविड वायरस क्रोमेटिन में प्रवेश कर उसकी संरचना में बदलाव कर देता है जिसमें क्रोमेटिन में उपस्थित आनुवंशिक पदार्थ एक दूसरे में इस तरह मिश्रित हो जाते हैं कि वे अपनी सामान्य बनावट खो देते हैं। इस अव्यवस्था के चलते कई जीन्स में परिवर्तन आ जाते हैं खासकर प्रज्वलन (इंफ्लेमेशन) पैदा करने वाली जीन इंटरल्यूकिन 6 में आने वाले परिवर्तनों से साइटोकाइनिन नामक पदार्थ अत्यधिक मात्रा में बनने लगते हैं और रक्त में उनकी बाढ़ सी आ जाती है। जिस तरह से सामान्य बरसात खेतों को हरा भरा कर फसल देती है परंतु अत्यधिक बारिश तबाही फैलाती है उसी तरह अत्यधिक साइटोकाइनिन भयानक प्रज्वलन ( इंफ्लेमेशन ) पैदा कर कितनी ही कोशिकाओं को नष्ट कर हमारी जान को खतरे में डाल देते हैं। अब आपको समझना होगा कि कोविड के बाद आपके शरीर की बनावट में स्थाई परिवर्तन आ गए हो सकते हैं जिनका इलाज दवाओं की बजाए जीवनशैली में है। भविष्य में अपने जीवन एवम् स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आपको उस चिकित्सक को ढूंढना होगा जो इन बारीकियों को समझता है और दवाओं की बजाय आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा पाने का तजुर्बा रखता है।