नागौर ब्यूरो रिपोर्ट। 

प्रदेश में विधानसभा चुनाव दहलीज पर है। खेमोंं को साधने और सेंध लगाने की राजनीति चरम पर है। इस वक्त किस नेता के काम सरकार में कितनी रफ्तार से हो रहे हैं उससे उसकी चुनावी अहमियत और रुख का अंदाजा लगाया जा सकता है। जाट हार्टलैंड कहे जाने वाले नागौर में पिछले चुनावों में भाजपा के साथ रहे हनुमान बेनीवाल को अब कांग्रेस साधने में जुटी है।

खदानों की रायल्टी से बने डिस्ट्रक मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से 22 करोड़ बेनीवाल को जारी किए गए। 88 काम स्वीकृत किए हैं। इसमें सड़क निर्माण, स्कूलों में भवन निर्माण, बरामदे, ट्यूबवेल जैसे काम हैं। जब​कि डीएमएफटी के मुताबिक यह राशि खनिज प्रभावित क्षेत्रों मेंं श्रमिकों के कल्याण पर ही खर्च होनी चाहिए। नागौर में गहलोत कैंप के नेता व विधानसभा के उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी को 22 करोड़ मिले हंै। जबकि लाडनूं से कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को कुछ नहीं मिला। परबतसर विधायक रामनिवास गावाड़िया का कहना है कि प्रशासन से कई बार मांग की, लेकि​न एक रुपया नहीं मिला। दाेनों पायलट समर्थक हैं।

बेनीवाल को इसलिए साध रही कांग्रेस, 3 विधायक, वल्लभनगर व सुजानगढ़ में भी पकड़

  • बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने पिछले विधानसभा चुनावों में 58 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से 3 जीते।
  • प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनावों में भी आरएलपी ने चौंकाया। आरएलपी भाजपा से आगे रही। वल्लभनगर में दूसरी पार्टी बनी तो सुजानगढ़ में 20% वोट मिले।
  • बेनीवाल ने भाजपा के समर्थन से नागौर में सांसद का चुनाव लड़ा और जीता। एनडीए का हिस्सा बने। लेकिन किसान आंदोलन के बाद खुद को अलग कर लिया। राजस्थान के युवा जाट वोटरों में उनकी पकड़ को देखते हुए कांग्रेस उन्हें साधने में जुट गई है।

डीएमएफटी : पहले कलेक्टर देते थे राशि, अब वित्त विभाग
डीएमएफटी के नियमों में पहले प्रावधान था कि राशि का बंटवारा कलेक्टरों के जरिए किया जाएगा। लेकिन वित्त विभाग ने आदेश जारी कर कलेक्टरों से अधिकार छीन लिए। अब वित्त विभाग के स्तर पर कलेक्टर को स्वीकृति भेजी जाती है। इसके बाद कलेक्टर राशि जारी करते हैं।