जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान हाई कोर्ट ने पिछले 4 साल में अदालती आदेश की पालना नहीं होने पर राज्य सरकार पर 50 हज़ार का जुर्माना लगाया हैं। साथ ही कोर्ट ने अगली तारीख तक आदेश की पालना नहीं होने पर एसीएस होम व डीज़ीपी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के भी आदेश दिए है।

ये आदेश जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की अदालत ने गुड्डी देवी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना के समय मांगा गया।

इस पर कोर्ट ने 27 सितम्बर तक का समय देते हुए कहा कि अगर अगली तारीख तक आदेश की पालना हो जाती है तो ठीक। वरना एसीएस होम व डीजीपी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर यह बताए कि आदलती आदेश की पालना नहीं करने का क्या कारण हैं।

चार साल पहले हाई कोर्ट ने दिया था आदेश
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बनवारी लाल शर्मा व नमोनारायण शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता गुड्डी देवी ने कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2018 में चयन को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे नियुक्ति देने व भर्ती में प्रथम नियुक्ति दिनांक से समस्त परिलाभ देने के आदेश दिए थे।

अदालत के आदेश के बाद भी सरकार ने याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं दी। लेकिन जब याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की तो सरकार ने उसे साल 2022 में नियुक्ति दे दी। लेकिन भर्ती की प्रथम नियुक्ति दिनांक से परिलाभों का नोशनल लाभ नहीं दिया।

सरकार ने कहा-अदालती आदेश की कर दी पालना
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि उसने हाई कोर्ट के 18 अक्टूबर 2019 के आदेश की पूरी पालना कर दी है। आदेश में कहीं भी भर्ती की प्रथम नियुक्ति दिनांक से नोशनल (काल्पनिक) परिलाभ देने के आदेश नहीं दिए गए है।

इस पर हाई कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए सरकार पर 50 हज़ार का जुर्माना लगाया। वहीं सरकार को छूट दी है कि वह इस राशि की रिकवरी दोषी अधिकारी से कर सकती हैं।