अलवर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सरकार ने सरिस्का के बाघ और जंगलों को जिन अफसरों के भरोसे छोड़ा उन्हीं ने वन और राजस्व भूमियों पर कब्जे करा होटल बनवा दिए। नदी-नालों तक पर कब्जे करा दिए। तमाम शिकायतों के बावजूद ऐसे 12 अवैध होटल व रिसोर्ट सरिस्का बाघ परियोजना के कोर टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) में बेरोकटोक चल रहे हैं। जिला कलेक्टर से लेकर वन अधिकारियों तक, सभी को इसकी खबर है। छह विभागों की टीम ने सर्वे कर रिपोर्ट भी दे दी।

भास्कर ने रिपोर्ट खंगाली तो पता चला कि वन भूमि पर बने होटलों के साथ 24 होटल-रेस्टोरेंट ऐसे भी हैं जो गैर मुमकिन पहाड़, नदी, नाले, चारागाह और सिवायचक भूमियों पर अवैध कब्जे कर बने हुए हैं। ये मामले राजगढ़ उपखंड के टहला तहसील क्षेत्र के हैं। अवैध कब्जे कराने वाले खुद अफसर ही हैं। इनमें सरिस्का में एसीएफ रहे राजस्थान वन सेवा के पूर्व अधिकारी के नाम की भूमि पर रिसोर्ट संचालित है। इसी तरह सरिस्का के सी एफ रहे भारतीय वन सेवा के अधिकारी की पत्नी के नाम दर्ज भूमि पर भी होटल निर्माण चल रहा है।

जंगलों में वन्यजीवों को बचाने के लिहाज से तीन बड़े आदेश प्रभावी हैं। इनमें पहला आदेश सुप्रीम कोर्ट का है, जो 2012 में जनहित याचिका पर दिया गया। इसमें सरकारों को जंगलों के भीतर गैर वानिकी गतिविधि बंद करने के आदेश थे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी पालना में 2016, 2018 व 2019 में सभी राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों को टाइगर प्रोजेक्टों को लेकर सी टीएच के अंदर सभी स्थाई निजी टूरिस्ट गतिविधि बंद करने के आदेश और गाइडलाइन दिए।

दूसरा आदेश वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत है, जिसमें बाघ परियोजना, राष्ट्रीय पार्क व अभयारण्यों के भीतर होटल, रिसोर्ट, लॉज चलाने के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति अनिवार्य की है। तीसरा आदेश ईको सेंसेटिव जोन का है। सरिस्का के 1 किमी ईको सेंसेटिव जोन में सिर्फ अस्थाई ईको टूरिज्म की छोटे इकाई की अनुमति है। नए व्यावसायिक होटलों पर रोक है। इसके बावजूद 12 कमर्शियल होटल और रिसोर्ट बिना वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी और ईको सेंसेटिव जोन नियमों का उल्लंघन कर संचालित हैं।

संयुक्त सर्वे रिपोर्ट में इन अतिक्रमणों का विवरण

1. दी चैलेट: अरावली नोटिफिकेशन में प्रतिबंधित बंजर भूमि पर बना। सिवायचक भूमि पर पक्का अतिक्रमण। होटल में संपरिवर्तन नहीं।

2. होटल लिटिल अफेयर: 0.35 हैक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण। वन भूमि व सीटीएच से 0 मीटर पर स्थित। होटल भूमि में संपरिवर्तन नहीं।

3. सरिस्का होटल मनोर: 26 कमरों का कमर्शियल होटल सिवायचक व रास्ते पर पक्का अतिक्रमण। सरिस्का गेट वन भूमि से सटा।

4. वनाश्रय: 38 कमरों का कमर्शियल होटल, 2.20 पहाड़ पर अतिक्रमण। नाले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन।

5. वन छवि: सिवायचक भूमि पर अतिक्रमण। 17 कमरों का कमर्शियल होटल वन भूमि से सटा।

6. एस्ट्रो पोर्ट सरिस्का: 25 कमरों का होटल, गैर मुमकिन नदी पर दीवार बनाकर अतिक्रमण। वन्यजीव बोर्ड की अनुमति नहीं।

7. उत्सव कैंप: कमर्शियल होटल। कुल 1.25 हैक्टेयर वन और सिवायचक भूमि पर अतिक्रमण। वन्यजीव बोर्ड की अनुमति सूचना नहीं दी।

8. जंगल कैंप: 10 कमरों का कमर्शियल होटल। पहाड़ की 0.25 हैक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण। नोटिस व कार्रवाई जारी।

9. पवन कृषि फार्म: 2.40 हैक्टेयर सिवाचयक और 2.40 हैक्ट. वन भूमि पर अतिक्रमण। अधिकांश भाग वन क्षेत्र में।

10. नाथावत फार्म हाउस: सरिस्का गेट पर स्थित। टीम भूमि की पहचान नहीं कर पाई।

वन विभाग की जिन जमीनाें पर हाेटल या रिसाेर्ट बना लिए गए थे,उनके खिलाफ विभाग ने काेर्ट में केस किए हुए हैं। माैजूदा समय में अमन बाग पैलेस, सरिस्का पैलेस, स्टलिंग सरिस्का व उत्सव कैंप आदि हाेटलों व रिसाेर्ट के खिलाफ हमारे केस चल रहे हैं। - डीपी जागावत, डीएफओ प्रशासन

सरिस्का क्षेत्र के 24 हाेटल व रिसाेर्ट की रिपाेर्ट मिली हैं। इनमें अलग-अलग इश्यू हैं। प्रशासनिक स्तर के जाे इश्यु हैं उन पर हम कार्रवाई करेंगे। इनमें अगर किसी ने सरकारी जमीनाें पर अतिक्रमण किया, उसकाे मुक्त कराने की कार्रवाई हाेगी। - उत्तम सिंह शेखावत, अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम

6 विभागों ने की जांच- एसडीएम राजगढ़, तहसीलदार टहला, वन अधिकारी टहला, सहायक अभियंता सानिवि व खनिज अभियंता की रिपोर्ट है परंतु इसमें वन अधिकारी टहला व खनिज अभियंता के हस्ताक्षर नहीं है।