जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान के 11 शहरों का पानी सेहत के लिए हानिकारक है...

ये बात खुद पीएचईडी डिपार्टमेंट मान रहा है। हाल में पानी की क्वालिटी को एक सर्वे कराया गया। मई-जून में कराए गए सर्वे में सामने आया कि 11 शहर तो ऐसे थे जहां का पानी बिल्कुल पीने लायक नहीं है।

रिपोर्ट के बाद भास्कर ने इन 11 शहरों में ग्राउंड पर जाकर रियलिटी चेक किया को चिंताएं बढ़ाने वाली हकीकत सामने आई...

  • 10 साल के बच्चे से लेकर 25 साल के युवाओं के दांत बुजुर्गों की तरह कमजोर होकर टूट रहे हैं।
  • पुरुषों ही नहीं महिलाओं के सिर के बाल भी उड़ रहे हैं।
  • इस पानी से रोज बर्तन धोने के कारण महिलाओं की स्किन काली पड़ रही है।
  • बच्चों की स्किन का कलर नीला पड़ रहा है।
  • सबसे पहले जहां हालात सबसे ज्यादा खराब

    अलवर का गोविंदगढ़, भिवाड़ी और खैरथल, भरतपुर का नदबई, चूरू का रतन नगर, झुंझुनूं का नवलगढ़, सूरजगढ़ और चिड़ावा, सीकर का फतेहपुर शेखावटी, रामगढ़ शेखावटी और लोसल शहर।

  • श्रीगंगानगर जिले में पंजाब से आने वाली नहरों का केमिकल युक्त गंदा पानी इलाके के लोगों को कैंसर जैसी भयानक बीमारी का दर्द दे रहा है। जिले के कई गांवों में ऐसे लोग हैं जो इस जानलेवा बीमारी का शिकार हुए हैं।

    दो बेटे और बहू हुई कैंसर की शिकार

    शहर से सटे गांव साधुवाली में रहने वाली माधोदेवी के दो बेटे और बहू इस गंदे पानी के चलते कैंसर का शिकार हो चुके हैं। माधोदेवी बताती हैं कि इस गंदे पानी पर रोक लगना जरूरी है। इसी के कारण उनके बड़े बेटे गौरीशंकर को 2016 में कैंसर हो गया था।

    जिसके बाद 2020 में उसकी मौत हो गई। छोटा बेटा महेश 2018 में कैंसर का शिकार हुआ और 2021 में उसकी मौत हो गई। वहीं गौरीशंकर की पत्नी भगवती देवी 2014 में कैंसर का शिकार हुई और 2022 में उसकी मौत हो गई।

  • बीकानेर और जयपुर में हो रहा इलाज

    इसी गांव में रहे हनुमान बरावड़ का कहना है कि उन्हें करीब ढाई साल से कैंसर है। वे बीकानेर और जयपुर में इलाज ले रहे हैं। वे बताते हैं कि पंजाब से आने वाली नहर उनके गांव के जरिए ही राजस्थान की सीमा में प्रवेश करती है। इसी का पानी पीकर उन्हें कैंसर हुआ। वे बताते हैं कि वे पिछले ढाई साल से बीकानेर और जयपुर में इलाज ले रहे हैं।

  • ये पानी इतना खतरनाक बच्चों की स्किन को नीला कर देता है

    सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा खतरा पानी में आई नाइट्रेट की सबसे ज्यादा मात्रा है। एक्सपर्ट की माने तो ये नाइट्रेट बच्चों की स्किन को नीला कर देता है। इससे ब्लू बेबी सिंड्रोम का खतरा होता है। इस सिंड्रोम की वजह से स्किन तो खराब होती ही है, इसके अलावा उसका रंग भी बदल जाता है। इसके अलावा कैंसर का खतरा भी इस पानी से काफी बढ़ सकता है। किडनी और लीवर में इंफेक्शन भी पानी में बढ़े हुए नाइट्रेट के कारण होती है।

    11 शहरों में यह है खतरे के सबसे बड़े कारण

    शहर का नामजनसंख्यापानी के खतरनाक स्तर का कारणनाइट्रेट की मात्राटीडीएस की मात्राफ्लोराइड की मात्रा
    गोविंदगढ़ (अलवर)11552टीडीएस के कारण17-183455-35951
    खैरथल (अलवर)38000नाइट्रेट के कारण50-118861-10910.5 - 0.7
    भिवाड़ी104921नाइट्रेट के कारण92789 - 8080.4
    नदबई (भरतपुर)24500टीडीएस व नाइट्रेट के कारण92-5041602-27231.2
    रतननगर (चुरू)12841टीडीएस, फ्लोराइड व नाइट्रेट45-503780-40600.8 - 2.2
    चिड़ावा (झुंझुनू)43953नाइट्रेट के कारण55-130872-13900.6-1
    नवलगढ़ (झुंझुनू)63948नाइट्रेट के कारण55-132740-13440.6-1.1
    सूरजगढ़ (झुंझुनू)21666नाइट्रेट के कारण55-611162-13320.9
    फतेहपुर (सीकर)92595फ्लोराइड व नाइट्रेट51-565566-14820.75-2.01
    रामगढ़ शेखावटी (सीकर)33024फ्लोराइड, नाइट्रेट और टीडीएस278-4131550-23101.4-1.69
    लोसल (सीकर)28504फ्लोराइड व नाइट्रेट60-187700-10101.82-2.05

    (फ्लोराइड - 1.5 पीपीएम, नाइट्रेट - 45 पीपीएम और टीडीएस - 200 पीपीएम से ज्यादा होने पर खतरनाक होते हैं। पीपीएम - पार्टस पर मिलियन)

    क्या था ये सर्वे
    पीएचईडी और यूनिसेफ की ओर से ये सर्वे किया गया। राजस्थान के 235 शहरों में किए गए इस सर्वे में सामने आया कि आधे से ज्यादा शहर अंडरग्राउंड पानी पीने को मजबूर है और इसी पानी की वजह से बीमारियां भी बढ़ गई है। 28 शहरों के पानी में आंशिक रूप से प्रदूषण है। भास्कर के हाथ जब यह रिपोर्ट लगी तो इन शहरों में हकीकत पता लगवाई गई।

    2002 के बाद यह पहला मौका है जब इस प्रकार पूरे राजस्थान का एक साथ सर्वे हुआ है और रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें 33 जिलों के 235 शहरों को शामिल किया गया था। इसमें से 76 शहर तो ऐसे हैं जो कि पूरी तरह से अंडरग्राउंड वाटर पर ही आश्रित है। इन्हीं शहरों में 11 शहरों का पानी खतरनाक लेवल का यानी पीने के योग्य नहीं पाया गया है।

    पानी में क्या है खतरनाक पदार्थ
    पीएचईडी ने यह जो सर्वे किया है उसमें सबसे ज्यादा तो खतरनाक पदार्थ मिले हैं वह बढ़ा हुआ टीडीएस और नाइट्रेट है। अलवर और भरतपुर क्षेत्र के कई शहरों में तो सिर्फ नाइट्रेट है जो पानी की गुणवत्ता खराब कर रहा है।

    इसके कई कारण हो सकते हैं, जिस पर अलग से स्टडी की जरूरत होगी। लेकिन फिलहाल जो हानिकारक तत्व पानी में मिले में वह कई प्रकार की बीमारियों को इंसानी शरीर के साथ पशुओं में भी फैलाने का काम कर रहे हैं।