जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (एफएसएल) ने प्रदेश की पहली वॉइस सैंपलिंग जांच की रिपोर्ट भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को भेज दी है। नशीली दवाओं की जांच के मामले में 16 जनवरी 2023 को गिरफ्तार एसओजी की तत्कालीन एएसपी दिव्या मित्तल के वॉइस सैंपल का मिलान हाल ही किया गया है। ऑडियो ऑथेंटिकेशन उपकरण से आई रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि रिकॉर्डिंग में किसी तरह की एडिटिंग नहीं की गई है। एसीबी की मानें तो दिव्या मित्तल केस में ऑडियो की पुष्टि से एसीबी का पक्ष और मजबूत होगा। कोर्ट में यही सबसे बड़ा सबूत होगा।
बता दें कि अजमेर पुलिस ने करीब 11 करोड़ की नशीली दवाइयां जब्त की थीं, जिसकी जांच पुलिस से बदलकर अजमेर एसओजी चौकी प्रभारी दिव्या मित्तल को सौंपी थी। आरोप है कि केस से नाम हटवाने के बदले हरिद्वार की दवा कंपनी के मालिक से दो करोड़ की घूस मांगी जा रही थी। गिरफ्तारी के बाद दिव्या मित्तल को 10 अप्रैल को जमानत मिल गई थी। एफएसएल में इस तरह की पहली जांच हुई है। राजस्थान में आपराधिक मामलों में आवाज मिलान और काट-छांट के परीक्षण की सुविधा नहीं थी। इससे पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो में भी आरोपी संजय जैन के वॉइस सैंपल चंडीगढ़ जांचे गए थे।
एसीबी का पक्ष होगा मजबूत
एसीबी ने 3 वॉइस सैंपल भेजे थे एफएसएल को, तीनों सही पाए गए
15 मार्च काे एसीबी ने दिव्या मित्तल की 3 ऑडियो रिकॉर्डिंग एफएसएल भेजी थी। इसमें पूछा गया था कि रिकॉर्डिंग में काेई एडिटिंग ताे नहीं है। दिव्या मित्तल इसमें परिवादी को धमकाते हुए सुनाई दे रही है। ‘मेरे अकेले के हाथ में नहीं है, ऊपर भी देना होता है। ये कोई बनिए की दुकान नहीं’, ‘तुम भी समझो, ये दाग है जीवनभर के’, ‘बारगेनिंग मत करो, पहले तय हो चुका वही देना होगा।’, ‘पहले वालों को भी आपकी तरह समझाया था, लेकिन वह नहीं समझा और गिरफ्तार होना पड़ा।’ आरपीएस दिव्या मित्तल ने कुछ इसी अंदाज में परिवादी से दो करोड़ रुपए मांग कर धमकाया था और एक घंटे में 25 लाख रुपए की व्यवस्था करने को कहा था।
पहले चंडीगढ़ भेजे जाते थे सैंपल, अब जयपुर में जांच
प्रदेश में वॉइस सैंपल की जांच के लिए पिछले दिनों 50 लाख के ऑडियो ऑथेंटिकेशन सॉफ्टवेयर से लैस उपकरण ACUSTEK-TD खरीदे गए। चंडीगढ़ के बाद देश की हाई तकनीक वाली दूसरी वॉइस सैंपलिंग मशीन जयपुर में है।
मंजूरी मिली तो गजेंद्र सिंह के सैंपल भी यहीं जांचे जाएंगे
यदि हाई कोर्ट मंजूरी देता है तो विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े ऑडियो मामले में भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वॉइस सैंपल की जांच जयपुर एफएसएल में होगी।
वो सब जो आप जानना चाहते हैं
7-8 दिन लगे ऑडियो जांचने में
- एफएसएल के डायरेक्टर डॉ. अजय शर्मा के मुताबिक, एफएसएल में ऑडियो ऑथेंटिकेशन की जांच के लिए तकनीक विकसित कर ली गई है। इसके लिए अतिआधुनिक उपकरण ACUSTEK-TD से देखा जाता है कि ऑडियो में किसी तरह की काट-छांट जैसे जोड़ना/घटाना तो नहीं हुआ। जांच करने में वैज्ञानिकों को 7-8 दिन लगे।
- मशीन से आवाज नमूनों को वॉइस स्पेक्ट्रोग्राफ की सहायता से निरंतरता की जांच की जाती है। एविडेंशियल ऑडियाे में नॉर्मलाइजेशन, टेक्स्ट डी-कोडिंग, ऑथेंटिसिटी एनालिसिस और वॉइस आइडेंटिफिकेशन की जांच संभव है। एफएसएल जयपुर में अब वॉइस ऑथेंटिसिटी तथा वॉइस आइडेंटिफिकेशन दोनों परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।
जांच से पहले मशीन की एरर जांचने के लिए टेस्ट रन किया जाता है। आवाज की निरंतरता के लिए कोडिंग डिटेक्शन और ऑडियो फ्रेम्स का एनालिसिस किया जाता है यानी ऑडियो को कई पार्ट में बांटकर एक्सपर्ट हर फ्रेम का विश्लेषण करते हैं। एक्सपर्ट हिस्टोग्राम पर फ्रेम के वॉइस ग्राफ का विश्लेषण करते हैं कि आवाज कहां ब्रेक हो रही है। मैचिंग फ्रेगमेंट्स औ पॉज सर्च तकनीक से ऑडियो में कोई भी एडिशन यहां तक की फाइन एडिटिंग पर भी मशीन खुद ही इंडिकेशन मार्क करती है।
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